Thursday, September 27, 2018

मैंने 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी जी को वोट नहीं दिया था, लेकिन मैं 2019 के चुनावों में उन्हें वोट दूंगा।

पहले मुझे लगता था कि सभी राजनेता भ्रष्ट और चोर होते हैं क्योंकि ज्यादातर ऐसे ही होते हैं। मैंने अपने बचपन में पापा से श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कुछ अच्छा सुना था, लेकिन किसी से भी किसी अन्य राजनेता के बारे में कभी भी कुछ अच्छा नहीं सुना। इसलिए, मैं राजनीति, मतदान और राजनीतिक मामलों से दूर रहता था। जब मैं अठारह साल का हुआ, मैंने कभी भी किसी राजनीतिक दल या नेता को वोट देने के बारे में कभी नहीं सोचा था क्योंकि मुझे पता था कि वे भ्रष्टाचार और घोटाले करके अपनी जेबें भरने की के अलावा कुछ नहीं करेंगे। इसीलिए मैंने मार्च 2017 से पहले कभी वोट नहीं डाला था लेकिन जब 2014 में नरेंद्र मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री बने, उन्होंने राजनीति और राजनेताओं के बारे में मेरे विचारों को बदल दिया। मुझे राजनीति या राजनीतिक मामलों के बारे में कुछ भी पता नहीं है और मैं लॉजिक के आधार पर अपने सभी फैसले लेता हूं।
पहला लॉजिक यह है कि जब मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री बने, उस समय मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था और नाईट शिफ्ट्स ( रात 10:00 बजे से सुबह  07:00 बजे तक ) कर रहा था। उस समय तक, मैंने समाचार देखने और सुनने में रुचि लेना शुरू कर दिया था और मैं ऑफिस से आने के बाद और जाने से पहले समाचार देखता था। मेरा ऑफिस मेरे घर से केवल 500-600 मीटर दूर था, इसलिए मैं ऑफिस के लिए रात 9:30 बजे निकलता  था और सुबह 07:20 बजे घर लौटता था। ज्यादातर समय, मैंने ऑफिस जाने के पहले उन्हें लाइव खबरों में देखा है और जब मैं ऑफिस से वापस आया, तो भी वह काम करना शुरू कर चुके होते थे। तब मुझे लगा कि एक व्यक्ति, जो इतनी मेहनत करता है, एक भ्रष्ट  राजनेता नहीं हो सकता है। अगर वह अपनी जेब भरना चाहते तो वो इतना कठिन परिश्रम नहीं करते लेकिन वह कड़ी मेहनत करते है क्योंकि वह देश के लिए कुछ करना चाहते है।

उनका समर्थन करने का मेरा दूसरा लॉजिक यह है कि वह हमेशा प्रधान मंत्री के रूप में अपने व्यक्तिगत प्रयासों के साथ साथ कुछ सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों के बारे में भी बात करते हैं। उन्होंने सभी को स्वच्छता पर ध्यान देने और देश की शेष आबादी को एलपीजी प्रदान करने के लिए एलपीजी सब्सिडी छोड़ने का अनुरोध किया जो कि उनकी सच्चाई दिखाता है। मैंने अन्य राजनेताओं को ये दावा करते देखा है कि वे जनता के लिए अकेले सबकुछ कर देंगे लेकिन मोदी जी अपनी योजनाएं सफल बनाने के लिए देश की जनता से भी समर्थन की मांग करते हैं। ये बातें मुझे उनकी नीतियों को वास्तविक और ईमानदार मानने के लिए मजबूर करती हैं क्योंकि मैं समझता हूं कि यदि कोई सरकार कोई पॉलिसी बनाती है लेकिन जनता अपनी रिस्पांसिबिलिटी नहीं निभाती, तो वह सफल नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर सरकार ने प्रत्येक क्रॉसिंग पर लाल और हरे सिग्नल लगा दिए हैं लेकिन जनता उनका पालन नहीं करती है, तो यह सिर्फ पैसे की बर्बादी है। इसलिए, मैं उनके और उनकी नीतियों के साथ खड़ा हूं।


