Saturday, February 16, 2019

भारत विरोधी, मानवता विरोधी और आतंकवाद समर्थक आवाज़ों को खत्म करने के लिए भारत में असहनशीलता का होना आवश्यक है।

हमने हाल ही में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैशएमोहम्मद द्वारा CRPF के काफिले पर कायरतापूर्ण हमला देखा है, जिसके परिणामस्वरूप चालीस से अधिक भारतीय सैनिकों की जान चली गई।
यह भारत और भारतीयों द्वारा दिखाई गई सहिष्णुता का परिणाम है। हमारे सुरक्षा बल पाकिस्तान से आ रहे आतंकवादियों को मार रहे हैं, लेकिन उन्हें कश्मीर के पत्थरबाज आतंकवादियों को बर्दाश्त करने के लिए मजबूर किया गया परिणामस्वरूप, उनमें से एक ने इस घातक आतंकवादी हमले को अंजाम दिया है। अगर हम उन पत्थरबाजों के प्रति सहिष्णु नहीं होते और सुरक्षा बलों को उन्हें देखते ही गोली मार देने की स्वतंत्रता होती, तो शायद हम अपने देश को इस बड़े नुकसान से बचा सकते थे। हम उन सभी को सहन करते हैं जो भारत के खिलाफ और भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ बात करते हैं जो हमारे द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती है। हम उन राजनेताओं को बर्दाश्त करते हैं जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवादियों का समर्थन करते हैं। हम जेएनयू के आतंकी समर्थको को बर्दाश्त करते हैं जो अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि भारत का फिर से विभाजन हो। हम उन बेवकूफ़ बुद्धिजीवियों को सहन करते हैं जो कश्मीरी आतंकवादियों का भटके हुए युवा बोलकर समर्थन करते हैं। हम कुछ ऐसे लोगों को भी बर्दाश्त करते हैं जो हमारे बीच में ही रहते हैं और इन आतंकवादियों का समर्थन करते हुए कहते हैं कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हमें उन सभी के प्रति सहनशील नहीं होना चाहिए।
कल मेरे एक मित्र ने मुझे बताया कि उनकी टीम की एक लड़की यह कहकर इस हमले का समर्थन कर रही है कि जिस आतंकवादी ने पुलवामा हमले को अंजाम दिया, उसने अपने हक की लड़ाई लड़ी है। मुझे समझ नहीं आता की ये बेवकूफ लोग क्या खाकर ऐसा सोच पाते हैं। इस प्रकार के लोग नरसंहार और युद्ध के बीच के अंतर को भी नहीं जानते हैं और अधिकारों के लिए लड़ने की बात करते हैं। मुझे उससे ज़्यादा परेशानी उसके टीम लीडर और मैनेजर से है जो इस प्रकार के लोगों को कार्यक्षेत्र में रखकर उन्हें आर्थिक समर्थन देते हैं। क्या इस प्रकार के लोगों को अपनी टीम से बाहर फेंकना टीम के प्रबंधक की जिम्मेदारी नहीं है? क्या वे भारतीय नहीं हैं या कार्यालय भारत में स्थित नहीं है? लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे देश और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ख्याल नहीं रखते हैं। ये प्रबंधक केवल एक्सेल शीट और पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने के लिए बनाए गए हैं, इनमे समाज या देश के लिए खड़े होने की क्षमता नहीं होती है। इस प्रकार के लोगों के खिलाफ असहिष्णुता होनी चाहिए। कंपनियां नस्लवादी और सांप्रदायिक बयानों के लिए सख्त नीतियां बनाती हैं, लेकिन वे राष्ट्र विरोधी और मानव विरोधी बयानों के खिलाफ कोई नीति नहीं बनाते हैं क्योंकि राष्ट्र का उनके लिए कोई मूल्य नहीं होता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए भारत विरोधी, मानवता-विरोधी और आतंकवादियों के समर्थकों के प्रति असहिष्णु होने का समय है।
कल मैंने एक समाचार देखा कि पूरे देश में कई समूह इस आतंकवादी हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही एक और खबर थी कि एक एएमयू छात्र आतंकवादी समूह को “हाउज़ द जैश” कहकर अपना समर्थन दिखा रहा था। उसी के संबंध में चित्र नीचे देखें:

