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Saturday, July 28, 2018

लोग नकारात्मक बातों और कृत्यों के बारे में बात करके, उस पर प्रतिक्रिया करके और उन्हें दूसरों के साथ शेयर करके जो तवज्जो नकारात्मकता को देते हैं उसी के कारण पूरे देश और समाज में नकारात्मकता फैली हुई है।

आज हम अपने देश में हर जगह नकारात्मकता का अनुभव कर रहे हैं। राजनीति, फिल्म उद्योग, बड़े व्यवसायी, और धर्म गुरु, ये सभी हमें नकारात्मकता बेचकर अपनी इरादों में सफल हो रहे हैं लेकिन इनके द्वारा बेचीं हुई नकारात्मकता मानवता को नुकसान पहुंचा रही है। नेता सामाजिक और धार्मिक विवाद पैदा करते हैं जो उन्हें मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद करता हैं लेकिन यही सब समाज में घृणा और अराजकता भी पैदा करता हैं। फिल्म निर्मता और अभिनेता Sexual और असामाजिक Statements और गतिविधियों के द्वारा Controversy करके अपनी फिंल्मे Promote करते हैं लेकिन इस प्रकार की गतिविधियां और बयान युवाओं के सोच को प्रदूषित करते हैं। न्यूज़ चैनल उस सेलिब्रिटी, नेता और धर्म गुरु को ज्यादा फुटेज देते हैं जो अराजक और असामाजिक भाषण और बयान देते हैं। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किसी नकारात्मक समाचार या बयान को कोई तवज्जो न दें । आपको पता होना चाहिए  कि ये नेता, समाचार चैनल, फ़िल्मी हस्तियां और धर्म गुरु आपके लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि वो अपने अराजक भाषण और बयान आपको बेचकर अपनी दुकानों को चला रहे हैं। वे अपने उद्देश्यों में सफल हो रहे हैं क्योंकि आप वही कर रह हैं जो वो चाहते हैं औरआप वो नहीं कर रहे हैं जो आपको करना चाहिए। सोशल मीडिया पर, आपको ऐसी किसी पोस्ट या समाचार पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो घृणा, नकारात्मकता और विवाद फैलती है। अगर वो समाचार या पोस्ट आपको पसंद नहीं है, तो आपको उस पर कमेंट करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्यूंकि जैसे ही आप किसी पोस्ट पर कमेंट करते हैं, आपके Contacts को वो पोस्ट Newsfeed में दिखने लगती है और जब वो उस पर कमेंट करते हैं, तो उनके Contacts को वो पोस्ट Newsfeed में दिखने लगती है और इस तरह आप उस पोस्ट/ समाचार को पसंद न करते हुए भी पूरे देश में उस पोस्ट/ समाचार को फैलाने में उन लोगों की मदद करते हैं। ऐसी बेकार की पोस्ट्स पर react करना तुरंत बंद करें क्योंकि आपको दूसरों को उनके नकारात्मक और दूषित उद्देश्यों को पूरा करने में मदद नहीं करनी चाहिए। बेहतर यह होगा कि आप उन पोस्ट्स और समाचारों को ignore कर दे और सिर्फ उन Posts / समाचारों पर ही  react करें या उन Posts / समाचारों को ही शेयर करें जो समाज की भलाई के लिए हैं। यदि आप उन न्यूज़  चैनलों को देखना बंद कर देते हैं जो अराजक नेताओं, हस्तियों और धर्म गुरुओं को अधिक फुटेज देते हैं, तो उनके चैनल की टीआरपी नीचे जाएगी और वे उन्हें फुटेज देना बंद करेंगे। यदि आप उन फिल्मों को नहीं देखते हैं जो केवल नकारात्मकता दिखाते हैं, तो फिल्म निर्माता वैसी फिल्मे बनाना  बंद कर देंगे। अगर आप उन Songs को सुनना बंद कर देते हैं जो एक लड़की के बारे में बकवास करते हैं, तो संगीतकार इस तरह के संगीत को बनाना बंद कर देंगे। एक और बात, ये सोचना बिलकुल बंद कर दें कि आप अकेले दुनिया को नहीं बदल सकते क्योंकि हर कोई यही सोचता है लेकिन सोचो, कि अगर हर कोई ये सोचने लगे कि वह नकारात्मकता को रोकने के और सकारात्मकता फैलाने के अपने प्रयासों को बंद नहीं करेगा फिर चाहे बदलाव आये या न आये, तो बदलाव अपने आप आ जायेगा।
मेरी राय में, हर इंसान को केवल सकारात्मक समाचार ही देखने चाहिए, सकारात्मक पोस्ट और लोगों के बारे में ही बात करनी चाहिए, सकारात्मक पोस्ट्स पर ही react करना चाहिए और उन्हें ही शेयर  करना चाहिए और नकारात्मक समाचार, पोस्ट और लोगों को पूरी तरह से Ignore करना चाहिए, तभी हम  अपने समाज, देश और इस दुनिया से नकारात्मकता को खत्म कर सकते हैं।

Saturday, July 21, 2018

जो माता पिता अपने बच्चों की खुशियों से ज्यादा महत्व अपनी झूठी इज़्ज़त और शान को देते हैं, उनके जीवन में खुशियों का होना, एक मिथ्या मात्र ही हैं।