तीसरा लॉजिक यह है कि मैंने अन्य राजनेताओं और राजनीतिक दलों को आतंकवादियों, नक्सलियों और भारत विरोधी लोगों का समर्थन करते देखा है, लेकिन मोदी जी की पार्टी राष्ट्रवाद और भारतीय सेना का समर्थन करती है। कांग्रेस का एक नेता पाकिस्तान जाता हैं और कहता हैं कि उसे भारत में नफरत और पाकिस्तान में प्यार मिलता है। मैं उस पार्टी का समर्थन कैसे कर सकता हूं जिसके नेता भारतीयों को नफरत करते हैं। कांग्रेस का एक नेता आतंकवादियों को क्रूरता से मारने पर भारतीय सेना  पर सवाल उठाता है और बीजेपी ही एकमात्र पार्टी है जो भारतीय सशस्त्र बलों के साथ खड़ी दिखती है। दूसरी तरफ, जब आतंकवादी भारतीय सेना के सैनिकों को मार देते हैं, तो सभी कांग्रेस नेता और अन्य पार्टियां अपने घरों में चुपचाप बैठ जाती हैं। यह स्पष्ट रूप से मुझे ये मानने को मजबूर करता है कि कांग्रेस आतंकवाद समर्थक और भारत विरोधी पार्टी है और बीजेपी राष्ट्रवादी पार्टी है।
चौथा लॉजिक यह है कि कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं और संस्थानों द्वारा मोदी जी की तारीफ की गई है। हाल ही में उन्हें हाईएस्ट एनवायर्नमेंटल ऑनर से सम्मानित किया गया है। यह उनकी नीतियों का नतीजा है जिसने भारत को इंटरनेशनल सोलर अलायन्स में एक चैंपियन बना दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस और राहुल गांधी की केवल पाकिस्तान द्वारा सराहना की जाती है जो मुझे कांग्रेस का समर्थन करने के लिए राजी नहीं करती क्योंकि पाकिस्तान खुद ही एक आतंकवादी देश है। मोदी जी को चोर बुलाए जाने पर पाकिस्तान द्वारा समर्थित एक पार्टी पर कम से कम मैं तो भरोसा नहीं कर सकता । मेरे अनुसार, राहुल गांधी को पाकिस्तानी नेता को जवाब देना चाहिए था कि उन्हें पाकिस्तान के समर्थन की ज़रूरत नहीं है और हमारे प्रधान मंत्री को गली देने का अधिकार नहीं है। यह हमारा आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को हमेशा इसके बाहर रहना चाहिए।

पांचवां लॉजिक यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों और अन्य चीजों की बढ़ती कीमतें मुझे विचलित नहीं करती हैं क्योंकि मुझे पता है कि कांग्रेस सरकार में भी महगाई बढ़ रही थी और यदि वे उसे नियंत्रित करने में सक्षम थे, तो कैसे बीजेपी ये दावा करके सत्ता में आ गई की वो महंगाई कम कर देंगे ?  नीचे पेट्रोलियम उत्पादों पर मेरी पोस्ट पढ़ें:
छठा लॉजिक यह है कि मुझे वर्तमान में मोदी जी के अलावा कोई नेता नहीं दिखता जो भारत का प्रधान मंत्री बनने के लायक हो। हमारे देश का प्रधान मंत्री मोदी जी के जैसा ही शक्तिशाली होना चाहिए। कुछ और मुद्दे भी हैं,जिनके बारे में मैंने समाचार में देखा। मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के मामले में एंटीगुआ सरकार से बात करने के लिए आज हमारी विदेश मंत्री एंटीगुआ में है। मोदी सरकार ही एकमात्र सरकार है जो मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे फ्रॉड्स से निपटने के लिए आर्थिक अपराध विधेयक लेकर आयी थी। मैंने आज भी खबरों में देखा है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुअल मैक्रॉन ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए राफेल मामले पर मोदी जी का समर्थन किया। ये सभी मामले मुझे यह विश्वास करने के लिए भी मजबूर करते हैं कि मोदी सरकार भारत देश की जरूरत है।