जब पूरे भारत में बहुत सारे समूह विरोध कर रहे हैं, तो इस आतंकवाद समर्थक के नज़दीकी समूहों में से किसी एक समूह को एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसे मार देना चाहिए था। इन कमीनों के प्रतिअसहिष्णु बनने का यह सही समय है।
कोई भी, जो आतंकवादियों के समर्थन में और भारत और मानवता के खिलाफ काम या बात करता है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, भले ही वह एक राजनीतिज्ञ, सेलिब्रिटी या भटका हुआ नौजवान हो। और इस प्रकार के लोगों के प्रति असहिष्णु होने की जिम्मेदारी प्रत्येक भारतीय को लेनी चाहिए।

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Friday, December 21, 2018

अपने वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा मत करो।

वित्तीय योजना एक सुरक्षित भविष्य की योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन ये योजना अपनी आंखों और दिमाग को खोलकर बनानी चाहिए अन्यथा आपका वित्तीय सलाहकार आपका पैसा लूट सकता है। मैं एक वित्तीय सलाहकार की लूट का शिकार हो चूका हूं क्योंकि मैंने उस पर अन्धविश्वास किया था। मेरी एक मित्र हाल ही में एक वित्तीय सलाहकार के धोखे का शिकार हुई है। अधिकांश वित्तीय सलाहकार सिर्फ अपने कमीशन पर ध्यान देते हैं और ग्राहक के लाभों को अनदेखा करते हैं, चाहे वह स्टॉक मार्केट सलाहकार, बीमा सलाहकार या किसी अन्य वित्तीय क्षेत्र के सलाहकार हों।

शुरुआत में जब मैंने शेयर बाजार में व्यापार करना शुरू किया, तो मुझे व्यापार के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन ब्रोकरेज हाउस द्वारा मुझे असाइन किये हुए रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह बताएगा कि कौन सा ट्रेड लगाना है। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए कोई होमवर्क किए बिना मेरा पैसा बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने का एक अच्छा अवसर था। वह कॉल करता था और मुझे बताता था कि कॉल एन ट्रेड विकल्प के माध्यम से मुझे कौन सा ट्रेड खोलना चाहिए। मैंने वही किया और कुछ दिनों के बाद उसने कॉल करना बंद कर दिया। मैंने कई बार उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। मैंने बाद में ब्रोकरेज फर्म की सपोर्ट टीम से संपर्क करने का फैसला किया। जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि मैंने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जो पैसा डाला था, वो गवां चूका था और तब मुझे पता चला कि उस रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझे कॉल करना क्यों बंद कर दिया था। उसका मकसद केवल मेरे व्यापारों के माध्यम से कमीशन कमाना था क्योंकि ब्रोकरेज हाउस अपना कमिशन ज़रूर लेते हैं चाहे ट्रेडर को बेशक नुकसान हुआ हो।
इसी तरह, मेरी एक मित्र अनुू के साथ हाल ही में उसके बीमा सलाहकार ने फ्राड किया। उसने पॉलिसी बंद करने में मदद करने के लिए अपने बीमा सलाहकार से बात की। उसके सलाहकार ने उसे बताया कि यदि वह पॉलिसी बंद करेगी, तो पेनल्टी लगाई जाएगी। उसके बाद, उसने उससे कम प्रीमियम वाली एक पालिसी खरीदने के लिए कहा और कहा कि नई पालिसी लेने से पुरानी पालिसी बंद करने पर लगने वाली पेनल्टी वेव ऑफ हो जाएगी। उसने वही किया और सोचा कि उसने एक अच्छी धनराशि बचाई लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था। उनके बीमा सलाहकार ने उसे नई बीमापोलिसी बेच दी और कहा कि वह पुरानी पालिसी बंद करवा देगा। उसे अनुू की नई पालिसी का कमीशन मिल गया लेकिन उसने अनु पुरानी पालिसी बंद नहीं करवाई। अनु को ये तब पता चला कि उनकी पुरानी पालिसी बंद नहीं हुई है जब दोनों पॉलिसीज के लिए उसके खाते से पैसे कट गये। जब मैंने इस घटना के बारे में शशि (मेरी पत्नी जो एक बीमा सलाहकार है) को बताया, उसने मुझे बताया कि एक बीमा सलाहकार पॉलिसी रद्द नहीं कर सकता है, बल्कि ये काम पॉलिसी धारक द्वारा केवल बीमा कंपनी की शाखा में जाकर ही किया जा सकता है। उसने मुझे यह भी बताया कि अगर ऐसी कोई धोखाधड़ी किसी के साथ होती है, तो वो बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में उस सलाहकार के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और सलाहकार का एजेंसी कोड लिखना न भूलें जिसका उल्लेख आपकी पहली प्रीमियम रसीद पर होता है। इसके बाद भी यदि बीमा कंपनी इस मुद्दे को हल नहीं कर रही है, तो अपनी शिकायत आईआरडीए के साथ दर्ज करें।
तो कहने का मतलब यह है कि आपको किसी भी वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि खुद भी थोड़ी रिसर्च करनी चाहिए और यदि उसके बाद भी आप किसी धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं, तो शांत मत बैठें, शिकायत करें और अपने अधिकार के लिए तब तक लड़ें जब तक आपको शिकायत का हल नहीं मिल जाता।

