Friday, December 21, 2018

अपने वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा मत करो।

वित्तीय योजना एक सुरक्षित भविष्य की योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन ये योजना अपनी आंखों और दिमाग को खोलकर बनानी चाहिए अन्यथा आपका वित्तीय सलाहकार आपका पैसा लूट सकता है। मैं एक वित्तीय सलाहकार की लूट का शिकार हो चूका हूं क्योंकि मैंने उस पर अन्धविश्वास किया था। मेरी एक मित्र हाल ही में एक वित्तीय सलाहकार के धोखे का शिकार हुई है। अधिकांश वित्तीय सलाहकार सिर्फ अपने कमीशन पर ध्यान देते हैं और ग्राहक के लाभों को अनदेखा करते हैं, चाहे वह स्टॉक मार्केट सलाहकार, बीमा सलाहकार या किसी अन्य वित्तीय क्षेत्र के सलाहकार हों।

शुरुआत में जब मैंने शेयर बाजार में व्यापार करना शुरू किया, तो मुझे व्यापार के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन ब्रोकरेज हाउस द्वारा मुझे असाइन किये हुए रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह बताएगा कि कौन सा ट्रेड लगाना है। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए कोई होमवर्क किए बिना मेरा पैसा बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने का एक अच्छा अवसर था। वह कॉल करता था और मुझे बताता था कि कॉल एन ट्रेड विकल्प के माध्यम से मुझे कौन सा ट्रेड खोलना चाहिए। मैंने वही किया और कुछ दिनों के बाद उसने कॉल करना बंद कर दिया। मैंने कई बार उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। मैंने बाद में ब्रोकरेज फर्म की सपोर्ट टीम से संपर्क करने का फैसला किया। जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि मैंने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जो पैसा डाला था, वो गवां चूका था और तब मुझे पता चला कि उस रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझे कॉल करना क्यों बंद कर दिया था। उसका मकसद केवल मेरे व्यापारों के माध्यम से कमीशन कमाना था क्योंकि ब्रोकरेज हाउस अपना कमिशन ज़रूर लेते हैं चाहे ट्रेडर को बेशक नुकसान हुआ हो।
इसी तरह, मेरी एक मित्र अनुू के साथ हाल ही में उसके बीमा सलाहकार ने फ्राड किया। उसने पॉलिसी बंद करने में मदद करने के लिए अपने बीमा सलाहकार से बात की। उसके सलाहकार ने उसे बताया कि यदि वह पॉलिसी बंद करेगी, तो पेनल्टी लगाई जाएगी। उसके बाद, उसने उससे कम प्रीमियम वाली एक पालिसी खरीदने के लिए कहा और कहा कि नई पालिसी लेने से पुरानी पालिसी बंद करने पर लगने वाली पेनल्टी वेव ऑफ हो जाएगी। उसने वही किया और सोचा कि उसने एक अच्छी धनराशि बचाई लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था। उनके बीमा सलाहकार ने उसे नई बीमापोलिसी बेच दी और कहा कि वह पुरानी पालिसी बंद करवा देगा। उसे अनुू की नई पालिसी का कमीशन मिल गया लेकिन उसने अनु पुरानी पालिसी बंद नहीं करवाई। अनु को ये तब पता चला कि उनकी पुरानी पालिसी बंद नहीं हुई है जब दोनों पॉलिसीज के लिए उसके खाते से पैसे कट गये। जब मैंने इस घटना के बारे में शशि (मेरी पत्नी जो एक बीमा सलाहकार है) को बताया, उसने मुझे बताया कि एक बीमा सलाहकार पॉलिसी रद्द नहीं कर सकता है, बल्कि ये काम पॉलिसी धारक द्वारा केवल बीमा कंपनी की शाखा में जाकर ही किया जा सकता है। उसने मुझे यह भी बताया कि अगर ऐसी कोई धोखाधड़ी किसी के साथ होती है, तो वो बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में उस सलाहकार के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और सलाहकार का एजेंसी कोड लिखना न भूलें जिसका उल्लेख आपकी पहली प्रीमियम रसीद पर होता है। इसके बाद भी यदि बीमा कंपनी इस मुद्दे को हल नहीं कर रही है, तो अपनी शिकायत आईआरडीए के साथ दर्ज करें।
तो कहने का मतलब यह है कि आपको किसी भी वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि खुद भी थोड़ी रिसर्च करनी चाहिए और यदि उसके बाद भी आप किसी धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं, तो शांत मत बैठें, शिकायत करें और अपने अधिकार के लिए तब तक लड़ें जब तक आपको शिकायत का हल नहीं मिल जाता।

“This post is the Hindi Version of my previous post”

Sunday, December 9, 2018

अपने क्रोध को नियंत्रित करो और अपने प्रियजनों को परेशान होने से बचाओ।

क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन हम आम तौर पर अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं करते हैं क्योंकि अगर हम इसे नियंत्रित करते हैं, तो हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है और अगर हम नियंत्रण नहीं करते हैं, तो यह हमारी अहंकार को संतुष्ट करता है लेकिन बहुत सी ज़िन्दगियों को भारी नुकसान पहुंचाता है। कई मामलों में, यह जीवन खोने या जीवन को नष्ट करने में मदद करता है लेकिन फिर भी बहुत से लोग अपने क्रोध को अपनी स्वाभाव का सबसे अच्छा हिस्सा मानते हैं। मैंने कई माता-पिता को अपने बच्चों के गुस्से का समर्थन करते हुए देखा है। वो बड़े प्यार से कहेंगे की वह थोड़ा गुस्सैल है उसके सामने ऐसी बात क्यों करते हो जो उसे पसंद नहीं।  मुद्दा यह है कि परिवार में पल रहे एक गधे (गुस्सैल स्वाभाव के इंसान) को परिवार के अन्य सदस्यों पर हावी क्यों होने देना चाहिए वो भी तब जब वो इंसान गलत है। किसी भी परिवार / समाज को ऐसे व्यक्ति को शय नहीं देनी चाहिए जिसे गुस्सैल स्वाभाव एक दोष लगने के बजाए एक गुण लगता है। जिस इंसान को उसका क्रोध नियंत्रित करता है उसे किसी भी  परिवार / समाज द्वारा शय नहीं दी जानी चाहिए बल्कि उसे पिंजरे में रखा जाना चाहिए क्योंकि वह परिवार / समाज के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। क्रोध के नियंत्रण में रहने वाला व्यक्ति एक पागल जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले हफ्ते मैं अपने एक ऐसे दोस्त से मिलने के लिए मुजफ्फरनगर जिला जेल गया था, जो अपने गांव के झगडे में शामिल होने की वजह से कैद है, जिस झगडे ने उसके खुद के जीवन सहित कई लोगों को नुकसान पहुंचाया था। जब मैं उससे मिलने की अनुमति पाने के लिए जेल से बाहर इंतजार कर रहा था, मैंने वहां कई परिवारों को देखा जो अपने परिवार के किसी कैदी सदस्य से मिलने की अनुमति पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई महिलाएं, बुजुर्ग  और बच्चे भी उस भीड़ का हिस्सा थे। मैंने वहां ज़मीन पर कई छोटे बच्चे अपनी बारी के इंतज़ार में लेटे हुए देखे । मेरा कहना यह है कि क्या इन छोटे-छोटे बच्चों को जेल के आसपास भी होना चाहिए । 3-4 साल के बच्चों को जेल में या उसके आसपास भी उपस्थित नहीं होना चाहिए, लेकिन वे वहां मौजूद थे क्योंकि उनके घर के किसी बड़े ने गुस्से में कुछ ऐसा कर दिया जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा नतीजतन, उनके परिवार के छोटे बच्चों को उनसे मिलने के लिए उस जगह पर मज़बूरी में जाना पड़ता है जो कि नकारात्मकता से भरा होता है और वह नकारात्मकता उन बच्चो के दिमाग और जीवन दोनों को प्रदूषित कर सकती है। जब मैं उस जगह के आसपास था, तो मैं खुद नकारात्मकता का अनुभव कर रहा था क्योंकि हर कोई अपराध और जिंदगी बर्बाद करने वाली हरकतों के बारे के बात कर रहा था। साथ ही मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान चाहता है की उसका परिवार उसके क्षणिक गुस्से के कारण पुलिस और अदालतों के चक्कर लगाए। मेरा दोस्त खुद कह रहा था कि उसे दुःख होता है जब वह अपने परिवार को उसको छुड़ाने के चक्कर में परेशान होते हुए देखता है ।
इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को अपने परिवार को अपने बाद परेशान होने से  बचाने के लिए अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें कभी लड़ना नहीं चाहिए, लेकिन हमें तब तक लड़ना नहीं चाहिए जब तक कि कोई अन्य विकल्प न होने की दुर्लभ स्थिति हो। एक और बात, आप ये तभी समझ सकते हैं की बात करके कोई भी मामला हल किया जा सकता है जब आपमें गुस्से पर नियंत्रण रखने की क्षमता हो। अगर आपको क्रोध नियंत्रित करता है तो ये समझदारी का काम आपसे नहीं हो पायेगा।