मैंने आज ये पोस्ट लिखी क्योंकि मैं अगले चुनावों में उनकी हार से डरता हूं। जिस तरह से लोग मोदी सरकार के खिलाफ बात कर रहे हैं, वे मुझे डराते हैं कि मोदी जी शायद इस बार हार सकते हैं क्योंकि भारत में रहने वाले भारत-विरोधी एकजुट हैं और असली भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों, आरक्षण और अन्य मुद्दों के कारण अपनी एकता खो रहे है जबकि ये मुद्दे कांग्रेस सरकार द्वारा भी हल नहीं हो पाएंगे। इसलिए मैं 2019 के आम चुनावों में मोदी जी को वोट दूंगा, सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं मेरा एक वोट न मिलने से वो हार न जाएँ ।

Saturday, September 22, 2018

न केवल अपने परिवार से प्यार करें बल्कि उन्हें अपना प्यार महसूस भी होने दें।

पिछले हफ्ते, मेरे एक दोस्त ने बताया कि वह अपने बच्चे के लिए पटाखे खरीदने जा रहा है। हालांकि दिवाली एक महीने बाद है, लेकिन दिवाली के दौरान पटाखा विक्रय बैन हो जाने के कारण वह पहले से ही खरीद लेना चाहता था जिससे उसके बच्चे की दिवाली की मस्ती में कोई कमी न आये। सभी माता-पिता दावा करते हैं कि वो अपने बच्चे से प्यार करते है और मुझे आशा है की वो करते होंगे पर ये बंदा अपने बच्चे को ख़ुशी देने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहता है । उसने मुझे बताया कि उसे पटाखे जलाना पसंद नहीं है  लेकिन उसने अपनी शादी के बाद, अपनी पत्नी की खुशी के लिए और बाद में बच्चे की भी ख़ुशी के लिए भी ऐसा करना शुरू कर दिया। मुझे उसका उसके परिवार के लिए प्यार देखकर अच्छा लगा।


सभी माता-पिता अपने बच्चों से प्यार करते हैं, ज्यादातर लोग अपने परिवार से प्यार करते हैं लेकिन वे अपने परिवार के सदस्यों / बच्चों को इस इंसान के विपरीत अपने प्यार को महसूस करने नहीं देते हैं। अपने परिवार / बच्चों को प्यार करना ही ज़रूरी नहीं है बल्कि उनकी खुशी की आवश्यकता को समझना भी ज़रूरी है। इस तरह से ही परिवार बनता है। अगर आपको नहीं पता कि आपके बच्चे को कैसे ख़ुशी मिलती है, तो ये दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि आप उसे प्यार करते हैं। यदि आप अपने परिवार की खुशी के लिए किसी चीज़/बात पर कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना चाहते हैं, तो ये दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि आप उन्हें प्यार करते हैं। यदि आपके परिवार का कोई सदस्य आपके फैसले से सहमत नहीं है और यह आपके अहंकार को नुकसान पहुंचाता है और आपको उसे अपने जीवन अलग कर देने  के लिए मजबूर करता है, तो ये कहने का कोई मतलब नहीं है कि आप उसे प्यार करते हैं। जिनके पास ऐसा  परिवार है जो किसी भी शर्त के बिना उन्हें प्यार करता है, वो भाग्यशाली लोग हैं। हर किसी को ऐसा परिवार बनने की कोशिश करनी चाहिए जिसके पास अपने परिवार के सदस्यों से प्यार करने के बदले कोई शर्त न हो। जिनके लिए उनका आधारहीन अहंकार ही सबकुछ हैं वे परिवार के नाम पर कलंक हैं। अगर आपको अपने परिवार की खुशी से ज्यादा ज़रूरी कुछ और नहीं लगता है, तो केवल आप ही अपने परिवार के सदस्यों के लिए एक अच्छा परिवार बन सकते हैं।

