मैंने
Recently एक खबर सुनी
कि किसान इन दिनों protest कर
रहे हैं। मैंने उनके Protest पर Comment नहीं किया, क्योंकि
मुझे उनके संघर्ष, चुनौतियों और समस्याओं के
बारे में कुछ भी नहीं पता
था, लेकिन आज उनका दूध
फैलाकर और सड़कों पर
सब्जियां फेंककर Protest करने का तरीका देखकर
मैं आश्चर्यचकित था। उन्हें खाने की चीज़ों को
अपमानजनक तरीके से बर्बाद नहीं
करना चाहिए। अगर वे दूध की
आपूर्ति को रोकना चाहते
थे, तो वे सारा
दूध Store कर सकते थे
और फिर, वे आवारा जानवरों
को ये सारा दूध
पिला कर
अपना प्रोटेस्ट दिखा सकते थे। और ये सब
प्रोटेस्ट साइट पर ही करना चाहिए
था। ऐसा करके, वे General Public के
लिए दूध की आपूर्ति बंद
करके सरकार को अपना गुस्सा
दिखा सकते थे। वो सारे दूध
के Dairy Products बना कर बिना उसे
बर्बाद किए हुए भी दूध की
आपूर्ति बंद कर सकते थे।
और जब आम जनता
को बाजार में दूध की कमी महसूस
होती तो उन्हें उनकी
मांगों पर विचार करने
के लिए सरकार को मजबूर करने
में मदद मिल सकती थी। इसी तरह, वे सब्जियों और
अन्य उत्पादों को आवारा जानवरों
या अपने पालतू पशुओं को खिलाकर सरकार
को दिखा सकते थे कि वे
इन चीजों की बाजार में
Supply नहीं कर रहे। लेकिन
जैसे वे विरोध कर
रहे हैं, उसे देखकर मुझे लगता है कि वे
असली किसान हैं ही नहीं। एक
असली किसान अपने पैदा किये हुए अनाज और सब्जियों को
इतने अपमानजनक तरीके से कैसे बर्बाद
कर सकते हैं?
मुझे
समझ में नहीं आता कि लोग विरोध
करने के लिए इन
अमानवीय तरीकों का उपयोग क्यों
करते हैं। कभी वे आम जनता
और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते
हैं तो कभी वे
ऐसे काम करना शुरू करते हैं जैसे वे अब कर
रहे हैं। ये लोग केवल राजनीतिक दलों को सुनकर उनकी
मन का काम करते
हैं लेकिन वे अपने दिमाग
का उपयोग नहीं करते और यही कारण है जिसकी वजह से हमारा
देश पिछड़ेपन से पीछा नहीं
छुड़ा पा रहा है
।
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