Saturday, December 1, 2018

कुछ बेवकूफ जो खुद को ज्ञानी समझते हैं, जीवन बीमा के झूठी कमियां बताकर गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के भविष्य को बर्बाद करने का काम करते हैं।

हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो लोगों को जीवन बीमा में अपने पैसे  निवेश न करने के फ़र्ज़ी कारण बताते रहते हैं। वे खुद को बहुत बुद्धिमान समझते हैं और आपको निवेश के विभिन्न विकल्पों को बताएंगे और दावा करेंगे कि उनका विकल्प निवेश करने का सबसे अच्छा विकल्प है। मैंने कुछ लोगों को दूसरों को ये समझाते हुए सुना कि एफडी (FD) जीवन बीमा से बेहतर विकल्प है। उनके अनुसार जीवन बीमा को आपके पैसे को दोगुना करने के लिए 20 से अधिक वर्षों की आवश्यकता होती है जबकि एफडी 8-9 साल के भीतर ही दोगुना कर देता है लेकिन वह लोग एक बात को नज़रंदाज़ कर देते हैं कि एफडी में पूरा पैसा शुरुआत में एक साथ देना पड़ता है जबकि जीवन बीमा में आप आसान किस्तों में अपना पैसा निवेश कर सकते हैं। और जीवन बीमा बीमाकर्ता के परिवार को उसकी मृत्यु होने पर वित्तीय सुरक्षा भी देती है। मैं जीवन बीमा के बारे में लिख रहा हूं क्योंकि मैंने हाल ही में एक घटना के बारे में सुना है जो कि जीवन बीमा से संबंधित है।
मेरी पत्नी शशि LIC की एक बीमा सलाहकार हैं। पिछले हफ्ते वह एक लड़की से मिली  जिसके पति की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई और वह अपने पति की बीमा पॉलिसी के पैसे क्लेम करने के लिए एलआईसी कार्यालय आई थी। शशि ने उसे क्लेम के फॉर्म को भरने में मदद की और जब वह फॉर्म लेकर सेटलमेट डेस्क पर गयी, तो उसे पता चला कि उसके पति ने पालिसी चालू ही नहीं रखी, उसके पति ने पालिसी लेने के 6 महीने बाद ही प्रीमियम भरना बंद कर दिया था जिसके कारण पालिसी लैप्स हो गयी और उसे कुछ भी नहीं मिलेगा। उसने वहीँ पर रोना शुरू कर दिया क्योंकि उसके पति की मृत्यु के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। अब वह ये सोच कर परेशान थी कि वो बिना किसी पारिवारिक और वित्तीय सहायता के अपनी और अपने 2 बच्चे को कैसे पालेगी l शशि को उसकी परेशानी महसूस हुई इसलिए उसने अपनी क्षमता के हिसाब से उस लड़की की नैतिक और वित्तीय मदद करने का फैसला किया। उसने उस लड़की को अपना विजिटिंग कार्ड दिया और उसे किसी भी मदद की ज़रूरत होने पे संपर्क करने के लिए कहा। जिससे उस लड़की को शायद कुछ हिम्मत ज़रूर मिली होगी और किसी सुझाव की आवश्यकता होने पर उसने शशि से संपर्क करना भी शुरू कर दिया।
अगर इस लड़की के पति ने इस पालिसी को जारी रखा होता, तो उसे ऐसे दर दर भटकना नहीं पड़ता। मुझे यकीन है कि किसी बेवकूफ ने ही उसके पति को पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान करना बंद करने की सलाह दी होगी क्योंकि मैंने कई लोगों को पॉलिसीधारकों को यह सुझाव देते हुए सुना है  कि बीमा पॉलिसी लाभकारी नहीं है, बीमा पॉलिसी के बजाए कहीं और निवेश करना चाहिए। मेरे विचार में, यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने परिवार की देखभाल करें और अपने पैसे को ऐसे सुनियोजित करें ताकि वह आपकी अनुपस्थिति में आपके परिवार की मदद कर सके। आपको उन्हें आत्मनिर्भर  होने का अवसर प्रदान करके, उन्हें शिक्षा प्रदान करके सशक्त बनाना चाहिए ताकि उन्हें आपकी अनुपस्थिति में उनके अस्तित्व के लिए दूसरों की तरफ न देखना पड़े। जीवन बीमा भी परिवार को आत्मनिर्भर बनाने का एक विकल्प है। यह लड़कीअशिक्षित भी थी जिसके कारण उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिल सकती थी। अगर उसके पिता ने उसे पढ़ाया होता, तो वह एलआईसी सलाहकार भी बन सकती थी जो विकल्प शशि ने उसे शुरुआत में दिया था। अगर उसके पति ने पॉलिसी जारी रखी होती, तो वह पालिसी के पैसे का इस्तेमाल करके कोई छोटा मोटा व्यवसाय शुरू कर सकती थी। इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को बीमा पॉलिसी में अपनी आय का एक छोटा सा हिस्सा निवेश ज़रूर करना चाहिए और अगर आपको एक LIC पालिसी की जरूरत है, तो शशि से संपर्क करें, नीचे उसका विज़िटिंग कार्ड है।

सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैं साझा करना चाहता हूं वह ये है कि आपको प्रीमियम का भुगतान न करके अपनी पॉलिसी बीच में ही नहीं बंद करनी चाहिए क्योंकि जब आपके परिवार को पॉलिसी बॉन्ड मिलता है और इसका दावा करने के लिए वो बीमा कार्यालय जाता है, तो उन्हें  ये जानकर और बड़ा झटका लगता है कि आपकी पालिसी बंद हो चुकी है उस महिला के साथ यही हुआ और उसने अपने मृत पति को सबके सामने वहीँ गली देना शुरू कर दिया। उसने अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपना जीवन बीमा करने का भी फैसला किया है।

Monday, October 22, 2018

आत्म अनुशासन जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। अनुशासनहीनता की कीमत आपकी ज़िन्दगी भी हो सकती है।

हाल ही में दशहरा उत्सव के दौरान अमृतसर में एक बड़ी ट्रेन दुर्घटना हुई है। शुक्रवार को जब लोग रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े थे तब एक तेज़ रफ़्तार ट्रैन से कुचले जाने के कारण 59 से ज्यादा लोग मारे गए और 72 घायल हो गए। कई लोगों ने ड्राइवर द्वारा ट्रैन को न रोके जाने पर सवाल खड़े किये तो कुछ ने आयोजकों पर सवाल उठाये और कुछ ने कहा कि नवजोत कौर दोषी है। हर जगह लोग उन लोगों पर सवाल उठा रहे थे जिनकी ज़िन्दगी खतरे में नहीं थी, लेकिन जिनकी ज़िन्दगी खतरे में थी उनका क्या, उन्होंने अपने जीवन की देखभाल क्यों नहीं की ? जिन लोगों की मृत्यु हो गई या जो घायल हुए उन्हें ही अपने जीवन की परवाह नहीं थी, तो वे दूसरों से अपने जीवन की परवाह करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?


रेलवे क्रॉसिंग पर हर जगह लिखा होता है की पार करने से पहले दोनों तरफ देखें। यह रेलवे पटरियों के आस पास हर जगह लिखा जाता है कि रेल की पटरी पर जाना खतरनाक हो सकता है लेकिन फिर भी, वे रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। इसे आत्म अनुशासन की कमी कहा जाता है। जब आप जानते हैं कि रेलवे ट्रैक पर जाना खतरनाक हो सकता है, तो आप वहां क्यों खड़े होते हैं? हमारे देश के लोग इतने अनुशासनहीन हैं कि सभी नियम, विनियम और चेतावनियां उनके लिए बेकार हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि कहीं भी लिखी गयी चेतावनी उनकी खुद की सुरक्षा के लिए है और उसका बिना किसी दबाव के पालन करना ही आत्मअनुशासन कहलाता है। उन्हें समझना चाहिए कि नियम उनकी सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं और बिना किसी दबाव के उनका पालन करना ही आत्मअनुशासन कहलाता है। इसलिए यदि वे स्वयं अनुशासित होते, तो वे रेलवे ट्रैक पर नहीं खड़े होते और उस दुर्घटना से बच जाते। सरकारों, सिस्टम्स और ओर्गनइजेशन्स को दोषी मानने से दुर्घटनाओं को खत्म करने में मदद नहीं मिलेगी, बल्कि आपको दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्वयं अनुशासित होना होगा।
मैंने देखा है कि लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं। सिग्नल लाल होने पर भी वे अपने पैर एक्सेलरेटर से नहीं हटाते हैं। मैंने भारी ट्रैफिक क्षेत्रों में पैदल यात्रियों को सड़क पार करते देखा है, भले ही सिग्नल वाहनों के लिए हरा है और उनके लिए लाल है। मैंने लोगों को रेड लाइट पर रुकने से बचने के लिए फुटपाथ पर बाइक चलाते देखा है। मैंने रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक बंद होने पर भी लोगो को पार करते हुए देखा है। इसलिए अगर लोग स्वयं अनुशासित होंगे तो नियमों का उल्लंघन नहीं करेंगे, नतीजतन, दुर्घटनाएं और उनसे होने वाली मौतें कम होंगी।

