पिछले 2-3 सालों से आरक्षण एक ट्रेंडिंग विषय रहा है। इन दिनों अल्पसंख्यक, जाट, पटेल और कई अन्य समुदायों के लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। ये लोग हमारे देश के विकास के लिए खतरा हैं। इन्हे आरक्षण क्यों चाहिए? आरक्षण के आधार पर नौकरी पाने के बजाय खुद को नौकरी के लिए योग्य बनाने के लिए वे कड़ी मेहनत क्यों नहीं कर सकते? आरक्षण के आधार पर उन्हें कॉलेज में प्रवेश क्यों लेना चाहिए, भले ही उनका प्रतिशत कई अन्य योग्य छात्रों की तुलना में बहुत कम है? हमारे देश में इन अयोग्य लोगों की वजह से बड़ी संख्या में प्रतिभाएं बर्बाद हो रही हैं क्योंकि प्रतिभाशाली लोगों को देश की सेवा करने का अवसर नहीं मिल रहा है क्योंकि उन सीटों को इन अयोग्य उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया है। ये लोग नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं हैं लेकिन उन्हें आरक्षण के दम पर नौकरी मिल जाती है और योग्य उम्मीदवार बेहतर ज्ञान और समझ के बाद भी इन बेवकूफों के पीछे खड़े रह जाते हैं।
जब मैं कॉलेज में एडमिशन के लिए गया था, तो प्रॉस्पेक्टस के हिसाब से आरक्षित वर्ग के छात्रों को प्रवेश पाने के लिए बाकी छात्रों की तुलना में 10% कम अंक चाहिए। मैं जानना चाहता हूं कि इस कांसेप्ट के पीछे तर्क क्या है। क्या आपकी जाति या धर्म आपको अच्छी तरह से पढाई करने और बेहतर अंक प्राप्त करने से रोकता है? मुझे ऐसा नहीं लगता। एक छात्र, जिसने प्रवेश के लिए आवश्यक अंक अर्जित किए, अयोग्य हो गया क्योंकि वो सीट 10% कम अंक वाले आरक्षित वर्ग के छात्र को मिल गयी। आरक्षित वर्ग के एक योग्य उम्मीदवार को देकर वह एक सीट बर्बाद कर दी गई है। वह आरक्षित वर्ग का छात्र जिसके अंक उस सीट के लिए पुरे नहीं थे, अपनी अगली परीक्षाओं में भी बेहतर अंक नहीं ला पाएगा, और अनारक्षित वर्ग के योग्य छात्र को आगे के अध्ययन का अवसर नहीं मिलेगा क्योंकि उनके पास अच्छे अंक हैं लेकिन आरक्षण नहीं हैं।
इसी तरह, जब सरकारी नौकरियां निकलती हैं, तो सरकार उचित उम्मीदवार, जो नौकरी ठीक से कर सकता है, को खोजने के लिए योग्यता मानदंड निर्धारित करता है लेकिन जब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार उसी नौकरी के लिए आवेदन करता है, तो सरकार योग्यता मानदंडों को बदल देती है। मैं जानना चाहता हूं कि कौन सा तर्क उस आरक्षित वर्ग के छात्र को नौकरी के लिए योग्य बनाता है जिसके लिए वह योग्य नहीं होता अगर वह आरक्षित वर्ग से नहीं होता। आरक्षण के कारण ये अयोग्य उम्मीदवार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेकर वहां का माहौल खराब कर रहे हैं। आरक्षण के कारण ये अयोग्य लोग महत्वपूर्ण पदों पर बैठ रहे हैं और हमारे देश के भविष्य का बेड़ागर्क कर रहे हैं।
मेरे अनुसार, जाति और धर्म पर आधारित आरक्षण अपने देश को खोखला करने के एक तरीके से ज्यादा कुछ नहीं है। अभी भी समय है, अगर हमारी सरकार सिस्टम से इन आरक्षणों को समाप्त कर दे, तो यह हमारे देश के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। साथ ही जो लोग आरक्षण मांगते हैं वे एक भिखारी से ज्यादा कुछ नहीं हैं जो बिना किसी प्रयास के जीवन में सब कुछ चाहते हैं। इन लोगों को काम करना शुरू कर देना चाहिए और आरक्षण की भीख मांगने के बजाय जीवन में कुछ भी हासिल करने के लायक बनने की कोशिश करनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment