Saturday, July 28, 2018

लोग नकारात्मक बातों और कृत्यों के बारे में बात करके, उस पर प्रतिक्रिया करके और उन्हें दूसरों के साथ शेयर करके जो तवज्जो नकारात्मकता को देते हैं उसी के कारण पूरे देश और समाज में नकारात्मकता फैली हुई है।

आज हम अपने देश में हर जगह नकारात्मकता का अनुभव कर रहे हैं। राजनीति, फिल्म उद्योग, बड़े व्यवसायी, और धर्म गुरु, ये सभी हमें नकारात्मकता बेचकर अपनी इरादों में सफल हो रहे हैं लेकिन इनके द्वारा बेचीं हुई नकारात्मकता मानवता को नुकसान पहुंचा रही है। नेता सामाजिक और धार्मिक विवाद पैदा करते हैं जो उन्हें मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद करता हैं लेकिन यही सब समाज में घृणा और अराजकता भी पैदा करता हैं। फिल्म निर्मता और अभिनेता Sexual और असामाजिक Statements और गतिविधियों के द्वारा Controversy करके अपनी फिंल्मे Promote करते हैं लेकिन इस प्रकार की गतिविधियां और बयान युवाओं के सोच को प्रदूषित करते हैं। न्यूज़ चैनल उस सेलिब्रिटी, नेता और धर्म गुरु को ज्यादा फुटेज देते हैं जो अराजक और असामाजिक भाषण और बयान देते हैं। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किसी नकारात्मक समाचार या बयान को कोई तवज्जो न दें । आपको पता होना चाहिए  कि ये नेता, समाचार चैनल, फ़िल्मी हस्तियां और धर्म गुरु आपके लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि वो अपने अराजक भाषण और बयान आपको बेचकर अपनी दुकानों को चला रहे हैं। वे अपने उद्देश्यों में सफल हो रहे हैं क्योंकि आप वही कर रह हैं जो वो चाहते हैं औरआप वो नहीं कर रहे हैं जो आपको करना चाहिए। सोशल मीडिया पर, आपको ऐसी किसी पोस्ट या समाचार पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो घृणा, नकारात्मकता और विवाद फैलती है। अगर वो समाचार या पोस्ट आपको पसंद नहीं है, तो आपको उस पर कमेंट करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्यूंकि जैसे ही आप किसी पोस्ट पर कमेंट करते हैं, आपके Contacts को वो पोस्ट Newsfeed में दिखने लगती है और जब वो उस पर कमेंट करते हैं, तो उनके Contacts को वो पोस्ट Newsfeed में दिखने लगती है और इस तरह आप उस पोस्ट/ समाचार को पसंद न करते हुए भी पूरे देश में उस पोस्ट/ समाचार को फैलाने में उन लोगों की मदद करते हैं। ऐसी बेकार की पोस्ट्स पर react करना तुरंत बंद करें क्योंकि आपको दूसरों को उनके नकारात्मक और दूषित उद्देश्यों को पूरा करने में मदद नहीं करनी चाहिए। बेहतर यह होगा कि आप उन पोस्ट्स और समाचारों को ignore कर दे और सिर्फ उन Posts / समाचारों पर ही  react करें या उन Posts / समाचारों को ही शेयर करें जो समाज की भलाई के लिए हैं। यदि आप उन न्यूज़  चैनलों को देखना बंद कर देते हैं जो अराजक नेताओं, हस्तियों और धर्म गुरुओं को अधिक फुटेज देते हैं, तो उनके चैनल की टीआरपी नीचे जाएगी और वे उन्हें फुटेज देना बंद करेंगे। यदि आप उन फिल्मों को नहीं देखते हैं जो केवल नकारात्मकता दिखाते हैं, तो फिल्म निर्माता वैसी फिल्मे बनाना  बंद कर देंगे। अगर आप उन Songs को सुनना बंद कर देते हैं जो एक लड़की के बारे में बकवास करते हैं, तो संगीतकार इस तरह के संगीत को बनाना बंद कर देंगे। एक और बात, ये सोचना बिलकुल बंद कर दें कि आप अकेले दुनिया को नहीं बदल सकते क्योंकि हर कोई यही सोचता है लेकिन सोचो, कि अगर हर कोई ये सोचने लगे कि वह नकारात्मकता को रोकने के और सकारात्मकता फैलाने के अपने प्रयासों को बंद नहीं करेगा फिर चाहे बदलाव आये या न आये, तो बदलाव अपने आप आ जायेगा।
मेरी राय में, हर इंसान को केवल सकारात्मक समाचार ही देखने चाहिए, सकारात्मक पोस्ट और लोगों के बारे में ही बात करनी चाहिए, सकारात्मक पोस्ट्स पर ही react करना चाहिए और उन्हें ही शेयर  करना चाहिए और नकारात्मक समाचार, पोस्ट और लोगों को पूरी तरह से Ignore करना चाहिए, तभी हम  अपने समाज, देश और इस दुनिया से नकारात्मकता को खत्म कर सकते हैं।

Saturday, July 21, 2018

जो माता पिता अपने बच्चों की खुशियों से ज्यादा महत्व अपनी झूठी इज़्ज़त और शान को देते हैं, उनके जीवन में खुशियों का होना, एक मिथ्या मात्र ही हैं।

पिछले हफ्ते, मैं विभिन्न चैनलों को बदल कर टी. वी. पर एक अच्छा कार्यक्रम या समाचार ढूंढने की कोशिश कर रहा था। मुझे एक धारावाहिक मिला, जिसमें एक लड़की के साथ बलात्कार किया गया था और दूसरी लड़की उसको (बलात्कार पीड़ित) न्याय दिलाने के लिए लड़ रही थी लेकिन पीड़ित का पिता समाज में अपने झूठे आत्म सम्मान को बचाने के लिए उसे रोकने की कोशिश कर रहा था। यह एक टीवी धारावाहिक की कहानी थी लेकिन यह वास्तविक दुनिया में भी होता है। मध्यम वर्ग के परिवारों में, अगर किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है, तो उसके माता-पिता उस लड़की को ही बहार निकलने से मना करते हैं या उसको ही रास्ता बदलने को बोलते हैं, हमारे समाज के लोग लड़की के कपड़ों और उसके रवैये को ही उसके साथ हुई हर छेड़खानी के लिए ज़िम्मेदार बताते हैं और लड़की के माता-पिता अपनी बेटी के साथ खड़े होने की बजाय ढोंगी समाज के साथ खड़े होते हैं। ये वे लोग हैं जो कभी भी अपने जीवन में खुश नहीं रह सकते हैं क्योंकि वे समाज में अपनी झूठी इज़्ज़त के लिए अपने बच्चों के खिलाफ खड़े रहते हैं लेकिन वे इस तथ्य को नजरअंदाज करते हैं कि जो समाज उस लड़की के दर्द को नहीं समझ सकता जिसके साथ छेड़छाड़ या बलात्कार हुआ, वह समाज ज़रूरत के समय उनके (माता-पिता) दर्द को क्या समझेगा।
एक बार मेरी एक दोस्त ने मुझे उसके भाई के द्वारा की गई छेड़छाड़ और उसके माता-पिता द्वारा दी गई नसीहत के बारे में बताया। उसने मुझे बताया कि उसके अपने भाई ने उसके साथ यौन शोषण किया और जब उसने अपनी माँ को इसके बारे में शिकायत की, तो उन्होंने (उसकी माँ) कहा कि वह बड़ा हो रहा था और शायद नींद में ऐसा कर दिया होगा। उन्होंने (उसकी माँ)  उस लड़की को ही उससे सावधान रहने की नसीहत देदी। ये वे माता-पिता हैं जो माता-पिता होने के लायक नहीं हैं। ये वे माता-पिता हैं जो अपने जीवन में खुश रहने के लायक नहीं हैं। इस महिला (उसकी माँ) के पास उसके पूरे परिवार के लिए केवल एक कमरा है, बाकी सभी कमरों को उसने किराये पर चढ़ा रखा है। उसने तीन बच्चों को तो पैदा किया लेकिन उनके सुरक्षित रहने के लिए तीन अलग-अलग कमरे नहीं बनाए और जब उसके बेटे ने उसकी बेटी के साथ यौन शोषण किया, तो उसने अपनी बेटी का समर्थन करने के बजाय अपने बेटे का समर्थन किया। मेरी राय में, इस तरह के माता-पिता अपराधियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। ऐसे माता-पिता सिर्फ दुःख और दुर्भाग्य ही Deserve करते हैं।
हमारे समाज में ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चों की शादी अपने पसंद की लड़की/लड़के से कराने की ज़िद करते हैं, भले ही वे जानते हों कि उनके  बेटे/ बेटी को दूसरी लड़की / लड़का पसंद है। उन्हें अपने बच्चे की खुशी की परवाह नहीं है बल्कि उन्हें समाज में उनकी झूठी इज़्ज़त की ज्यादा परवाह होती है, इसीलिए वे अपने बच्चे की खुशियों को नजरअंदाज करते हैं और उन्हें किसी और के साथ शादी करने के लिए मजबूर करते हैं जिसे वे (माता-पिता) और उनके समाज के लोग पसंद करते हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि उनके बच्चे क्या चाहते हैं। हमारे समाज में ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने बच्चे को उसकी पसंद का करियर चुनने में भी Support नहीं करते हैं क्योंकि वे और उनका समाज सोचता है कि वह (बच्चे) अपने पसंद के करियर में सफल नहीं हो सकता है। उन्हें समझ ही नहीं आता कि Failure कोशिश न करने से बेहतर है। वह ये समझने की कोशिश ही नहीं करते की उनके बच्चे को जीवन भर इस बात का पछतावा रहेगा की वह उस काम को करने की कोशिश भी नहीं कर सका जो करने में वह सक्षम है। और जब कोई बच्चा बाग़ी हो जाता है, तो वे अपने बच्चे को ही कोसते हैं लेकिन वे अपने बच्चे की भावना को तब भी नहीं समझते हैं और उनके (माता-पिता) जीवन में ख़ुशी का होना एक मिथ्या मात्र ही बन जाता है। मेरी राय में, माता पिता को बच्चों पर अपनी मर्ज़ी थोपने के बजाय बच्चे को जन्म देने से पहले ही उसके जन्म के बाद आने वाली किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