Thursday, September 27, 2018

मैंने 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी जी को वोट नहीं दिया था, लेकिन मैं 2019 के चुनावों में उन्हें वोट दूंगा।

पहले मुझे लगता था कि सभी राजनेता भ्रष्ट और चोर होते हैं क्योंकि ज्यादातर ऐसे ही होते हैं। मैंने अपने बचपन में पापा से श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कुछ अच्छा सुना था, लेकिन किसी से भी किसी अन्य राजनेता के बारे में कभी भी कुछ अच्छा नहीं सुना। इसलिए, मैं राजनीति, मतदान और राजनीतिक मामलों से दूर रहता था। जब मैं अठारह साल का हुआ, मैंने कभी भी किसी राजनीतिक दल या नेता को वोट देने के बारे में कभी नहीं सोचा था क्योंकि मुझे पता था कि वे भ्रष्टाचार और घोटाले करके अपनी जेबें भरने की के अलावा कुछ नहीं करेंगे। इसीलिए मैंने मार्च 2017 से पहले कभी वोट नहीं डाला था लेकिन जब 2014 में नरेंद्र मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री बने, उन्होंने राजनीति और राजनेताओं के बारे में मेरे विचारों को बदल दिया। मुझे राजनीति या राजनीतिक मामलों के बारे में कुछ भी पता नहीं है और मैं लॉजिक के आधार पर अपने सभी फैसले लेता हूं।
पहला लॉजिक यह है कि जब मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री बने, उस समय मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था और नाईट शिफ्ट्स ( रात 10:00 बजे से सुबह  07:00 बजे तक ) कर रहा था। उस समय तक, मैंने समाचार देखने और सुनने में रुचि लेना शुरू कर दिया था और मैं ऑफिस से आने के बाद और जाने से पहले समाचार देखता था। मेरा ऑफिस मेरे घर से केवल 500-600 मीटर दूर था, इसलिए मैं ऑफिस के लिए रात 9:30 बजे निकलता  था और सुबह 07:20 बजे घर लौटता था। ज्यादातर समय, मैंने ऑफिस जाने के पहले उन्हें लाइव खबरों में देखा है और जब मैं ऑफिस से वापस आया, तो भी वह काम करना शुरू कर चुके होते थे। तब मुझे लगा कि एक व्यक्ति, जो इतनी मेहनत करता है, एक भ्रष्ट  राजनेता नहीं हो सकता है। अगर वह अपनी जेब भरना चाहते तो वो इतना कठिन परिश्रम नहीं करते लेकिन वह कड़ी मेहनत करते है क्योंकि वह देश के लिए कुछ करना चाहते है।

उनका समर्थन करने का मेरा दूसरा लॉजिक यह है कि वह हमेशा प्रधान मंत्री के रूप में अपने व्यक्तिगत प्रयासों के साथ साथ कुछ सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों के बारे में भी बात करते हैं। उन्होंने सभी को स्वच्छता पर ध्यान देने और देश की शेष आबादी को एलपीजी प्रदान करने के लिए एलपीजी सब्सिडी छोड़ने का अनुरोध किया जो कि उनकी सच्चाई दिखाता है। मैंने अन्य राजनेताओं को ये दावा करते देखा है कि वे जनता के लिए अकेले सबकुछ कर देंगे लेकिन मोदी जी अपनी योजनाएं सफल बनाने के लिए देश की जनता से भी समर्थन की मांग करते हैं। ये बातें मुझे उनकी नीतियों को वास्तविक और ईमानदार मानने के लिए मजबूर करती हैं क्योंकि मैं समझता हूं कि यदि कोई सरकार कोई पॉलिसी बनाती है लेकिन जनता अपनी रिस्पांसिबिलिटी नहीं निभाती, तो वह सफल नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर सरकार ने प्रत्येक क्रॉसिंग पर लाल और हरे सिग्नल लगा दिए हैं लेकिन जनता उनका पालन नहीं करती है, तो यह सिर्फ पैसे की बर्बादी है। इसलिए, मैं उनके और उनकी नीतियों के साथ खड़ा हूं।


तीसरा लॉजिक यह है कि मैंने अन्य राजनेताओं और राजनीतिक दलों को आतंकवादियों, नक्सलियों और भारत विरोधी लोगों का समर्थन करते देखा है, लेकिन मोदी जी की पार्टी राष्ट्रवाद और भारतीय सेना का समर्थन करती है। कांग्रेस का एक नेता पाकिस्तान जाता हैं और कहता हैं कि उसे भारत में नफरत और पाकिस्तान में प्यार मिलता है। मैं उस पार्टी का समर्थन कैसे कर सकता हूं जिसके नेता भारतीयों को नफरत करते हैं। कांग्रेस का एक नेता आतंकवादियों को क्रूरता से मारने पर भारतीय सेना  पर सवाल उठाता है और बीजेपी ही एकमात्र पार्टी है जो भारतीय सशस्त्र बलों के साथ खड़ी दिखती है। दूसरी तरफ, जब आतंकवादी भारतीय सेना के सैनिकों को मार देते हैं, तो सभी कांग्रेस नेता और अन्य पार्टियां अपने घरों में चुपचाप बैठ जाती हैं। यह स्पष्ट रूप से मुझे ये मानने को मजबूर करता है कि कांग्रेस आतंकवाद समर्थक और भारत विरोधी पार्टी है और बीजेपी राष्ट्रवादी पार्टी है।
चौथा लॉजिक यह है कि कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं और संस्थानों द्वारा मोदी जी की तारीफ की गई है। हाल ही में उन्हें हाईएस्ट एनवायर्नमेंटल ऑनर से सम्मानित किया गया है। यह उनकी नीतियों का नतीजा है जिसने भारत को इंटरनेशनल सोलर अलायन्स में एक चैंपियन बना दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस और राहुल गांधी की केवल पाकिस्तान द्वारा सराहना की जाती है जो मुझे कांग्रेस का समर्थन करने के लिए राजी नहीं करती क्योंकि पाकिस्तान खुद ही एक आतंकवादी देश है। मोदी जी को चोर बुलाए जाने पर पाकिस्तान द्वारा समर्थित एक पार्टी पर कम से कम मैं तो भरोसा नहीं कर सकता । मेरे अनुसार, राहुल गांधी को पाकिस्तानी नेता को जवाब देना चाहिए था कि उन्हें पाकिस्तान के समर्थन की ज़रूरत नहीं है और हमारे प्रधान मंत्री को गली देने का अधिकार नहीं है। यह हमारा आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को हमेशा इसके बाहर रहना चाहिए।

पांचवां लॉजिक यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों और अन्य चीजों की बढ़ती कीमतें मुझे विचलित नहीं करती हैं क्योंकि मुझे पता है कि कांग्रेस सरकार में भी महगाई बढ़ रही थी और यदि वे उसे नियंत्रित करने में सक्षम थे, तो कैसे बीजेपी ये दावा करके सत्ता में आ गई की वो महंगाई कम कर देंगे ?  नीचे पेट्रोलियम उत्पादों पर मेरी पोस्ट पढ़ें:
छठा लॉजिक यह है कि मुझे वर्तमान में मोदी जी के अलावा कोई नेता नहीं दिखता जो भारत का प्रधान मंत्री बनने के लायक हो। हमारे देश का प्रधान मंत्री मोदी जी के जैसा ही शक्तिशाली होना चाहिए। कुछ और मुद्दे भी हैं,जिनके बारे में मैंने समाचार में देखा। मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के मामले में एंटीगुआ सरकार से बात करने के लिए आज हमारी विदेश मंत्री एंटीगुआ में है। मोदी सरकार ही एकमात्र सरकार है जो मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे फ्रॉड्स से निपटने के लिए आर्थिक अपराध विधेयक लेकर आयी थी। मैंने आज भी खबरों में देखा है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुअल मैक्रॉन ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए राफेल मामले पर मोदी जी का समर्थन किया। ये सभी मामले मुझे यह विश्वास करने के लिए भी मजबूर करते हैं कि मोदी सरकार भारत देश की जरूरत है।

मैंने आज ये पोस्ट लिखी क्योंकि मैं अगले चुनावों में उनकी हार से डरता हूं। जिस तरह से लोग मोदी सरकार के खिलाफ बात कर रहे हैं, वे मुझे डराते हैं कि मोदी जी शायद इस बार हार सकते हैं क्योंकि भारत में रहने वाले भारत-विरोधी एकजुट हैं और असली भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों, आरक्षण और अन्य मुद्दों के कारण अपनी एकता खो रहे है जबकि ये मुद्दे कांग्रेस सरकार द्वारा भी हल नहीं हो पाएंगे। इसलिए मैं 2019 के आम चुनावों में मोदी जी को वोट दूंगा, सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं मेरा एक वोट न मिलने से वो हार न जाएँ ।