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Sunday, December 9, 2018

अपने क्रोध को नियंत्रित करो और अपने प्रियजनों को परेशान होने से बचाओ।

क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन हम आम तौर पर अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं करते हैं क्योंकि अगर हम इसे नियंत्रित करते हैं, तो हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है और अगर हम नियंत्रण नहीं करते हैं, तो यह हमारी अहंकार को संतुष्ट करता है लेकिन बहुत सी ज़िन्दगियों को भारी नुकसान पहुंचाता है। कई मामलों में, यह जीवन खोने या जीवन को नष्ट करने में मदद करता है लेकिन फिर भी बहुत से लोग अपने क्रोध को अपनी स्वाभाव का सबसे अच्छा हिस्सा मानते हैं। मैंने कई माता-पिता को अपने बच्चों के गुस्से का समर्थन करते हुए देखा है। वो बड़े प्यार से कहेंगे की वह थोड़ा गुस्सैल है उसके सामने ऐसी बात क्यों करते हो जो उसे पसंद नहीं।  मुद्दा यह है कि परिवार में पल रहे एक गधे (गुस्सैल स्वाभाव के इंसान) को परिवार के अन्य सदस्यों पर हावी क्यों होने देना चाहिए वो भी तब जब वो इंसान गलत है। किसी भी परिवार / समाज को ऐसे व्यक्ति को शय नहीं देनी चाहिए जिसे गुस्सैल स्वाभाव एक दोष लगने के बजाए एक गुण लगता है। जिस इंसान को उसका क्रोध नियंत्रित करता है उसे किसी भी  परिवार / समाज द्वारा शय नहीं दी जानी चाहिए बल्कि उसे पिंजरे में रखा जाना चाहिए क्योंकि वह परिवार / समाज के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। क्रोध के नियंत्रण में रहने वाला व्यक्ति एक पागल जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले हफ्ते मैं अपने एक ऐसे दोस्त से मिलने के लिए मुजफ्फरनगर जिला जेल गया था, जो अपने गांव के झगडे में शामिल होने की वजह से कैद है, जिस झगडे ने उसके खुद के जीवन सहित कई लोगों को नुकसान पहुंचाया था। जब मैं उससे मिलने की अनुमति पाने के लिए जेल से बाहर इंतजार कर रहा था, मैंने वहां कई परिवारों को देखा जो अपने परिवार के किसी कैदी सदस्य से मिलने की अनुमति पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई महिलाएं, बुजुर्ग  और बच्चे भी उस भीड़ का हिस्सा थे। मैंने वहां ज़मीन पर कई छोटे बच्चे अपनी बारी के इंतज़ार में लेटे हुए देखे । मेरा कहना यह है कि क्या इन छोटे-छोटे बच्चों को जेल के आसपास भी होना चाहिए । 3-4 साल के बच्चों को जेल में या उसके आसपास भी उपस्थित नहीं होना चाहिए, लेकिन वे वहां मौजूद थे क्योंकि उनके घर के किसी बड़े ने गुस्से में कुछ ऐसा कर दिया जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा नतीजतन, उनके परिवार के छोटे बच्चों को उनसे मिलने के लिए उस जगह पर मज़बूरी में जाना पड़ता है जो कि नकारात्मकता से भरा होता है और वह नकारात्मकता उन बच्चो के दिमाग और जीवन दोनों को प्रदूषित कर सकती है। जब मैं उस जगह के आसपास था, तो मैं खुद नकारात्मकता का अनुभव कर रहा था क्योंकि हर कोई अपराध और जिंदगी बर्बाद करने वाली हरकतों के बारे के बात कर रहा था। साथ ही मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान चाहता है की उसका परिवार उसके क्षणिक गुस्से के कारण पुलिस और अदालतों के चक्कर लगाए। मेरा दोस्त खुद कह रहा था कि उसे दुःख होता है जब वह अपने परिवार को उसको छुड़ाने के चक्कर में परेशान होते हुए देखता है ।
इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को अपने परिवार को अपने बाद परेशान होने से  बचाने के लिए अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें कभी लड़ना नहीं चाहिए, लेकिन हमें तब तक लड़ना नहीं चाहिए जब तक कि कोई अन्य विकल्प न होने की दुर्लभ स्थिति हो। एक और बात, आप ये तभी समझ सकते हैं की बात करके कोई भी मामला हल किया जा सकता है जब आपमें गुस्से पर नियंत्रण रखने की क्षमता हो। अगर आपको क्रोध नियंत्रित करता है तो ये समझदारी का काम आपसे नहीं हो पायेगा।

Saturday, December 1, 2018

कुछ बेवकूफ जो खुद को ज्ञानी समझते हैं, जीवन बीमा के झूठी कमियां बताकर गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के भविष्य को बर्बाद करने का काम करते हैं।

हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो लोगों को जीवन बीमा में अपने पैसे  निवेश न करने के फ़र्ज़ी कारण बताते रहते हैं। वे खुद को बहुत बुद्धिमान समझते हैं और आपको निवेश के विभिन्न विकल्पों को बताएंगे और दावा करेंगे कि उनका विकल्प निवेश करने का सबसे अच्छा विकल्प है। मैंने कुछ लोगों को दूसरों को ये समझाते हुए सुना कि एफडी (FD) जीवन बीमा से बेहतर विकल्प है। उनके अनुसार जीवन बीमा को आपके पैसे को दोगुना करने के लिए 20 से अधिक वर्षों की आवश्यकता होती है जबकि एफडी 8-9 साल के भीतर ही दोगुना कर देता है लेकिन वह लोग एक बात को नज़रंदाज़ कर देते हैं कि एफडी में पूरा पैसा शुरुआत में एक साथ देना पड़ता है जबकि जीवन बीमा में आप आसान किस्तों में अपना पैसा निवेश कर सकते हैं। और जीवन बीमा बीमाकर्ता के परिवार को उसकी मृत्यु होने पर वित्तीय सुरक्षा भी देती है। मैं जीवन बीमा के बारे में लिख रहा हूं क्योंकि मैंने हाल ही में एक घटना के बारे में सुना है जो कि जीवन बीमा से संबंधित है।
मेरी पत्नी शशि LIC की एक बीमा सलाहकार हैं। पिछले हफ्ते वह एक लड़की से मिली  जिसके पति की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई और वह अपने पति की बीमा पॉलिसी के पैसे क्लेम करने के लिए एलआईसी कार्यालय आई थी। शशि ने उसे क्लेम के फॉर्म को भरने में मदद की और जब वह फॉर्म लेकर सेटलमेट डेस्क पर गयी, तो उसे पता चला कि उसके पति ने पालिसी चालू ही नहीं रखी, उसके पति ने पालिसी लेने के 6 महीने बाद ही प्रीमियम भरना बंद कर दिया था जिसके कारण पालिसी लैप्स हो गयी और उसे कुछ भी नहीं मिलेगा। उसने वहीँ पर रोना शुरू कर दिया क्योंकि उसके पति की मृत्यु के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। अब वह ये सोच कर परेशान थी कि वो बिना किसी पारिवारिक और वित्तीय सहायता के अपनी और अपने 2 बच्चे को कैसे पालेगी l शशि को उसकी परेशानी महसूस हुई इसलिए उसने अपनी क्षमता के हिसाब से उस लड़की की नैतिक और वित्तीय मदद करने का फैसला किया। उसने उस लड़की को अपना विजिटिंग कार्ड दिया और उसे किसी भी मदद की ज़रूरत होने पे संपर्क करने के लिए कहा। जिससे उस लड़की को शायद कुछ हिम्मत ज़रूर मिली होगी और किसी सुझाव की आवश्यकता होने पर उसने शशि से संपर्क करना भी शुरू कर दिया।
अगर इस लड़की के पति ने इस पालिसी को जारी रखा होता, तो उसे ऐसे दर दर भटकना नहीं पड़ता। मुझे यकीन है कि किसी बेवकूफ ने ही उसके पति को पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान करना बंद करने की सलाह दी होगी क्योंकि मैंने कई लोगों को पॉलिसीधारकों को यह सुझाव देते हुए सुना है  कि बीमा पॉलिसी लाभकारी नहीं है, बीमा पॉलिसी के बजाए कहीं और निवेश करना चाहिए। मेरे विचार में, यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने परिवार की देखभाल करें और अपने पैसे को ऐसे सुनियोजित करें ताकि वह आपकी अनुपस्थिति में आपके परिवार की मदद कर सके। आपको उन्हें आत्मनिर्भर  होने का अवसर प्रदान करके, उन्हें शिक्षा प्रदान करके सशक्त बनाना चाहिए ताकि उन्हें आपकी अनुपस्थिति में उनके अस्तित्व के लिए दूसरों की तरफ न देखना पड़े। जीवन बीमा भी परिवार को आत्मनिर्भर बनाने का एक विकल्प है। यह लड़कीअशिक्षित भी थी जिसके कारण उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिल सकती थी। अगर उसके पिता ने उसे पढ़ाया होता, तो वह एलआईसी सलाहकार भी बन सकती थी जो विकल्प शशि ने उसे शुरुआत में दिया था। अगर उसके पति ने पॉलिसी जारी रखी होती, तो वह पालिसी के पैसे का इस्तेमाल करके कोई छोटा मोटा व्यवसाय शुरू कर सकती थी। इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को बीमा पॉलिसी में अपनी आय का एक छोटा सा हिस्सा निवेश ज़रूर करना चाहिए और अगर आपको एक LIC पालिसी की जरूरत है, तो शशि से संपर्क करें, नीचे उसका विज़िटिंग कार्ड है।

सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैं साझा करना चाहता हूं वह ये है कि आपको प्रीमियम का भुगतान न करके अपनी पॉलिसी बीच में ही नहीं बंद करनी चाहिए क्योंकि जब आपके परिवार को पॉलिसी बॉन्ड मिलता है और इसका दावा करने के लिए वो बीमा कार्यालय जाता है, तो उन्हें  ये जानकर और बड़ा झटका लगता है कि आपकी पालिसी बंद हो चुकी है उस महिला के साथ यही हुआ और उसने अपने मृत पति को सबके सामने वहीँ गली देना शुरू कर दिया। उसने अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपना जीवन बीमा करने का भी फैसला किया है।

Monday, October 22, 2018

आत्म अनुशासन जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। अनुशासनहीनता की कीमत आपकी ज़िन्दगी भी हो सकती है।