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि मानवता को नुकसान, कोई गैर क़ानूनी काम और किसी इंसान/जीव को कष्ट देने के अलावा हर इंसान को अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहना चाहिए।





Saturday, September 15, 2018

मानवाधिकार मनुष्यों के लिए होना चाहिए, न कि आतंकवादियों के लिए।

मैंने आज खबरों में देखा कि कुछ राजनेता रस्सी के माध्यम से आतंकवादियों के मृत शरीर को  सुरक्षा बलों द्वारा घसीटने पर सवाल उठा रहे थे। मुझे इसके कारण मानवता को कोई नुकसान पहुँचता नहीं दिख रहा है और ये भी तो हो सकता है कि कुछ सुरक्षा कारणों से सुरक्षा बलों ने उन लाशों को रस्सी के माध्यम से खींचा हो, और इन राजनेताओं को हमेशा आतंकवादियों, अलगाववादियों और नक्सलियों के लिए दर्द क्यों महसूस होता है। जब आपके घर या धर्म स्थल पर कोई आवारा कुत्ता या सुअर मर जाता है, तो क्या आप उसकी लाश को उस जगह से हटाने के लिए एक ताबूत की व्यवस्था करते हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता। मैंने लोगों को सार्वजनिक स्थान या अपने घर के आस पास से कुत्ते या सूअर के मृत शरीर को रस्सी के माध्यम से ही खींच कर हटाते देखा है। आतंकवादियों के मृत शरीर के साथ भी सुरक्षा बलों ने यही किया है।

अब सवाल यह है कि उन राजनेताओं इससे परेशानी क्यों है? क्या सुरक्षा बलों ने उनके प्रियजनों की लाशों को रस्सी से खींचा था। और यदि वे आतंकवादियों के मानवाधिकारों के बारे में बात कर रहे हैं, तो उन्हें पहले मानव होने के गुणों को समझना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि आतंकवादियों के पास मनुष्य होने  का एक भी गुण है, तो फिर उनके लिए कोई मानव अधिकार क्यों होना चाहिए। इसके अलावा मेरा इन राजनेताओं से एक सवाल है कि जब आतंकवादी निर्दोष जनता और सैनिकों को मारकर उनके शरीर के साथ बर्बरता करते हैं तब ये नेता मानवाधिकारों के बारे में क्यों नहीं बोलते हैं। वे उन आतंकवादियों से बात क्यों नहीं करते और उन्हें मानवाधिकारों का सबक क्यों नहीं सिखाते हैं।
मुझे पता है कि इन राजनेताओं को उनकी कुर्सी को छोड़कर किसी की परवाह नहीं है क्योंकि ये सिर्फ जनता के पैसे लूटना चाहते हैं और अपने खजाने को भरना चाहते हैं। ये नेता सही लोगों के लिए कभी नहीं लड़ते हैं, लेकिन वे उन मुद्दों के लिए ज़रूर लड़ते हैं जो उन्हें सत्ता में आने में मदद कर सकते हैं। इस मुद्दे को उठाकर वे अलगाववादियों, माओवादियों, नक्सलियों और उन लोगों के वोट जीतना चाहते हैं जो भारत में रहते हैं लेकिन भारत-विरोधी हैं। ये राजनेता यह भी जानते हैं कि बाकी के लोगों को देश के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें जाति, धर्म और मुफ्तखोरी के आधार पर तोडा जा सकता है।
यही समय है कि हम इस तरह के राजनेताओं को राजनीतिक व्यवस्था से बाहर निकाल फेंकें, ताकि हमारे सुरक्षा बल जो हमारी और हमारे देश की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं, किसी भी निंदा का सामना किये बिना अपने कर्त्तव्य का पालन कर सकें ।