Saturday, September 22, 2018

न केवल अपने परिवार से प्यार करें बल्कि उन्हें अपना प्यार महसूस भी होने दें।

पिछले हफ्ते, मेरे एक दोस्त ने बताया कि वह अपने बच्चे के लिए पटाखे खरीदने जा रहा है। हालांकि दिवाली एक महीने बाद है, लेकिन दिवाली के दौरान पटाखा विक्रय बैन हो जाने के कारण वह पहले से ही खरीद लेना चाहता था जिससे उसके बच्चे की दिवाली की मस्ती में कोई कमी न आये। सभी माता-पिता दावा करते हैं कि वो अपने बच्चे से प्यार करते है और मुझे आशा है की वो करते होंगे पर ये बंदा अपने बच्चे को ख़ुशी देने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहता है । उसने मुझे बताया कि उसे पटाखे जलाना पसंद नहीं है  लेकिन उसने अपनी शादी के बाद, अपनी पत्नी की खुशी के लिए और बाद में बच्चे की भी ख़ुशी के लिए भी ऐसा करना शुरू कर दिया। मुझे उसका उसके परिवार के लिए प्यार देखकर अच्छा लगा।


सभी माता-पिता अपने बच्चों से प्यार करते हैं, ज्यादातर लोग अपने परिवार से प्यार करते हैं लेकिन वे अपने परिवार के सदस्यों / बच्चों को इस इंसान के विपरीत अपने प्यार को महसूस करने नहीं देते हैं। अपने परिवार / बच्चों को प्यार करना ही ज़रूरी नहीं है बल्कि उनकी खुशी की आवश्यकता को समझना भी ज़रूरी है। इस तरह से ही परिवार बनता है। अगर आपको नहीं पता कि आपके बच्चे को कैसे ख़ुशी मिलती है, तो ये दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि आप उसे प्यार करते हैं। यदि आप अपने परिवार की खुशी के लिए किसी चीज़/बात पर कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना चाहते हैं, तो ये दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि आप उन्हें प्यार करते हैं। यदि आपके परिवार का कोई सदस्य आपके फैसले से सहमत नहीं है और यह आपके अहंकार को नुकसान पहुंचाता है और आपको उसे अपने जीवन अलग कर देने  के लिए मजबूर करता है, तो ये कहने का कोई मतलब नहीं है कि आप उसे प्यार करते हैं। जिनके पास ऐसा  परिवार है जो किसी भी शर्त के बिना उन्हें प्यार करता है, वो भाग्यशाली लोग हैं। हर किसी को ऐसा परिवार बनने की कोशिश करनी चाहिए जिसके पास अपने परिवार के सदस्यों से प्यार करने के बदले कोई शर्त न हो। जिनके लिए उनका आधारहीन अहंकार ही सबकुछ हैं वे परिवार के नाम पर कलंक हैं। अगर आपको अपने परिवार की खुशी से ज्यादा ज़रूरी कुछ और नहीं लगता है, तो केवल आप ही अपने परिवार के सदस्यों के लिए एक अच्छा परिवार बन सकते हैं।

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि मानवता को नुकसान, कोई गैर क़ानूनी काम और किसी इंसान/जीव को कष्ट देने के अलावा हर इंसान को अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहना चाहिए।





Saturday, September 15, 2018

मानवाधिकार मनुष्यों के लिए होना चाहिए, न कि आतंकवादियों के लिए।

मैंने आज खबरों में देखा कि कुछ राजनेता रस्सी के माध्यम से आतंकवादियों के मृत शरीर को  सुरक्षा बलों द्वारा घसीटने पर सवाल उठा रहे थे। मुझे इसके कारण मानवता को कोई नुकसान पहुँचता नहीं दिख रहा है और ये भी तो हो सकता है कि कुछ सुरक्षा कारणों से सुरक्षा बलों ने उन लाशों को रस्सी के माध्यम से खींचा हो, और इन राजनेताओं को हमेशा आतंकवादियों, अलगाववादियों और नक्सलियों के लिए दर्द क्यों महसूस होता है। जब आपके घर या धर्म स्थल पर कोई आवारा कुत्ता या सुअर मर जाता है, तो क्या आप उसकी लाश को उस जगह से हटाने के लिए एक ताबूत की व्यवस्था करते हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता। मैंने लोगों को सार्वजनिक स्थान या अपने घर के आस पास से कुत्ते या सूअर के मृत शरीर को रस्सी के माध्यम से ही खींच कर हटाते देखा है। आतंकवादियों के मृत शरीर के साथ भी सुरक्षा बलों ने यही किया है।

अब सवाल यह है कि उन राजनेताओं इससे परेशानी क्यों है? क्या सुरक्षा बलों ने उनके प्रियजनों की लाशों को रस्सी से खींचा था। और यदि वे आतंकवादियों के मानवाधिकारों के बारे में बात कर रहे हैं, तो उन्हें पहले मानव होने के गुणों को समझना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि आतंकवादियों के पास मनुष्य होने  का एक भी गुण है, तो फिर उनके लिए कोई मानव अधिकार क्यों होना चाहिए। इसके अलावा मेरा इन राजनेताओं से एक सवाल है कि जब आतंकवादी निर्दोष जनता और सैनिकों को मारकर उनके शरीर के साथ बर्बरता करते हैं तब ये नेता मानवाधिकारों के बारे में क्यों नहीं बोलते हैं। वे उन आतंकवादियों से बात क्यों नहीं करते और उन्हें मानवाधिकारों का सबक क्यों नहीं सिखाते हैं।
मुझे पता है कि इन राजनेताओं को उनकी कुर्सी को छोड़कर किसी की परवाह नहीं है क्योंकि ये सिर्फ जनता के पैसे लूटना चाहते हैं और अपने खजाने को भरना चाहते हैं। ये नेता सही लोगों के लिए कभी नहीं लड़ते हैं, लेकिन वे उन मुद्दों के लिए ज़रूर लड़ते हैं जो उन्हें सत्ता में आने में मदद कर सकते हैं। इस मुद्दे को उठाकर वे अलगाववादियों, माओवादियों, नक्सलियों और उन लोगों के वोट जीतना चाहते हैं जो भारत में रहते हैं लेकिन भारत-विरोधी हैं। ये राजनेता यह भी जानते हैं कि बाकी के लोगों को देश के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें जाति, धर्म और मुफ्तखोरी के आधार पर तोडा जा सकता है।
यही समय है कि हम इस तरह के राजनेताओं को राजनीतिक व्यवस्था से बाहर निकाल फेंकें, ताकि हमारे सुरक्षा बल जो हमारी और हमारे देश की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं, किसी भी निंदा का सामना किये बिना अपने कर्त्तव्य का पालन कर सकें ।

Saturday, September 8, 2018

अयोग्य लोग ही आरक्षण की मांग करते हैं। जाति और धर्म पर आधारित आरक्षण के कांसेप्ट को सिस्टम से हटाना बहुत ज़रूरी है।

पिछले 2-3 सालों से आरक्षण एक ट्रेंडिंग विषय रहा है। इन दिनों अल्पसंख्यक, जाट, पटेल और कई अन्य समुदायों के लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। ये लोग हमारे देश के विकास के लिए खतरा हैं। इन्हे आरक्षण क्यों चाहिए? आरक्षण के आधार पर नौकरी पाने के बजाय खुद को नौकरी के लिए योग्य बनाने के लिए वे कड़ी मेहनत क्यों नहीं कर सकते? आरक्षण के आधार पर उन्हें कॉलेज में प्रवेश क्यों लेना चाहिए, भले ही उनका प्रतिशत कई अन्य योग्य छात्रों की तुलना में बहुत कम है? हमारे देश में इन अयोग्य लोगों की वजह से बड़ी संख्या में प्रतिभाएं बर्बाद हो रही हैं क्योंकि प्रतिभाशाली लोगों को देश की सेवा करने का अवसर नहीं मिल रहा है क्योंकि उन सीटों को इन अयोग्य उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया है। ये लोग नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं हैं लेकिन उन्हें आरक्षण के दम पर नौकरी मिल जाती है और योग्य उम्मीदवार बेहतर ज्ञान और समझ के बाद भी इन बेवकूफों के पीछे खड़े रह जाते हैं।
जब मैं कॉलेज में एडमिशन के लिए गया था, तो प्रॉस्पेक्टस के हिसाब से आरक्षित वर्ग के छात्रों को प्रवेश पाने के लिए बाकी छात्रों की तुलना में 10% कम अंक चाहिए। मैं जानना चाहता हूं कि इस कांसेप्ट के पीछे तर्क क्या है। क्या आपकी जाति या धर्म आपको अच्छी तरह से पढाई करने और बेहतर अंक प्राप्त करने से रोकता है? मुझे ऐसा नहीं लगता। एक छात्र, जिसने प्रवेश के लिए आवश्यक अंक अर्जित किए, अयोग्य हो गया क्योंकि वो सीट 10% कम अंक वाले आरक्षित वर्ग के छात्र को मिल गयी। आरक्षित वर्ग के एक योग्य उम्मीदवार को देकर वह एक सीट बर्बाद कर दी गई है। वह आरक्षित वर्ग का छात्र जिसके अंक उस सीट के लिए पुरे नहीं थे, अपनी अगली परीक्षाओं में भी बेहतर अंक नहीं ला पाएगा, और अनारक्षित वर्ग के योग्य छात्र को आगे के अध्ययन का अवसर नहीं मिलेगा क्योंकि उनके पास अच्छे अंक हैं लेकिन आरक्षण नहीं हैं।
इसी तरह, जब सरकारी नौकरियां निकलती हैं, तो सरकार उचित उम्मीदवार, जो नौकरी ठीक से कर सकता है,  को खोजने के लिए योग्यता मानदंड निर्धारित करता है  लेकिन जब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार उसी नौकरी के लिए आवेदन करता है, तो सरकार योग्यता मानदंडों को बदल देती है। मैं जानना चाहता हूं कि कौन सा तर्क उस आरक्षित वर्ग के छात्र को नौकरी के लिए योग्य बनाता है जिसके लिए वह योग्य नहीं होता अगर वह आरक्षित वर्ग से नहीं होता। आरक्षण के कारण ये  अयोग्य उम्मीदवार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेकर वहां का माहौल खराब कर रहे हैं। आरक्षण के कारण ये अयोग्य लोग महत्वपूर्ण पदों पर बैठ रहे हैं और हमारे देश के भविष्य का बेड़ागर्क  कर रहे हैं।
मेरे अनुसार, जाति और धर्म पर आधारित आरक्षण अपने देश को खोखला करने के एक तरीके से ज्यादा कुछ नहीं है। अभी भी समय है, अगर हमारी सरकार सिस्टम से इन आरक्षणों को समाप्त कर दे, तो यह हमारे देश के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। साथ ही जो लोग आरक्षण मांगते हैं वे एक भिखारी से ज्यादा कुछ नहीं हैं जो बिना किसी प्रयास के जीवन में सब कुछ चाहते हैं। इन लोगों को काम करना शुरू कर देना चाहिए और आरक्षण की भीख मांगने के बजाय जीवन में कुछ भी हासिल करने के लायक बनने की कोशिश करनी चाहिए।

Saturday, September 1, 2018

मानवता अभी भी जीवित है, आइए इसे मरने न दें।

मैंने लोगों की संवेदनहीनता के बारे में कई ख़बरें देखीं हैं, जो मानवता और समाज के लिए हानिकारक है। हर दूसरे दिन, समाचार चैनल मौके पर उपस्थित लोगों की संवेदनहीनता के कारण सड़क दुर्घटना में पीड़ित की दर्दनाक मौत की खबर दिखाते हैं। हालांकि मैंने हाल ही में कुछ दुर्घटनाएं देखीं जहां लोगों ने मानवता की एक महान भावना दिखाई।
कुछ हफ्ते पहले, मैं वसंत विहार से छतरपुर जा रहा था। मैं वसंत स्क्वायर मॉल के पास एक चौराहे पर  सिग्नल के हरे होने की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे ही  सिग्नल मेरे लिए हरा हुआ और दूसरी तरफ लोगों के लिए लाल हुआ, एक ऑटो रिक्शा (तीन पहिया) चालक ने  यू टर्न लेने की कोशिश की। ऑटो रिक्शा असंतुलित हो गया क्योंकि ड्राइवर गति को नियंत्रित नहीं कर सका और ऑटो रिक्शा पलट गया। वहां पर मौजूद लोगों ने सेकेंडों के भीतर ऑटो रिक्शा उठा दिया और पीड़ितों को निकालने में मदद की। इस घटना के बाद, मुझे लगा कि मानवता अभी भी जीवित है और लोग दूसरों के दर्द को आज भी महसूस करते हैं।
मैंने पिछले हफ्ते एक और दुर्घटना देखी। मैं सुबह ऑफिस जा रहा था। सिग्नल लाल था लेकिन एक बुजुर्ग आदमी बाइक से सिग्नल तोड़ते हुए और दूसरी तरफ के बाइक वाले को टक्कर मार दी और खुद ही सड़क पर गिर गए। वह व्यक्ति, जिस को टक्कर पड़ी थी, खुद को सँभालते हुए ट्रैफिक वॉइलेटर की ओर दौड़ा और उसकी बाइक उठाकर उसे उठने में मदद की।
इन दोनों के अलावा, मैंने कुछ और घटनाएं देखी हैं जहां लोगों ने दूसरों की मदद ऐसे की जैसे कि वे स्वयं के लिए सहायता चाहते थे। मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि हमें दूसरों के दर्द को समझने के इस दृष्टिकोण को जारी रखना चाहिए और इन अवांछित परिस्थितियों को दूर करने में दूसरों की मदद करते रहना चाहिए, इस तरह हम मानवता की भावना को बचा सकते हैं और इस धरती को जीने के लिए एक बेहतर जगह बना सकते हैं।

Sunday, August 12, 2018

धार्मिक आयोजनों के नाम पर अराजकता फैलाकर हिंदुत्व को बदनाम करना बंद करो।

पिछले हफ्ते, श्रावण महीने की महाशिवरात्री के अवसर पर विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित कावड़ यात्रा के दौरान कुछ अराजक घटनाएं हुई हैं। मैंने उन वीडियो को देखा है जहां कुछ असामाजिक मानसिकता के लोग इस पवित्र यात्रा के दौरान अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे थे। इन पवित्र घटनाओं और यात्राओं में इन अराजकतावादियों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अब सवाल यह है कि इन घटनाओं में भाग लेने से इन घटिया लोगों को कौन रोकेगा ? जाहिर है यात्रा के आयोजक रोकेंगे। आयोजकों यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके किसी भी आयोजन में आपराधिक मानसिकता का एक भी व्यक्ति उपस्थित न हो क्योंकि यह हर हिंदू की ज़िम्मेदारी है कि वह हिंदुत्व को बदनाम होने से रोके। मैं इनकी हरकतें देखकर हैरान था, आप भी देखिये,
भगवान शिव इस तरह के अराजक और आपराधिक कृत्यों के द्वारा समाज और मानवता को डराने का अधिकार किसी को भी नहीं देते हैं। वह इंसान असली शिवभक्त हो ही नहीं सकता जिसके पास न तो धैर्य है, न क्षमा करने की शक्ति और न ही क्रोध पर नियंत्रण। यदि आप खुद को शिवभक्त समझते हैं, तो पहले उपर्युक्त गुणों का और इंसानियत का पालन करना सीखें। यदि आप किसी भी धार्मिक आयोजन के आयोजक हैं, तो यह सुनिश्चित करना आपकी ज़िम्मेदारी है कि आयोजन में सम्मिलित सभी लोगों में  धैर्य, क्षमा करने की शक्ति और अपने क्रोध पर नियंत्रण हो।
जो लोग सोचते हैं कि वे बहुत शक्तिशाली हैं और वे इन आयोजनों के दौरान अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश करते हैं, वे शक्तिशाली नहीं बल्कि डरपोक हैं जो धार्मिक आयोजनों के पीछे खुद को छुपाकर अपने अराजक कृत्यों को अंजाम देते हैं। यदि वे सच में इतने शक्तिशाली हैं तो वे कश्मीर जाकर आतंकवादियों और पत्थरबाजों से क्यों नहीं लड़ते हैं। यदि वे सच में इतने शक्तिशाली हैं तो वे उन नेताओं पर हमला क्यों नहीं करते जो भारत के खिलाफ बोलते हैं। मैं बताता हूँ कि वे ऐसा क्यों नहीं करते क्योंकि उनमे अपने दम पर कुछ करने की हिम्मत है ही नहीं। ये इतने बड़े कायर और डरपोक होते हैं कि भोलेनाथ के भक्तों के पीछे छिपकर निर्दोष लोगों पर हमला करके  उन्हें और हिंदुत्व दोनों को बदनाम करते हैं। यदि आप उनमें से एक हैं, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप बहुत ही घटिया इंसान हैं जो न तो समाज में रहने लायक है न ही हिन्दू कहलाने के लायक हैं और अगर आप उनमें से नहीं हैं और भगवान शिव और हिंदुत्व के असली follower हैं, तो ऐसे लोगों को  पहचानना और उन्हें किसी भी धार्मिक आयोजन, सभा या स्थान से दूर रखना आपकी भी ज़िम्मेदारी है।