हाल ही में दशहरा उत्सव के दौरान अमृतसर में एक बड़ी ट्रेन दुर्घटना हुई है। शुक्रवार को जब लोग रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े थे तब एक तेज़ रफ़्तार ट्रैन से कुचले जाने के कारण 59 से ज्यादा लोग मारे गए और 72 घायल हो गए। कई लोगों ने ड्राइवर द्वारा ट्रैन को न रोके जाने पर सवाल खड़े किये तो कुछ ने आयोजकों पर सवाल उठाये और कुछ ने कहा कि नवजोत कौर दोषी है। हर जगह लोग उन लोगों पर सवाल उठा रहे थे जिनकी ज़िन्दगी खतरे में नहीं थी, लेकिन जिनकी ज़िन्दगी खतरे में थी उनका क्या, उन्होंने अपने जीवन की देखभाल क्यों नहीं की ? जिन लोगों की मृत्यु हो गई या जो घायल हुए उन्हें ही अपने जीवन की परवाह नहीं थी, तो वे दूसरों से अपने जीवन की परवाह करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?


रेलवे क्रॉसिंग पर हर जगह लिखा होता है की पार करने से पहले दोनों तरफ देखें। यह रेलवे पटरियों के आस पास हर जगह लिखा जाता है कि रेल की पटरी पर जाना खतरनाक हो सकता है लेकिन फिर भी, वे रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। इसे आत्म अनुशासन की कमी कहा जाता है। जब आप जानते हैं कि रेलवे ट्रैक पर जाना खतरनाक हो सकता है, तो आप वहां क्यों खड़े होते हैं? हमारे देश के लोग इतने अनुशासनहीन हैं कि सभी नियम, विनियम और चेतावनियां उनके लिए बेकार हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि कहीं भी लिखी गयी चेतावनी उनकी खुद की सुरक्षा के लिए है और उसका बिना किसी दबाव के पालन करना ही आत्मअनुशासन कहलाता है। उन्हें समझना चाहिए कि नियम उनकी सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं और बिना किसी दबाव के उनका पालन करना ही आत्मअनुशासन कहलाता है। इसलिए यदि वे स्वयं अनुशासित होते, तो वे रेलवे ट्रैक पर नहीं खड़े होते और उस दुर्घटना से बच जाते। सरकारों, सिस्टम्स और ओर्गनइजेशन्स को दोषी मानने से दुर्घटनाओं को खत्म करने में मदद नहीं मिलेगी, बल्कि आपको दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्वयं अनुशासित होना होगा।
मैंने देखा है कि लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं। सिग्नल लाल होने पर भी वे अपने पैर एक्सेलरेटर से नहीं हटाते हैं। मैंने भारी ट्रैफिक क्षेत्रों में पैदल यात्रियों को सड़क पार करते देखा है, भले ही सिग्नल वाहनों के लिए हरा है और उनके लिए लाल है। मैंने लोगों को रेड लाइट पर रुकने से बचने के लिए फुटपाथ पर बाइक चलाते देखा है। मैंने रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक बंद होने पर भी लोगो को पार करते हुए देखा है। इसलिए अगर लोग स्वयं अनुशासित होंगे तो नियमों का उल्लंघन नहीं करेंगे, नतीजतन, दुर्घटनाएं और उनसे होने वाली मौतें कम होंगी।

Thursday, September 27, 2018

मैंने 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी जी को वोट नहीं दिया था, लेकिन मैं 2019 के चुनावों में उन्हें वोट दूंगा।