पिछले हफ्ते, मैं विभिन्न चैनलों को बदल कर टी. वी. पर एक अच्छा कार्यक्रम या समाचार ढूंढने की कोशिश कर रहा था। मुझे एक धारावाहिक मिला, जिसमें एक लड़की के साथ बलात्कार किया गया था और दूसरी लड़की उसको (बलात्कार पीड़ित) न्याय दिलाने के लिए लड़ रही थी लेकिन पीड़ित का पिता समाज में अपने झूठे आत्म सम्मान को बचाने के लिए उसे रोकने की कोशिश कर रहा था। यह एक टीवी धारावाहिक की कहानी थी लेकिन यह वास्तविक दुनिया में भी होता है। मध्यम वर्ग के परिवारों में, अगर किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है, तो उसके माता-पिता उस लड़की को ही बहार निकलने से मना करते हैं या उसको ही रास्ता बदलने को बोलते हैं, हमारे समाज के लोग लड़की के कपड़ों और उसके रवैये को ही उसके साथ हुई हर छेड़खानी के लिए ज़िम्मेदार बताते हैं और लड़की के माता-पिता अपनी बेटी के साथ खड़े होने की बजाय ढोंगी समाज के साथ खड़े होते हैं। ये वे लोग हैं जो कभी भी अपने जीवन में खुश नहीं रह सकते हैं क्योंकि वे समाज में अपनी झूठी इज़्ज़त के लिए अपने बच्चों के खिलाफ खड़े रहते हैं लेकिन वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते हैं कि जो समाज उस लड़की के दर्द को नहीं समझ सकता जिसके साथ छेड़छाड़ या बलात्कार हुआ, वह समाज ज़रूरत के समय उनके (माता-पिता) दर्द को क्या समझेगा।
एक बार मेरी एक दोस्त ने मुझे उसके भाई के द्वारा की गई छेड़छाड़ और उसके माता-पिता द्वारा दी गई नसीहत के बारे में बताया। उसने मुझे बताया कि उसके अपने भाई ने उसके साथ यौन शोषण किया और जब उसने अपनी माँ को इसके बारे में शिकायत की, तो उन्होंने (उसकी माँ) कहा कि वह बड़ा हो रहा था और शायद नींद में ऐसा कर दिया होगा। उन्होंने (उसकी माँ)  उस लड़की को ही उससे सावधान रहने की नसीहत देदी। ये वे माता-पिता हैं जो माता-पिता होने के लायक नहीं हैं। ये वे माता-पिता हैं जो अपने जीवन में खुश रहने के लायक नहीं हैं। इस महिला (उसकी माँ) के पास उसके पूरे परिवार के लिए केवल एक कमरा है, बाकी सभी कमरों को उसने किराये पर चढ़ा रखा है। उसने तीन बच्चों को तो पैदा किया लेकिन उनके सुरक्षित रहने के लिए तीन अलग-अलग कमरे नहीं बनाए और जब उसके बेटे ने उसकी बेटी के साथ यौन शोषण किया, तो उसने अपनी बेटी का समर्थन करने के बजाय अपने बेटे का समर्थन किया। मेरी राय में, इस तरह के माता-पिता अपराधियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। ऐसे माता-पिता सिर्फ दुःख और दुर्भाग्य ही Deserve करते हैं।
हमारे समाज में ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चों की शादी अपने पसंद की लड़की/लड़के से कराने की ज़िद करते हैं, भले ही वे जानते हों कि उनके  बेटे/ बेटी को दूसरी लड़की / लड़का पसंद है। उन्हें अपने बच्चे की खुशी की परवाह नहीं है बल्कि उन्हें समाज में उनकी झूठी इज़्ज़त की ज्यादा परवाह होती है, इसीलिए वे अपने बच्चे की खुशियों को नजरअंदाज करते हैं और उन्हें किसी और के साथ शादी करने के लिए मजबूर करते हैं जिसे वे (माता-पिता) और उनके समाज के लोग पसंद करते हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि उनके बच्चे क्या चाहते हैं। हमारे समाज में ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चे को उसकी पसंद का करियर चुनने में भी Support नहीं करते हैं क्योंकि वे और उनका समाज सोचता है कि वह (बच्चे) अपने पसंद के करियर में सफल नहीं हो सकता है। उन्हें समझ ही नहीं आता कि Failure कोशिश न करने से बेहतर है। वह ये समझने की कोशिश ही नहीं करते की उनके बच्चे को जीवन भर इस बात का पछतावा रहेगा की वह उस काम को करने की कोशिश भी नहीं कर सका जो करने में वह सक्षम है। और जब कोई बच्चा बाग़ी हो जाता है, तो वे अपने बच्चे को ही कोसते हैं लेकिन वे अपने बच्चे की भावना को तब भी नहीं समझते हैं और उनके (माता-पिता) जीवन में ख़ुशी का होना एक मिथ्या मात्र ही बन जाता है। मेरी राय में, माता पिता को बच्चों पर अपनी मर्ज़ी थोपने के बजाय बच्चे को जन्म देने से पहले ही उसके जन्म के बाद आने वाली किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।