Sunday, August 5, 2018

उस मजहब का पालन न करें जो मानव जाति और मानवता के कल्याण से ऊपर खुद को बताता है।

इन दिनों, कुछ समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के कारण रोज मानवता का संहार किया जा रहा है और मजहब के नाम पर अपराध को Justify किया जा रहा है जो कि मानवता के लिए घातक है। और इसके लिए ज़िम्मेदार वो हैं जो अपने मजहब के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठाते हैं। मैंने किसी भी धर्मग्रन्थ को अब तक नहीं पढ़ा है, इसलिए मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, लेकिन यदि आपका धर्मग्रन्थ  उन बातों का समर्थन करता है जो मानवजाति की लिए नुकसानदेह है, तो आपको उसमे लिखी उस बात को नहीं मानना चाहिए। अगर कोई धर्मगुरु, धर्मग्रन्थ या मजहब मानवता को नुकसान पहुंचाता है तो हमें उसके खिलाफ जाना चाहिए। मानव जाति के कल्याण के लिए अगर आप मजहब के खिलाफ जाते हैं तो ईश्वर आपसे ज्यादा खुश होगा।
यदि आपका मजहब कहता है कि जो इंसान भगवान के उस नाम को नहीं मानता जिसे आप मानते हैं तो उसे  मार देना चाहिए , तो आपको अपने धर्म के खिलाफ जाना चाहिए। यदि आपका मजहब पुरुष  और महिलाओं दोनों को बराबर अधिकार नहीं देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि किसी भी इंसान को वो अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए जिनका दुरूपयोग वो दूसरे लिंग के इंसान पर हावी होने के लिए कर सके। यदि आपका मजहब आपको दूसरे मजहब का सम्मान नहीं करने देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि ये धार्मिक दंगो और अराजकता के जन्मदाता हैं और यह नरसंहार पैदा करता है जो स्पष्ट रूप से मानवता के खिलाफ है। यदि आपकी धार्मिक मान्यताएं आपको किसी इंसान को बिना उसकी बात सुने मारने की इजाजत देता है या मजबूर करता हैं, तो आपको भी अपने मजहब और उसकी मान्यताओं पर पुनर्विचार करना होगा। यदि आपका मजहब किसी व्यक्ति को कई पत्नियां रखने के अधिकार देता है तो उसे एक महिला को कई पति रखने  का अधिकार भी देना चाहिए (बशर्ते महिला की मर्ज़ी के मुताबिक) और यदि आपका मजहब किसी महिला को यह अधिकार नहीं देता है, तो वह मजहब Follow करने के लायक ही नहीं है। यदि आपका मजहब, देश से बड़ा मजहब को मानने के लिए आपको विवश करता है  तो उससे बुरा मजहब कोई नहीं हो सकता। यदि आपका मजहब अन्य मजहबों द्वारा माने जाने वाले ईश्वर के नाम का सम्मान नहीं करता है, तो आपका मजहब आपको गलत Track पर ले जा रहा है क्योंकि ईश्वर केवल एक है, जिसके  कई नाम हैं और यदि आप भगवान के दूसरे नाम का अनादर करते हैं, तो भी आप ईश्वर का ही अपमान कर रहे हैँ।
ऊपर बताए गए सभी Points किसी न किसी तरीके से मानवता के लिए हानिकारक हैं। उनमें से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ परोक्ष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनमें से कुछ विभिन्न मजहबों के अनुयायियों के आपसी भाईचारे के लिए हानिकारक हैं जिससे  नफरत और अराजकता की उत्पत्ति होती है जिसके फलस्वरूप मानवता को नुकसान पहुँचता हैं। कुछ प्रत्यक्ष हत्याएं करके मानवता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए अपने मजहब का अन्धविश्वास के साथ पालन करने के बजाय बुद्धिमानी से पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि मजहब की कोई भी मान्यता, मानवता और मानव जाति को नुकसान न पहुंचा रही हो क्योंकि मजहब और उसके नियम-कानून बनाने वाले भी इंसान ही  थे और क्या पता उन्होंने नियम बताते वक़्त कुछ गलती कर दी हो इसलिए  कृपया अपने मजहब में मौजूद बुराईयों को खत्म करने के लिए उसके खिलाफ खड़े हो जाओ और दुनिया के सबसे अच्छे धर्म की सेवा करें जो कि मानवता है।

Saturday, July 28, 2018

लोग नकारात्मक बातों और कृत्यों के बारे में बात करके, उस पर प्रतिक्रिया करके और उन्हें दूसरों के साथ शेयर करके जो तवज्जो नकारात्मकता को देते हैं उसी के कारण पूरे देश और समाज में नकारात्मकता फैली हुई है।

आज हम अपने देश में हर जगह नकारात्मकता का अनुभव कर रहे हैं। राजनीति, फिल्म उद्योग, बड़े व्यवसायी, और धर्म गुरु, ये सभी हमें नकारात्मकता बेचकर अपनी इरादों में सफल हो रहे हैं लेकिन इनके द्वारा बेचीं हुई नकारात्मकता मानवता को नुकसान पहुंचा रही है। नेता सामाजिक और धार्मिक विवाद पैदा करते हैं जो उन्हें मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद करता हैं लेकिन यही सब समाज में घृणा और अराजकता भी पैदा करता हैं। फिल्म निर्मता और अभिनेता Sexual और असामाजिक Statements और गतिविधियों के द्वारा Controversy करके अपनी फिंल्मे Promote करते हैं लेकिन इस प्रकार की गतिविधियां और बयान युवाओं के सोच को प्रदूषित करते हैं। न्यूज़ चैनल उस सेलिब्रिटी, नेता और धर्म गुरु को ज्यादा फुटेज देते हैं जो अराजक और असामाजिक भाषण और बयान देते हैं। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किसी नकारात्मक समाचार या बयान को कोई तवज्जो न दें । आपको पता होना चाहिए  कि ये नेता, समाचार चैनल, फ़िल्मी हस्तियां और धर्म गुरु आपके लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि वो अपने अराजक भाषण और बयान आपको बेचकर अपनी दुकानों को चला रहे हैं। वे अपने उद्देश्यों में सफल हो रहे हैं क्योंकि आप वही कर रह हैं जो वो चाहते हैं औरआप वो नहीं कर रहे हैं जो आपको करना चाहिए। सोशल मीडिया पर, आपको ऐसी किसी पोस्ट या समाचार पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो घृणा, नकारात्मकता और विवाद फैलती है। अगर वो समाचार या पोस्ट आपको पसंद नहीं है, तो आपको उस पर कमेंट करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्यूंकि जैसे ही आप किसी पोस्ट पर कमेंट करते हैं, आपके Contacts को वो पोस्ट Newsfeed में दिखने लगती है और जब वो उस पर कमेंट करते हैं, तो उनके Contacts को वो पोस्ट Newsfeed में दिखने लगती है और इस तरह आप उस पोस्ट/ समाचार को पसंद न करते हुए भी पूरे देश में उस पोस्ट/ समाचार को फैलाने में उन लोगों की मदद करते हैं। ऐसी बेकार की पोस्ट्स पर react करना तुरंत बंद करें क्योंकि आपको दूसरों को उनके नकारात्मक और दूषित उद्देश्यों को पूरा करने में मदद नहीं करनी चाहिए। बेहतर यह होगा कि आप उन पोस्ट्स और समाचारों को ignore कर दे और सिर्फ उन Posts / समाचारों पर ही  react करें या उन Posts / समाचारों को ही शेयर करें जो समाज की भलाई के लिए हैं। यदि आप उन न्यूज़  चैनलों को देखना बंद कर देते हैं जो अराजक नेताओं, हस्तियों और धर्म गुरुओं को अधिक फुटेज देते हैं, तो उनके चैनल की टीआरपी नीचे जाएगी और वे उन्हें फुटेज देना बंद करेंगे। यदि आप उन फिल्मों को नहीं देखते हैं जो केवल नकारात्मकता दिखाते हैं, तो फिल्म निर्माता वैसी फिल्मे बनाना  बंद कर देंगे। अगर आप उन Songs को सुनना बंद कर देते हैं जो एक लड़की के बारे में बकवास करते हैं, तो संगीतकार इस तरह के संगीत को बनाना बंद कर देंगे। एक और बात, ये सोचना बिलकुल बंद कर दें कि आप अकेले दुनिया को नहीं बदल सकते क्योंकि हर कोई यही सोचता है लेकिन सोचो, कि अगर हर कोई ये सोचने लगे कि वह नकारात्मकता को रोकने के और सकारात्मकता फैलाने के अपने प्रयासों को बंद नहीं करेगा फिर चाहे बदलाव आये या न आये, तो बदलाव अपने आप आ जायेगा।
मेरी राय में, हर इंसान को केवल सकारात्मक समाचार ही देखने चाहिए, सकारात्मक पोस्ट और लोगों के बारे में ही बात करनी चाहिए, सकारात्मक पोस्ट्स पर ही react करना चाहिए और उन्हें ही शेयर  करना चाहिए और नकारात्मक समाचार, पोस्ट और लोगों को पूरी तरह से Ignore करना चाहिए, तभी हम  अपने समाज, देश और इस दुनिया से नकारात्मकता को खत्म कर सकते हैं।