Saturday, September 8, 2018

अयोग्य लोग ही आरक्षण की मांग करते हैं। जाति और धर्म पर आधारित आरक्षण के कांसेप्ट को सिस्टम से हटाना बहुत ज़रूरी है।

पिछले 2-3 सालों से आरक्षण एक ट्रेंडिंग विषय रहा है। इन दिनों अल्पसंख्यक, जाट, पटेल और कई अन्य समुदायों के लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। ये लोग हमारे देश के विकास के लिए खतरा हैं। इन्हे आरक्षण क्यों चाहिए? आरक्षण के आधार पर नौकरी पाने के बजाय खुद को नौकरी के लिए योग्य बनाने के लिए वे कड़ी मेहनत क्यों नहीं कर सकते? आरक्षण के आधार पर उन्हें कॉलेज में प्रवेश क्यों लेना चाहिए, भले ही उनका प्रतिशत कई अन्य योग्य छात्रों की तुलना में बहुत कम है? हमारे देश में इन अयोग्य लोगों की वजह से बड़ी संख्या में प्रतिभाएं बर्बाद हो रही हैं क्योंकि प्रतिभाशाली लोगों को देश की सेवा करने का अवसर नहीं मिल रहा है क्योंकि उन सीटों को इन अयोग्य उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया है। ये लोग नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं हैं लेकिन उन्हें आरक्षण के दम पर नौकरी मिल जाती है और योग्य उम्मीदवार बेहतर ज्ञान और समझ के बाद भी इन बेवकूफों के पीछे खड़े रह जाते हैं।
जब मैं कॉलेज में एडमिशन के लिए गया था, तो प्रॉस्पेक्टस के हिसाब से आरक्षित वर्ग के छात्रों को प्रवेश पाने के लिए बाकी छात्रों की तुलना में 10% कम अंक चाहिए। मैं जानना चाहता हूं कि इस कांसेप्ट के पीछे तर्क क्या है। क्या आपकी जाति या धर्म आपको अच्छी तरह से पढाई करने और बेहतर अंक प्राप्त करने से रोकता है? मुझे ऐसा नहीं लगता। एक छात्र, जिसने प्रवेश के लिए आवश्यक अंक अर्जित किए, अयोग्य हो गया क्योंकि वो सीट 10% कम अंक वाले आरक्षित वर्ग के छात्र को मिल गयी। आरक्षित वर्ग के एक योग्य उम्मीदवार को देकर वह एक सीट बर्बाद कर दी गई है। वह आरक्षित वर्ग का छात्र जिसके अंक उस सीट के लिए पुरे नहीं थे, अपनी अगली परीक्षाओं में भी बेहतर अंक नहीं ला पाएगा, और अनारक्षित वर्ग के योग्य छात्र को आगे के अध्ययन का अवसर नहीं मिलेगा क्योंकि उनके पास अच्छे अंक हैं लेकिन आरक्षण नहीं हैं।
इसी तरह, जब सरकारी नौकरियां निकलती हैं, तो सरकार उचित उम्मीदवार, जो नौकरी ठीक से कर सकता है,  को खोजने के लिए योग्यता मानदंड निर्धारित करता है  लेकिन जब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार उसी नौकरी के लिए आवेदन करता है, तो सरकार योग्यता मानदंडों को बदल देती है। मैं जानना चाहता हूं कि कौन सा तर्क उस आरक्षित वर्ग के छात्र को नौकरी के लिए योग्य बनाता है जिसके लिए वह योग्य नहीं होता अगर वह आरक्षित वर्ग से नहीं होता। आरक्षण के कारण ये  अयोग्य उम्मीदवार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेकर वहां का माहौल खराब कर रहे हैं। आरक्षण के कारण ये अयोग्य लोग महत्वपूर्ण पदों पर बैठ रहे हैं और हमारे देश के भविष्य का बेड़ागर्क  कर रहे हैं।
मेरे अनुसार, जाति और धर्म पर आधारित आरक्षण अपने देश को खोखला करने के एक तरीके से ज्यादा कुछ नहीं है। अभी भी समय है, अगर हमारी सरकार सिस्टम से इन आरक्षणों को समाप्त कर दे, तो यह हमारे देश के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। साथ ही जो लोग आरक्षण मांगते हैं वे एक भिखारी से ज्यादा कुछ नहीं हैं जो बिना किसी प्रयास के जीवन में सब कुछ चाहते हैं। इन लोगों को काम करना शुरू कर देना चाहिए और आरक्षण की भीख मांगने के बजाय जीवन में कुछ भी हासिल करने के लायक बनने की कोशिश करनी चाहिए।

Saturday, September 1, 2018

मानवता अभी भी जीवित है, आइए इसे मरने न दें।

मैंने लोगों की संवेदनहीनता के बारे में कई ख़बरें देखीं हैं, जो मानवता और समाज के लिए हानिकारक है। हर दूसरे दिन, समाचार चैनल मौके पर उपस्थित लोगों की संवेदनहीनता के कारण सड़क दुर्घटना में पीड़ित की दर्दनाक मौत की खबर दिखाते हैं। हालांकि मैंने हाल ही में कुछ दुर्घटनाएं देखीं जहां लोगों ने मानवता की एक महान भावना दिखाई।
कुछ हफ्ते पहले, मैं वसंत विहार से छतरपुर जा रहा था। मैं वसंत स्क्वायर मॉल के पास एक चौराहे पर  सिग्नल के हरे होने की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे ही  सिग्नल मेरे लिए हरा हुआ और दूसरी तरफ लोगों के लिए लाल हुआ, एक ऑटो रिक्शा (तीन पहिया) चालक ने  यू टर्न लेने की कोशिश की। ऑटो रिक्शा असंतुलित हो गया क्योंकि ड्राइवर गति को नियंत्रित नहीं कर सका और ऑटो रिक्शा पलट गया। वहां पर मौजूद लोगों ने सेकेंडों के भीतर ऑटो रिक्शा उठा दिया और पीड़ितों को निकालने में मदद की। इस घटना के बाद, मुझे लगा कि मानवता अभी भी जीवित है और लोग दूसरों के दर्द को आज भी महसूस करते हैं।
मैंने पिछले हफ्ते एक और दुर्घटना देखी। मैं सुबह ऑफिस जा रहा था। सिग्नल लाल था लेकिन एक बुजुर्ग आदमी बाइक से सिग्नल तोड़ते हुए और दूसरी तरफ के बाइक वाले को टक्कर मार दी और खुद ही सड़क पर गिर गए। वह व्यक्ति, जिस को टक्कर पड़ी थी, खुद को सँभालते हुए ट्रैफिक वॉइलेटर की ओर दौड़ा और उसकी बाइक उठाकर उसे उठने में मदद की।
इन दोनों के अलावा, मैंने कुछ और घटनाएं देखी हैं जहां लोगों ने दूसरों की मदद ऐसे की जैसे कि वे स्वयं के लिए सहायता चाहते थे। मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि हमें दूसरों के दर्द को समझने के इस दृष्टिकोण को जारी रखना चाहिए और इन अवांछित परिस्थितियों को दूर करने में दूसरों की मदद करते रहना चाहिए, इस तरह हम मानवता की भावना को बचा सकते हैं और इस धरती को जीने के लिए एक बेहतर जगह बना सकते हैं।