Thursday, July 12, 2018

अगर कोई Company आपसे 1पैसा भी ज्यादा Charge करती है तो उसके खिलाफ आवाज़ ज़रूर उठायें।

पिछले हफ्ते हम द्वारका के बचत बाजार में विंडो शॉपिंग करने गए थे। पर जब वहां हमारे उपयोग की कुछ चीजें मिलीं, तो हमने उन्हें खरीद लिया और ₹80.51 का भुगतान करने के लिए कैशियर को अपना क्रेडिट कार्ड दिया लेकिन उसने राउंड ऑफ करके ₹81.00 चार्ज किया। नीचे बिल देखें:


पहले तो हमने 49 पैसे के एक्स्ट्रा चार्ज को नजरअंदाज कर दिया लेकिन अगले ही पल में हमने सोचा कि उसने राउंड ऑफ क्यों किया और मुझे 49 पैसा का extra क्यों भुगतान करना चाहिए। क्यूंकि  मैं क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान कर रहा था, तो वह ₹ 81.00 के बजाय ₹ 80.51 भी चार्ज कर सकता था क्योंकि इस मामले में खुल्ले पैसों की भी कोई समस्या नहीं थी। हमने स्टोर मैनेजर को वही बात कही तो वो बोला कि सिस्टम नहीं जानता कि मैं cash के माध्यम से भुगतान नहीं कर रहा था और यही कारण है कि सिस्टम राउंड ऑफ कर देता है  मैंने उसे बोला की अपने Systems को Upgrade करो क्यूंकि मैं दूसरे स्टोर्स में भी शॉपिंग करता हूँ और वो extra amount चार्ज नहीं करते हैं और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करते समय वे राउंड ऑफ नहीं करते हैं, इसलिए बचत बाजार को भी राउंड ऑफ और छुट्टे पैसों की दिक्कत के नाम पर ग्राहक से एक्स्ट्रा चार्ज नहीं करना चाहिए। उसने कहा कि वह इस पर काम करेंगे और सिस्टम उपग्रडेशन के माध्यम से इस समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे । हालांकि मुझे पता है कि वह कुछ भी नहीं करेगा लेकिन मुझे लगता है कि अगर हर ग्राहक इस मुद्दे को उठाना शुरू कर देंगे तो वे ज़रूर कुछ करेंगे।
मैं हर किसी से आग्रह करता हूं कि इन कम्पनीज के Managers के सामने इस तरह के मुद्दों को उठाये और अपने सोशल नेटवर्किंग ग्रुप्स या अन्य तरीको से इन तक अपनी शिकायत पहुचायें जिससे ये लोग ग्राहकों से एक्स्ट्रा चार्ज करने का अपना ठगधंधा बंद करने पर विचार करें। मैंने लोगों को एक एक रुपये के लिए ठेलेवाले और रेहड़ी पटरी वालों के साथ लड़ते हुए देखा है, लेकिन कोई भी इन बड़े बड़े Organised Retailers से कुछ भी नहीं कहता है, उनके साथ भी लड़ो, चाहे फिर ये लड़ाई एक पैसे के लिए ही क्यों न हो।

Sunday, July 8, 2018

अगर आप अपने परिवार, दोस्तों और Social Groups में हमेशा समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी के बारे में बात करते हैं, तो वह लोग आपको उस समय संभाल लेते हैं जब आप खुद नैतिकता से विचलित होने लगते हैं।

मुझे कुछ ज़रूरी सरकारी काम है और सभी जानते हैं कि हमे देश में सरकारी काम कराना काफी मुश्किल है। चूंकि मैं एक प्राइवेट कंपनी में एक कार्यरत हूं, तो हमें काम भी करना होता है, इसीलिए मैं कभी भी उनके कहे मुताबिक उनके office में available नहीं हो सकता क्यूंकि हमें पहले से plan करना होता है। इसलिए मुझे सरकारी अधिकारियों से deal  करने के लिए किसी तीसरे बन्दे की जरूरत थी जो मैंने arrange कर लिया। लेकिन, मैंने सोचा की मेरी absense की वजह से अगर उन्हों ने (सरकारी अधिकारी)  मेरा Application Reject कर दिया तो गड़बड़ हो जाएगी, इसलिए मैंने उन्हें रिश्वत देने का विचार किया। मैंने शशी से कहा कि Mediator को बोल दो कि अगर सरकारी अधिकारी पैसों की Demand करे तो दे देना, लेकिन उसने मेरे फैसले का विरोध किया और कहा कि मैं हमेशा रिश्वत से दूर रहने की बात करता हूं लेकिन जब यह मेरे खुद के काम की बात आयी, तो मैं खुद भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित कर रहा हूँ। मुझे उसकी बात पसंद नहीं आयी और हमने काफी देर तक इस बारे में argument किया जहां मैं ये साबित करने की कोशिश कर रहा था कि मैं सही था और वह मुझे यह महसूस कराने  की कोशिश कर रही थी कि रिश्वत देने का मेरा निर्णय गलत था। अंत में, मैं argument जीत गया या शायद उसने मुझे जीतने दिया था। हालांकि, तब तक, मुझे एहसास हो चूका था कि रिश्वत देने का मेरा निर्णय गलत था और मैंने यह विचार छोड़ दिया।
इस तरह उसने मुझे भ्रष्टाचार करने से रोक दिया क्योंकि हम (मैं और शशी) हमेशा बात करते हैं कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई व्यक्ति अपना योगदान कैसे दे सकता है। तो अगर आप अपने आस-पास के लोगों के साथ अच्छी चीजों पर चर्चा करते हैं, तो आप अपने आस-पास एक अच्छा वातावरण बनाएंगे और इससे आपको बुरी गतिविधियों से दूर रहने में मदद मिलेगी जो की मेरे साथ हुआ।

Sunday, June 17, 2018

हर कोई नौकरी चाहता है लेकिन काम करना कोई नहीं चाहता।

पिछले हफ्ते जब मैं लखनऊ छुट्टी पर गया था, मैंने उन लोगों से मिला जिनके पास नौकरी थी लेकिन वे काम करने के इच्छुक नहीं थे। इस प्रकार के लोग न केवल सरकारी क्षेत्र में हैं बल्कि वे Private Sector में भी हैं। मैं पहले Private Sector के कर्मचारी के बारे में बात करूंगा।
लखनऊ के कुछ ऐतिहासिक स्थानों को देखने के बाद हम थक गए थे, इसलिए हमने फिल्म देखने का फैसला किया ताकि हम वहां बैठकर आराम कर सकें। हम सहारागंज लखनऊ में PVR सिनेमा गए और फिल्म “जुरासिक वर्ल्ड” के लिए दो टिकट पीवीआर की Ticketing Executing से मांगा। लेकिन उसका बात करने का तरीका ऐसा था जैसे मैंने उसे ऐसा कुछ करने के लिए कह रहा था जो उसका काम नहीं था। इसके अलावा जब मैंने उससे कहा कि हमें Meal Combo नहीं चाहिए, सिर्फ Movie Ticket चाहिए, तब उसने बहुत ही बदतमीज़ी से जवाब दिया। उसने कहा, “150 रूपए में Combo कहां मिलता है।” और फिर शशी को उसे सिखाना पड़ा कि उसे ग्राहक से कैसे बात करनी चाहिए। उसने उससे (पीवीआर कर्मचारी) कहा कि अगर वह काम करने में interested नहीं है तो उसे ग्राहक के साथ बदतमीज़ी करने के बजाय इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही उसने Public Dealing में आने से पहले कुछ शिष्टाचार सीखने के लिए उससे (पीवीआर कर्मचारी से) कहा। इतनी डांट खाने के बाद, उसने माफ़ी  मंगीऔर वह भी बदतमीज़ी से। अगला ग्राहक काउंटर पर आया और हम Side हो गए लेकिन उस ग्राहक से Deal करते हुए भी हमने उसके (पीवीआर कर्मचारी) व्यवहार में कोई बदलाव नहीं देखा। वह अभी भी ऐसे behave कर रही थी जैसे वह कहना चाहती है, “बस अपना टिकट लो और भांड में जाओ”। हम वहां से चले गए क्योंकि हम समझ गए कि महिला यह समझने की कोशिश नहीं कर रही थी कि हम क्या कह रहे थे। और उसके लिए नौकरी बिना कुछ काम किये पैसा पाने का एक जरिया मात्र था।
अगले दिन हम लखनऊ में चारबाग बस स्टेशन गए क्योंकि हमें प्रतापगढ़ जाना था। हम सिर्फ ये पूछने के लिए पूछताछ काउंटर गए कि A.C. Bus किस प्लेटफार्म पर आती है। लेकिन वहां भी, कर्मचारी आपस में गप्पे मार रही थी और हमें ऐसे अनदेखा कर रही थी जैसे हमने उससे उसकी किडनी मांग ली हो। हमने बस के बारे में 3-4 बार पूछा लेकिन उसे उससे कोई जवाब नहीं मिला। जब भी हम उससे  बस के बारे में पूछते थे, वह वापस अपने Colleagues से फालतू के गप्पे मारने लग जाती पर उसने हमें Information नहीं दी। अंत में, मुझे उससे कहना पड़ा, “फ्री की रोटी ही तोड़नी है क्या, कुछ काम भी कर लिया कर।” फिर भी, उसने मुझे जानकारी नहीं दी और हमें चाय वाले से जानकारी प्राप्त करनी पड़ी।
इन दो घटनाओं के अलावा, मैंने इस तरह के बहुत से लोगों को, काम पर और अन्य स्थानों पर देखा है, जिनके पास नौकरी है लेकिन वे बिल्कुल भी काम करना नहीं चाहते हैं। मैं सिर्फ उनसे पूछना चाहता हूं कि जब उन्हें काम करना ही नहीं है तो Governments से Job Creation की बात क्यों करते हैं। इन लोगों को यह जान लेना  चाहिए कि वे फालतू के, निकम्मे, बेकार  और घटिया लोग हैं जो किसी भी समाज में सम्मानजनक स्थान पाने के योग्य नहीं हैं।

Saturday, June 2, 2018

Protesters को अमानवीय तरीकों का उपयोग करने के बजाय Protest करने के कुछ अच्छे तरीकों का उपयोग करना चाहिए।

मैंने Recently एक खबर सुनी कि किसान इन दिनों protest कर रहे हैं। मैंने उनके Protest पर Comment नहीं किया,  क्योंकि मुझे उनके संघर्ष, चुनौतियों और समस्याओं के बारे में कुछ भी नहीं पता था, लेकिन आज उनका दूध फैलाकर और सड़कों पर सब्जियां फेंककर Protest करने का तरीका देखकर मैं आश्चर्यचकित था। उन्हें खाने की चीज़ों को अपमानजनक तरीके से बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर वे दूध की आपूर्ति को रोकना चाहते थे, तो वे सारा दूध Store कर सकते थे और फिर, वे आवारा जानवरों को ये सारा दूध पिला  कर अपना प्रोटेस्ट दिखा सकते थे। और ये सब प्रोटेस्ट साइट पर ही करना  चाहिए था। ऐसा करके, वे General Public के लिए दूध की आपूर्ति बंद करके सरकार को अपना गुस्सा दिखा सकते थे। वो सारे दूध के Dairy Products बना कर बिना उसे बर्बाद किए हुए भी दूध की आपूर्ति बंद कर सकते थे। और जब आम जनता को बाजार में दूध की कमी महसूस होती तो उन्हें उनकी मांगों पर विचार करने के लिए सरकार को मजबूर करने में मदद मिल सकती थी। इसी तरह, वे सब्जियों और अन्य उत्पादों को आवारा जानवरों या अपने पालतू पशुओं को खिलाकर सरकार को दिखा सकते थे कि वे इन चीजों की बाजार में Supply नहीं कर रहे। लेकिन जैसे वे विरोध कर रहे हैं, उसे देखकर मुझे लगता है कि वे असली किसान हैं ही नहीं। एक असली किसान अपने पैदा किये हुए अनाज और सब्जियों को इतने अपमानजनक तरीके से कैसे बर्बाद कर सकते हैं?

मुझे समझ में नहीं आता कि लोग विरोध करने के लिए इन अमानवीय तरीकों का उपयोग क्यों करते हैं। कभी वे आम जनता और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं तो कभी वे ऐसे काम करना शुरू करते हैं जैसे वे अब कर रहे हैं। ये लोग केवल राजनीतिक दलों को सुनकर उनकी मन का काम करते हैं लेकिन वे अपने दिमाग का उपयोग नहीं करते और यही कारण है जिसकी वजह से हमारा देश पिछड़ेपन से पीछा नहीं छुड़ा पा रहा है

Sunday, May 27, 2018

अगर कांग्रेस सत्ता में आयी तो भी Petrol Prices के कम होने की कोई Guarantee नहीं है ।

पिछले Satarday, जब मैं कुछ Shares के Charts check कर रहा था, मैंने कच्चे तेल का chart भी देखा मैंने देखा, कि पिछले 08-09 महीनों में यह लगभग 50% बढ़ गया है। इत्तेफ़ाक़ से, उसी समय, एक news channel पे बढ़ते Petrol Price पर News चल रही थी, तो मैंने एक पोस्ट शेयर कर दी. मैंने लिखा,

“Petrol price is up because crude oil is up. लोग कहेंगे, कि मोदी ने rates बढ़ा दिए पर आपको अपना दिमाग भी लगाना है