पहले मुझे लगता था कि सभी राजनेता भ्रष्ट और चोर होते हैं क्योंकि ज्यादातर ऐसे ही होते हैं। मैंने अपने बचपन में पापा से श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कुछ अच्छा सुना था, लेकिन किसी से भी किसी अन्य राजनेता के बारे में कभी भी कुछ अच्छा नहीं सुना। इसलिए, मैं राजनीति, मतदान और राजनीतिक मामलों से दूर रहता था। जब मैं अठारह साल का हुआ, मैंने कभी भी किसी राजनीतिक दल या नेता को वोट देने के बारे में कभी नहीं सोचा था क्योंकि मुझे पता था कि वे भ्रष्टाचार और घोटाले करके अपनी जेबें भरने की के अलावा कुछ नहीं करेंगे। इसीलिए मैंने मार्च 2017 से पहले कभी वोट नहीं डाला था लेकिन जब 2014 में नरेंद्र मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री बने, उन्होंने राजनीति और राजनेताओं के बारे में मेरे विचारों को बदल दिया। मुझे राजनीति या राजनीतिक मामलों के बारे में कुछ भी पता नहीं है और मैं लॉजिक के आधार पर अपने सभी फैसले लेता हूं।
पहला लॉजिक यह है कि जब मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री बने, उस समय मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था और नाईट शिफ्ट्स ( रात 10:00 बजे से सुबह  07:00 बजे तक ) कर रहा था। उस समय तक, मैंने समाचार देखने और सुनने में रुचि लेना शुरू कर दिया था और मैं ऑफिस से आने के बाद और जाने से पहले समाचार देखता था। मेरा ऑफिस मेरे घर से केवल 500-600 मीटर दूर था, इसलिए मैं ऑफिस के लिए रात 9:30 बजे निकलता  था और सुबह 07:20 बजे घर लौटता था। ज्यादातर समय, मैंने ऑफिस जाने के पहले उन्हें लाइव खबरों में देखा है और जब मैं ऑफिस से वापस आया, तो भी वह काम करना शुरू कर चुके होते थे। तब मुझे लगा कि एक व्यक्ति, जो इतनी मेहनत करता है, एक भ्रष्ट  राजनेता नहीं हो सकता है। अगर वह अपनी जेब भरना चाहते तो वो इतना कठिन परिश्रम नहीं करते लेकिन वह कड़ी मेहनत करते है क्योंकि वह देश के लिए कुछ करना चाहते है।

उनका समर्थन करने का मेरा दूसरा लॉजिक यह है कि वह हमेशा प्रधान मंत्री के रूप में अपने व्यक्तिगत प्रयासों के साथ साथ कुछ सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों के बारे में भी बात करते हैं। उन्होंने सभी को स्वच्छता पर ध्यान देने और देश की शेष आबादी को एलपीजी प्रदान करने के लिए एलपीजी सब्सिडी छोड़ने का अनुरोध किया जो कि उनकी सच्चाई दिखाता है। मैंने अन्य राजनेताओं को ये दावा करते देखा है कि वे जनता के लिए अकेले सबकुछ कर देंगे लेकिन मोदी जी अपनी योजनाएं सफल बनाने के लिए देश की जनता से भी समर्थन की मांग करते हैं। ये बातें मुझे उनकी नीतियों को वास्तविक और ईमानदार मानने के लिए मजबूर करती हैं क्योंकि मैं समझता हूं कि यदि कोई सरकार कोई पॉलिसी बनाती है लेकिन जनता अपनी रिस्पांसिबिलिटी नहीं निभाती, तो वह सफल नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर सरकार ने प्रत्येक क्रॉसिंग पर लाल और हरे सिग्नल लगा दिए हैं लेकिन जनता उनका पालन नहीं करती है, तो यह सिर्फ पैसे की बर्बादी है। इसलिए, मैं उनके और उनकी नीतियों के साथ खड़ा हूं।