Saturday, July 21, 2018

जो माता पिता अपने बच्चों की खुशियों से ज्यादा महत्व अपनी झूठी इज़्ज़त और शान को देते हैं, उनके जीवन में खुशियों का होना, एक मिथ्या मात्र ही हैं।

पिछले हफ्ते, मैं विभिन्न चैनलों को बदल कर टी. वी. पर एक अच्छा कार्यक्रम या समाचार ढूंढने की कोशिश कर रहा था। मुझे एक धारावाहिक मिला, जिसमें एक लड़की के साथ बलात्कार किया गया था और दूसरी लड़की उसको (बलात्कार पीड़ित) न्याय दिलाने के लिए लड़ रही थी लेकिन पीड़ित का पिता समाज में अपने झूठे आत्म सम्मान को बचाने के लिए उसे रोकने की कोशिश कर रहा था। यह एक टीवी धारावाहिक की कहानी थी लेकिन यह वास्तविक दुनिया में भी होता है। मध्यम वर्ग के परिवारों में, अगर किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है, तो उसके माता-पिता उस लड़की को ही बहार निकलने से मना करते हैं या उसको ही रास्ता बदलने को बोलते हैं, हमारे समाज के लोग लड़की के कपड़ों और उसके रवैये को ही उसके साथ हुई हर छेड़खानी के लिए ज़िम्मेदार बताते हैं और लड़की के माता-पिता अपनी बेटी के साथ खड़े होने की बजाय ढोंगी समाज के साथ खड़े होते हैं। ये वे लोग हैं जो कभी भी अपने जीवन में खुश नहीं रह सकते हैं क्योंकि वे समाज में अपनी झूठी इज़्ज़त के लिए अपने बच्चों के खिलाफ खड़े रहते हैं लेकिन वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते हैं कि जो समाज उस लड़की के दर्द को नहीं समझ सकता जिसके साथ छेड़छाड़ या बलात्कार हुआ, वह समाज ज़रूरत के समय उनके (माता-पिता) दर्द को क्या समझेगा।
एक बार मेरी एक दोस्त ने मुझे उसके भाई के द्वारा की गई छेड़छाड़ और उसके माता-पिता द्वारा दी गई नसीहत के बारे में बताया। उसने मुझे बताया कि उसके अपने भाई ने उसके साथ यौन शोषण किया और जब उसने अपनी माँ को इसके बारे में शिकायत की, तो उन्होंने (उसकी माँ) कहा कि वह बड़ा हो रहा था और शायद नींद में ऐसा कर दिया होगा। उन्होंने (उसकी माँ)  उस लड़की को ही उससे सावधान रहने की नसीहत देदी। ये वे माता-पिता हैं जो माता-पिता होने के लायक नहीं हैं। ये वे माता-पिता हैं जो अपने जीवन में खुश रहने के लायक नहीं हैं। इस महिला (उसकी माँ) के पास उसके पूरे परिवार के लिए केवल एक कमरा है, बाकी सभी कमरों को उसने किराये पर चढ़ा रखा है। उसने तीन बच्चों को तो पैदा किया लेकिन उनके सुरक्षित रहने के लिए तीन अलग-अलग कमरे नहीं बनाए और जब उसके बेटे ने उसकी बेटी के साथ यौन शोषण किया, तो उसने अपनी बेटी का समर्थन करने के बजाय अपने बेटे का समर्थन किया। मेरी राय में, इस तरह के माता-पिता अपराधियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। ऐसे माता-पिता सिर्फ दुःख और दुर्भाग्य ही Deserve करते हैं।
हमारे समाज में ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चों की शादी अपने पसंद की लड़की/लड़के से कराने की ज़िद करते हैं, भले ही वे जानते हों कि उनके  बेटे/ बेटी को दूसरी लड़की / लड़का पसंद है। उन्हें अपने बच्चे की खुशी की परवाह नहीं है बल्कि उन्हें समाज में उनकी झूठी इज़्ज़त की ज्यादा परवाह होती है, इसीलिए वे अपने बच्चे की खुशियों को नजरअंदाज करते हैं और उन्हें किसी और के साथ शादी करने के लिए मजबूर करते हैं जिसे वे (माता-पिता) और उनके समाज के लोग पसंद करते हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि उनके बच्चे क्या चाहते हैं। हमारे समाज में ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चे को उसकी पसंद का करियर चुनने में भी Support नहीं करते हैं क्योंकि वे और उनका समाज सोचता है कि वह (बच्चे) अपने पसंद के करियर में सफल नहीं हो सकता है। उन्हें समझ ही नहीं आता कि Failure कोशिश न करने से बेहतर है। वह ये समझने की कोशिश ही नहीं करते की उनके बच्चे को जीवन भर इस बात का पछतावा रहेगा की वह उस काम को करने की कोशिश भी नहीं कर सका जो करने में वह सक्षम है। और जब कोई बच्चा बाग़ी हो जाता है, तो वे अपने बच्चे को ही कोसते हैं लेकिन वे अपने बच्चे की भावना को तब भी नहीं समझते हैं और उनके (माता-पिता) जीवन में ख़ुशी का होना एक मिथ्या मात्र ही बन जाता है। मेरी राय में, माता पिता को बच्चों पर अपनी मर्ज़ी थोपने के बजाय बच्चे को जन्म देने से पहले ही उसके जन्म के बाद आने वाली किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

Thursday, July 12, 2018

अगर कोई Company आपसे 1पैसा भी ज्यादा Charge करती है तो उसके खिलाफ आवाज़ ज़रूर उठायें।

पिछले हफ्ते हम द्वारका के बचत बाजार में विंडो शॉपिंग करने गए थे। पर जब वहां हमारे उपयोग की कुछ चीजें मिलीं, तो हमने उन्हें खरीद लिया और ₹80.51 का भुगतान करने के लिए कैशियर को अपना क्रेडिट कार्ड दिया लेकिन उसने राउंड ऑफ करके ₹81.00 चार्ज किया। नीचे बिल देखें:


पहले तो हमने 49 पैसे के एक्स्ट्रा चार्ज को नजरअंदाज कर दिया लेकिन अगले ही पल में हमने सोचा कि उसने राउंड ऑफ क्यों किया और मुझे 49 पैसा का extra क्यों भुगतान करना चाहिए। क्यूंकि  मैं क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान कर रहा था, तो वह ₹ 81.00 के बजाय ₹ 80.51 भी चार्ज कर सकता था क्योंकि इस मामले में खुल्ले पैसों की भी कोई समस्या नहीं थी। हमने स्टोर मैनेजर को वही बात कही तो वो बोला कि सिस्टम नहीं जानता कि मैं cash के माध्यम से भुगतान नहीं कर रहा था और यही कारण है कि सिस्टम राउंड ऑफ कर देता है  मैंने उसे बोला की अपने Systems को Upgrade करो क्यूंकि मैं दूसरे स्टोर्स में भी शॉपिंग करता हूँ और वो extra amount चार्ज नहीं करते हैं और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करते समय वे राउंड ऑफ नहीं करते हैं, इसलिए बचत बाजार को भी राउंड ऑफ और छुट्टे पैसों की दिक्कत के नाम पर ग्राहक से एक्स्ट्रा चार्ज नहीं करना चाहिए। उसने कहा कि वह इस पर काम करेंगे और सिस्टम उपग्रडेशन के माध्यम से इस समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे । हालांकि मुझे पता है कि वह कुछ भी नहीं करेगा लेकिन मुझे लगता है कि अगर हर ग्राहक इस मुद्दे को उठाना शुरू कर देंगे तो वे ज़रूर कुछ करेंगे।
मैं हर किसी से आग्रह करता हूं कि इन कम्पनीज के Managers के सामने इस तरह के मुद्दों को उठाये और अपने सोशल नेटवर्किंग ग्रुप्स या अन्य तरीको से इन तक अपनी शिकायत पहुचायें जिससे ये लोग ग्राहकों से एक्स्ट्रा चार्ज करने का अपना ठगधंधा बंद करने पर विचार करें। मैंने लोगों को एक एक रुपये के लिए ठेलेवाले और रेहड़ी पटरी वालों के साथ लड़ते हुए देखा है, लेकिन कोई भी इन बड़े बड़े Organised Retailers से कुछ भी नहीं कहता है, उनके साथ भी लड़ो, चाहे फिर ये लड़ाई एक पैसे के लिए ही क्यों न हो।

Sunday, July 8, 2018

अगर आप अपने परिवार, दोस्तों और Social Groups में हमेशा समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी के बारे में बात करते हैं, तो वह लोग आपको उस समय संभाल लेते हैं जब आप खुद नैतिकता से विचलित होने लगते हैं।