Sunday, August 12, 2018

धार्मिक आयोजनों के नाम पर अराजकता फैलाकर हिंदुत्व को बदनाम करना बंद करो।

पिछले हफ्ते, श्रावण महीने की महाशिवरात्री के अवसर पर विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित कावड़ यात्रा के दौरान कुछ अराजक घटनाएं हुई हैं। मैंने उन वीडियो को देखा है जहां कुछ असामाजिक मानसिकता के लोग इस पवित्र यात्रा के दौरान अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे थे। इन पवित्र घटनाओं और यात्राओं में इन अराजकतावादियों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अब सवाल यह है कि इन घटनाओं में भाग लेने से इन घटिया लोगों को कौन रोकेगा ? जाहिर है यात्रा के आयोजक रोकेंगे। आयोजकों यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके किसी भी आयोजन में आपराधिक मानसिकता का एक भी व्यक्ति उपस्थित न हो क्योंकि यह हर हिंदू की ज़िम्मेदारी है कि वह हिंदुत्व को बदनाम होने से रोके। मैं इनकी हरकतें देखकर हैरान था, आप भी देखिये,
भगवान शिव इस तरह के अराजक और आपराधिक कृत्यों के द्वारा समाज और मानवता को डराने का अधिकार किसी को भी नहीं देते हैं। वह इंसान असली शिवभक्त हो ही नहीं सकता जिसके पास न तो धैर्य है, न क्षमा करने की शक्ति और न ही क्रोध पर नियंत्रण। यदि आप खुद को शिवभक्त समझते हैं, तो पहले उपर्युक्त गुणों का और इंसानियत का पालन करना सीखें। यदि आप किसी भी धार्मिक आयोजन के आयोजक हैं, तो यह सुनिश्चित करना आपकी ज़िम्मेदारी है कि आयोजन में सम्मिलित सभी लोगों में  धैर्य, क्षमा करने की शक्ति और अपने क्रोध पर नियंत्रण हो।
जो लोग सोचते हैं कि वे बहुत शक्तिशाली हैं और वे इन आयोजनों के दौरान अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश करते हैं, वे शक्तिशाली नहीं बल्कि डरपोक हैं जो धार्मिक आयोजनों के पीछे खुद को छुपाकर अपने अराजक कृत्यों को अंजाम देते हैं। यदि वे सच में इतने शक्तिशाली हैं तो वे कश्मीर जाकर आतंकवादियों और पत्थरबाजों से क्यों नहीं लड़ते हैं। यदि वे सच में इतने शक्तिशाली हैं तो वे उन नेताओं पर हमला क्यों नहीं करते जो भारत के खिलाफ बोलते हैं। मैं बताता हूँ कि वे ऐसा क्यों नहीं करते क्योंकि उनमे अपने दम पर कुछ करने की हिम्मत है ही नहीं। ये इतने बड़े कायर और डरपोक होते हैं कि भोलेनाथ के भक्तों के पीछे छिपकर निर्दोष लोगों पर हमला करके  उन्हें और हिंदुत्व दोनों को बदनाम करते हैं। यदि आप उनमें से एक हैं, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप बहुत ही घटिया इंसान हैं जो न तो समाज में रहने लायक है न ही हिन्दू कहलाने के लायक हैं और अगर आप उनमें से नहीं हैं और भगवान शिव और हिंदुत्व के असली follower हैं, तो ऐसे लोगों को  पहचानना और उन्हें किसी भी धार्मिक आयोजन, सभा या स्थान से दूर रखना आपकी भी ज़िम्मेदारी है।