मैंने ये पोस्ट डाली क्योंकि मैं प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को सपोर्ट करता हूं और मैं नहीं चाहता कि उनके Sopporters कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी के चलते, बढ़ते हुए Petrol Price के कारण आने वाले चुनावों में उन्हें सत्ता से बाहर कर दें। उस पोस्ट के बाद मुझे कुछ Abusive comments मिले और उन trollers ने कहा कि भक्त short term memory loss होते हैं और मुझे वर्तमान में कच्चे तेल की कीमतों की तुलना वर्ष 2014 से पहले कच्चे तेल की कीमतों के साथ करनी चाहिए। इसलिए मैंने सोचा  कि मैं भारत में पेट्रोल की कीमतों पर थोड़ी सी study करूँगा, और मैंने केवल 2014 में इसकी कीमतों को compare किया बल्कि मैंने वर्ष 1989 से अब तक की इसकी कीमतों को भी देखा। मैंने देखा कि पेट्रोल की कीमत में मौजूदा वृद्धि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते हो रही है और मुझे यह भी पता चला कि 2014 से पहले कच्चे तेल की कीमत मौजूदा कच्चे तेल की कीमतों की तुलना में अधिक थी। और, मुझे यह भी पता चला कि सभी सरकारें बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों के साथ पेट्रोल की कीमतें भी बढ़ाती हैं, लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते उनमें से कोई भी पेट्रोल की कीमतों को कम नहीं करता।

15 अक्टूबर 1990 में, जब श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (जनता दल से) प्रधान मंत्री थे, तो कच्चे तेल की कीमतें 105% बढ़ी और पेट्रोल की कीमतें 43.88% बढ़ीं। और उसके बाद, जब कांग्रेस सत्ता में आई और 1994 में ,श्री पामुलापर्ती वेंकट नारसिम्हा राव प्रधान मंत्री थे तब कच्चे तेल की कीमतों में  60% की गिरावट आईं थी लेकिन फिर भी पेट्रोल की कीमतें 37.20% बढ़ी थी। जब डॉ मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री थे, तब  कच्चे तेल की कीमतें 196% बढ़ीं और पेट्रोल की कीमतें 118% बढ़ी, जो acceptable था। मैंने कुछ डाटा भी निकला है, आप देख सकते हैं:


और उसके बाद, जब श्री नरेंद्र मोदी 2014 में सत्ता में आए, तो कच्चे तेल की कीमतें गिरीं और पेट्रोल की कीमतें भी गिरीं, लेकिन उतना नहीं गिरीं जितना ये कच्चे तेल के बढ़ने के साथ बढ़ी थीं। और अब, जब कच्चे तेल की कीमत बढ़ी है, तो पेट्रोल की कीमतें फिर से बढ़ी हैं। नीचे दिया गया डेटा देखें:


इस सब से ये पता चलता है कि जब कच्चे तेल की गिरावट होती है तब तो कांग्रेस और ही बीजेपी, कोई भी पेट्रोल की कीमतें कम नहीं करते, लेकिन दोनों कच्चे तेल के कीमतें बढ़ने पे पेट्रोल की कीमतें बढ़ाते हैं। अब मैं ये सोचता हूँ कि कांग्रेस को ये सोचकर वोट क्यों देना चाहिए कि वो Petrol prices कम करेंगे जबकि मैं जनता हूँ कि 1994 में कांग्रेस ने पेट्रोल की कीमतों में कटौती नहीं की थी बल्कि बढ़ाई  थी जबकि कच्चे तेल की कीमतें 60% गिरी थी ? मुझे लगता है कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी हमारे देश के कल्याण और विकास के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इसलिए मैं चाहता हूँ कि मोदी जी के Supporters पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कांग्रेस को vote करें और अगले चुनाव में भी बीजेपी को ही वोट करें क्यूंकि कांग्रेस भी Petrol Price कम नहीं करेगी। जब एक troller मुझे 2014 में पेट्रोल और कच्चे तेल की कीमतों को देखने के लिए कह सकता है, तो वह खुद 1994 में पेट्रोल की कीमतों और कच्चे तेल की कीमतों को क्यों नहीं देख सकता?

मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि हमें फिर से नरेंद्र मोदी को वोट देना चाहिए क्योंकि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो भी पेट्रोल  की कीमतों पर कटौती की कोई गारंटी नहीं है लेकिन अगर मोदी जी सत्ता में बने रहते हैं तो वो भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।