मुझे कुछ ज़रूरी सरकारी काम है और सभी जानते हैं कि हमे देश में सरकारी काम कराना काफी मुश्किल है। चूंकि मैं एक प्राइवेट कंपनी में एक कार्यरत हूं, तो हमें काम भी करना होता है, इसीलिए मैं कभी भी उनके कहे मुताबिक उनके office में available नहीं हो सकता क्यूंकि हमें पहले से plan करना होता है। इसलिए मुझे सरकारी अधिकारियों से deal  करने के लिए किसी तीसरे बन्दे की जरूरत थी जो मैंने arrange कर लिया। लेकिन, मैंने सोचा की मेरी absense की वजह से अगर उन्हों ने (सरकारी अधिकारी)  मेरा Application Reject कर दिया तो गड़बड़ हो जाएगी, इसलिए मैंने उन्हें रिश्वत देने का विचार किया। मैंने शशी से कहा कि Mediator को बोल दो कि अगर सरकारी अधिकारी पैसों की Demand करे तो दे देना, लेकिन उसने मेरे फैसले का विरोध किया और कहा कि मैं हमेशा रिश्वत से दूर रहने की बात करता हूं लेकिन जब यह मेरे खुद के काम की बात आयी, तो मैं खुद भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित कर रहा हूँ। मुझे उसकी बात पसंद नहीं आयी और हमने काफी देर तक इस बारे में argument किया जहां मैं ये साबित करने की कोशिश कर रहा था कि मैं सही था और वह मुझे यह महसूस कराने  की कोशिश कर रही थी कि रिश्वत देने का मेरा निर्णय गलत था। अंत में, मैं argument जीत गया या शायद उसने मुझे जीतने दिया था। हालांकि, तब तक, मुझे एहसास हो चूका था कि रिश्वत देने का मेरा निर्णय गलत था और मैंने यह विचार छोड़ दिया।
इस तरह उसने मुझे भ्रष्टाचार करने से रोक दिया क्योंकि हम (मैं और शशी) हमेशा बात करते हैं कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई व्यक्ति अपना योगदान कैसे दे सकता है। तो अगर आप अपने आस-पास के लोगों के साथ अच्छी चीजों पर चर्चा करते हैं, तो आप अपने आस-पास एक अच्छा वातावरण बनाएंगे और इससे आपको बुरी गतिविधियों से दूर रहने में मदद मिलेगी जो की मेरे साथ हुआ।

Sunday, June 17, 2018

हर कोई नौकरी चाहता है लेकिन काम करना कोई नहीं चाहता।

पिछले हफ्ते जब मैं लखनऊ छुट्टी पर गया था, मैंने उन लोगों से मिला जिनके पास नौकरी थी लेकिन वे काम करने के इच्छुक नहीं थे। इस प्रकार के लोग न केवल सरकारी क्षेत्र में हैं बल्कि वे Private Sector में भी हैं। मैं पहले Private Sector के कर्मचारी के बारे में बात करूंगा।
लखनऊ के कुछ ऐतिहासिक स्थानों को देखने के बाद हम थक गए थे, इसलिए हमने फिल्म देखने का फैसला किया ताकि हम वहां बैठकर आराम कर सकें। हम सहारागंज लखनऊ में PVR सिनेमा गए और फिल्म “जुरासिक वर्ल्ड” के लिए दो टिकट पीवीआर की Ticketing Executing से मांगा। लेकिन उसका बात करने का तरीका ऐसा था जैसे मैंने उसे ऐसा कुछ करने के लिए कह रहा था जो उसका काम नहीं था। इसके अलावा जब मैंने उससे कहा कि हमें Meal Combo नहीं चाहिए, सिर्फ Movie Ticket चाहिए, तब उसने बहुत ही बदतमीज़ी से जवाब दिया। उसने कहा, “150 रूपए में Combo कहां मिलता है।” और फिर शशी को उसे सिखाना पड़ा कि उसे ग्राहक से कैसे बात करनी चाहिए। उसने उससे (पीवीआर कर्मचारी) कहा कि अगर वह काम करने में interested नहीं है तो उसे ग्राहक के साथ बदतमीज़ी करने के बजाय इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही उसने Public Dealing में आने से पहले कुछ शिष्टाचार सीखने के लिए उससे (पीवीआर कर्मचारी से) कहा। इतनी डांट खाने के बाद, उसने माफ़ी  मंगीऔर वह भी बदतमीज़ी से। अगला ग्राहक काउंटर पर आया और हम Side हो गए लेकिन उस ग्राहक से Deal करते हुए भी हमने उसके (पीवीआर कर्मचारी) व्यवहार में कोई बदलाव नहीं देखा। वह अभी भी ऐसे behave कर रही थी जैसे वह कहना चाहती है, “बस अपना टिकट लो और भांड में जाओ”। हम वहां से चले गए क्योंकि हम समझ गए कि महिला यह समझने की कोशिश नहीं कर रही थी कि हम क्या कह रहे थे। और उसके लिए नौकरी बिना कुछ काम किये पैसा पाने का एक जरिया मात्र था।
अगले दिन हम लखनऊ में चारबाग बस स्टेशन गए क्योंकि हमें प्रतापगढ़ जाना था। हम सिर्फ ये पूछने के लिए पूछताछ काउंटर गए कि A.C. Bus किस प्लेटफार्म पर आती है। लेकिन वहां भी, कर्मचारी आपस में गप्पे मार रही थी और हमें ऐसे अनदेखा कर रही थी जैसे हमने उससे उसकी किडनी मांग ली हो। हमने बस के बारे में 3-4 बार पूछा लेकिन उसे उससे कोई जवाब नहीं मिला। जब भी हम उससे  बस के बारे में पूछते थे, वह वापस अपने Colleagues से फालतू के गप्पे मारने लग जाती पर उसने हमें Information नहीं दी। अंत में, मुझे उससे कहना पड़ा, “फ्री की रोटी ही तोड़नी है क्या, कुछ काम भी कर लिया कर।” फिर भी, उसने मुझे जानकारी नहीं दी और हमें चाय वाले से जानकारी प्राप्त करनी पड़ी।
इन दो घटनाओं के अलावा, मैंने इस तरह के बहुत से लोगों को, काम पर और अन्य स्थानों पर देखा है, जिनके पास नौकरी है लेकिन वे बिल्कुल भी काम करना नहीं चाहते हैं। मैं सिर्फ उनसे पूछना चाहता हूं कि जब उन्हें काम करना ही नहीं है तो Governments से Job Creation की बात क्यों करते हैं। इन लोगों को यह जान लेना  चाहिए कि वे फालतू के, निकम्मे, बेकार  और घटिया लोग हैं जो किसी भी समाज में सम्मानजनक स्थान पाने के योग्य नहीं हैं।

Saturday, June 2, 2018

Protesters को अमानवीय तरीकों का उपयोग करने के बजाय Protest करने के कुछ अच्छे तरीकों का उपयोग करना चाहिए।

मैंने Recently एक खबर सुनी कि किसान इन दिनों protest कर रहे हैं। मैंने उनके Protest पर Comment नहीं किया,  क्योंकि मुझे उनके संघर्ष, चुनौतियों और समस्याओं के बारे में कुछ भी नहीं पता था, लेकिन आज उनका दूध फैलाकर और सड़कों पर सब्जियां फेंककर Protest करने का तरीका देखकर मैं आश्चर्यचकित था। उन्हें खाने की चीज़ों को अपमानजनक तरीके से बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर वे दूध की आपूर्ति को रोकना चाहते थे, तो वे सारा दूध Store कर सकते थे और फिर, वे आवारा जानवरों को ये सारा दूध पिला  कर अपना प्रोटेस्ट दिखा सकते थे। और ये सब प्रोटेस्ट साइट पर ही करना  चाहिए था। ऐसा करके, वे General Public के लिए दूध की आपूर्ति बंद करके सरकार को अपना गुस्सा दिखा सकते थे। वो सारे दूध के Dairy Products बना कर बिना उसे बर्बाद किए हुए भी दूध की आपूर्ति बंद कर सकते थे। और जब आम जनता को बाजार में दूध की कमी महसूस होती तो उन्हें उनकी मांगों पर विचार करने के लिए सरकार को मजबूर करने में मदद मिल सकती थी। इसी तरह, वे सब्जियों और अन्य उत्पादों को आवारा जानवरों या अपने पालतू पशुओं को खिलाकर सरकार को दिखा सकते थे कि वे इन चीजों की बाजार में Supply नहीं कर रहे। लेकिन जैसे वे विरोध कर रहे हैं, उसे देखकर मुझे लगता है कि वे असली किसान हैं ही नहीं। एक असली किसान अपने पैदा किये हुए अनाज और सब्जियों को इतने अपमानजनक तरीके से कैसे बर्बाद कर सकते हैं?

मुझे समझ में नहीं आता कि लोग विरोध करने के लिए इन अमानवीय तरीकों का उपयोग क्यों करते हैं। कभी वे आम जनता और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं तो कभी वे ऐसे काम करना शुरू करते हैं जैसे वे अब कर रहे हैं। ये लोग केवल राजनीतिक दलों को सुनकर उनकी मन का काम करते हैं लेकिन वे अपने दिमाग का उपयोग नहीं करते और यही कारण है जिसकी वजह से हमारा देश पिछड़ेपन से पीछा नहीं छुड़ा पा रहा है