Sunday, August 5, 2018

उस मजहब का पालन न करें जो मानव जाति और मानवता के कल्याण से ऊपर खुद को बताता है।

इन दिनों, कुछ समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के कारण रोज मानवता का संहार किया जा रहा है और मजहब के नाम पर अपराध को Justify किया जा रहा है जो कि मानवता के लिए घातक है। और इसके लिए ज़िम्मेदार वो हैं जो अपने मजहब के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठाते हैं। मैंने किसी भी धर्मग्रन्थ को अब तक नहीं पढ़ा है, इसलिए मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, लेकिन यदि आपका धर्मग्रन्थ  उन बातों का समर्थन करता है जो मानवजाति की लिए नुकसानदेह है, तो आपको उसमे लिखी उस बात को नहीं मानना चाहिए। अगर कोई धर्मगुरु, धर्मग्रन्थ या मजहब मानवता को नुकसान पहुंचाता है तो हमें उसके खिलाफ जाना चाहिए। मानव जाति के कल्याण के लिए अगर आप मजहब के खिलाफ जाते हैं तो ईश्वर आपसे ज्यादा खुश होगा।
यदि आपका मजहब कहता है कि जो इंसान भगवान के उस नाम को नहीं मानता जिसे आप मानते हैं तो उसे  मार देना चाहिए , तो आपको अपने धर्म के खिलाफ जाना चाहिए। यदि आपका मजहब पुरुष  और महिलाओं दोनों को बराबर अधिकार नहीं देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि किसी भी इंसान को वो अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए जिनका दुरूपयोग वो दूसरे लिंग के इंसान पर हावी होने के लिए कर सके। यदि आपका मजहब आपको दूसरे मजहब का सम्मान नहीं करने देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि ये धार्मिक दंगो और अराजकता के जन्मदाता हैं और यह नरसंहार पैदा करता है जो स्पष्ट रूप से मानवता के खिलाफ है। यदि आपकी धार्मिक मान्यताएं आपको किसी इंसान को बिना उसकी बात सुने मारने की इजाजत देता है या मजबूर करता हैं, तो आपको भी अपने मजहब और उसकी मान्यताओं पर पुनर्विचार करना होगा। यदि आपका मजहब किसी व्यक्ति को कई पत्नियां रखने के अधिकार देता है तो उसे एक महिला को कई पति रखने  का अधिकार भी देना चाहिए (बशर्ते महिला की मर्ज़ी के मुताबिक) और यदि आपका मजहब किसी महिला को यह अधिकार नहीं देता है, तो वह मजहब Follow करने के लायक ही नहीं है। यदि आपका मजहब, देश से बड़ा मजहब को मानने के लिए आपको विवश करता है  तो उससे बुरा मजहब कोई नहीं हो सकता। यदि आपका मजहब अन्य मजहबों द्वारा माने जाने वाले ईश्वर के नाम का सम्मान नहीं करता है, तो आपका मजहब आपको गलत Track पर ले जा रहा है क्योंकि ईश्वर केवल एक है, जिसके  कई नाम हैं और यदि आप भगवान के दूसरे नाम का अनादर करते हैं, तो भी आप ईश्वर का ही अपमान कर रहे हैँ।
ऊपर बताए गए सभी Points किसी न किसी तरीके से मानवता के लिए हानिकारक हैं। उनमें से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ परोक्ष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनमें से कुछ विभिन्न मजहबों के अनुयायियों के आपसी भाईचारे के लिए हानिकारक हैं जिससे  नफरत और अराजकता की उत्पत्ति होती है जिसके फलस्वरूप मानवता को नुकसान पहुँचता हैं। कुछ प्रत्यक्ष हत्याएं करके मानवता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए अपने मजहब का अन्धविश्वास के साथ पालन करने के बजाय बुद्धिमानी से पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि मजहब की कोई भी मान्यता, मानवता और मानव जाति को नुकसान न पहुंचा रही हो क्योंकि मजहब और उसके नियम-कानून बनाने वाले भी इंसान ही  थे और क्या पता उन्होंने नियम बताते वक़्त कुछ गलती कर दी हो इसलिए  कृपया अपने मजहब में मौजूद बुराईयों को खत्म करने के लिए उसके खिलाफ खड़े हो जाओ और दुनिया के सबसे अच्छे धर्म की सेवा करें जो कि मानवता है।