तीसरा लॉजिक यह है कि मैंने अन्य राजनेताओं और राजनीतिक दलों को आतंकवादियों, नक्सलियों और भारत विरोधी लोगों का समर्थन करते देखा है, लेकिन मोदी जी की पार्टी राष्ट्रवाद और भारतीय सेना का समर्थन करती है। कांग्रेस का एक नेता पाकिस्तान जाता हैं और कहता हैं कि उसे भारत में नफरत और पाकिस्तान में प्यार मिलता है। मैं उस पार्टी का समर्थन कैसे कर सकता हूं जिसके नेता भारतीयों को नफरत करते हैं। कांग्रेस का एक नेता आतंकवादियों को क्रूरता से मारने पर भारतीय सेना  पर सवाल उठाता है और बीजेपी ही एकमात्र पार्टी है जो भारतीय सशस्त्र बलों के साथ खड़ी दिखती है। दूसरी तरफ, जब आतंकवादी भारतीय सेना के सैनिकों को मार देते हैं, तो सभी कांग्रेस नेता और अन्य पार्टियां अपने घरों में चुपचाप बैठ जाती हैं। यह स्पष्ट रूप से मुझे ये मानने को मजबूर करता है कि कांग्रेस आतंकवाद समर्थक और भारत विरोधी पार्टी है और बीजेपी राष्ट्रवादी पार्टी है।
चौथा लॉजिक यह है कि कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं और संस्थानों द्वारा मोदी जी की तारीफ की गई है। हाल ही में उन्हें हाईएस्ट एनवायर्नमेंटल ऑनर से सम्मानित किया गया है। यह उनकी नीतियों का नतीजा है जिसने भारत को इंटरनेशनल सोलर अलायन्स में एक चैंपियन बना दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस और राहुल गांधी की केवल पाकिस्तान द्वारा सराहना की जाती है जो मुझे कांग्रेस का समर्थन करने के लिए राजी नहीं करती क्योंकि पाकिस्तान खुद ही एक आतंकवादी देश है। मोदी जी को चोर बुलाए जाने पर पाकिस्तान द्वारा समर्थित एक पार्टी पर कम से कम मैं तो भरोसा नहीं कर सकता । मेरे अनुसार, राहुल गांधी को पाकिस्तानी नेता को जवाब देना चाहिए था कि उन्हें पाकिस्तान के समर्थन की ज़रूरत नहीं है और हमारे प्रधान मंत्री को गली देने का अधिकार नहीं है। यह हमारा आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को हमेशा इसके बाहर रहना चाहिए।

पांचवां लॉजिक यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों और अन्य चीजों की बढ़ती कीमतें मुझे विचलित नहीं करती हैं क्योंकि मुझे पता है कि कांग्रेस सरकार में भी महगाई बढ़ रही थी और यदि वे उसे नियंत्रित करने में सक्षम थे, तो कैसे बीजेपी ये दावा करके सत्ता में आ गई की वो महंगाई कम कर देंगे ?  नीचे पेट्रोलियम उत्पादों पर मेरी पोस्ट पढ़ें:
छठा लॉजिक यह है कि मुझे वर्तमान में मोदी जी के अलावा कोई नेता नहीं दिखता जो भारत का प्रधान मंत्री बनने के लायक हो। हमारे देश का प्रधान मंत्री मोदी जी के जैसा ही शक्तिशाली होना चाहिए। कुछ और मुद्दे भी हैं,जिनके बारे में मैंने समाचार में देखा। मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के मामले में एंटीगुआ सरकार से बात करने के लिए आज हमारी विदेश मंत्री एंटीगुआ में है। मोदी सरकार ही एकमात्र सरकार है जो मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे फ्रॉड्स से निपटने के लिए आर्थिक अपराध विधेयक लेकर आयी थी। मैंने आज भी खबरों में देखा है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुअल मैक्रॉन ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए राफेल मामले पर मोदी जी का समर्थन किया। ये सभी मामले मुझे यह विश्वास करने के लिए भी मजबूर करते हैं कि मोदी सरकार भारत देश की जरूरत है।

मैंने आज ये पोस्ट लिखी क्योंकि मैं अगले चुनावों में उनकी हार से डरता हूं। जिस तरह से लोग मोदी सरकार के खिलाफ बात कर रहे हैं, वे मुझे डराते हैं कि मोदी जी शायद इस बार हार सकते हैं क्योंकि भारत में रहने वाले भारत-विरोधी एकजुट हैं और असली भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों, आरक्षण और अन्य मुद्दों के कारण अपनी एकता खो रहे है जबकि ये मुद्दे कांग्रेस सरकार द्वारा भी हल नहीं हो पाएंगे। इसलिए मैं 2019 के आम चुनावों में मोदी जी को वोट दूंगा, सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं मेरा एक वोट न मिलने से वो हार न जाएँ ।

Saturday, September 22, 2018

न केवल अपने परिवार से प्यार करें बल्कि उन्हें अपना प्यार महसूस भी होने दें।

पिछले हफ्ते, मेरे एक दोस्त ने बताया कि वह अपने बच्चे के लिए पटाखे खरीदने जा रहा है। हालांकि दिवाली एक महीने बाद है, लेकिन दिवाली के दौरान पटाखा विक्रय बैन हो जाने के कारण वह पहले से ही खरीद लेना चाहता था जिससे उसके बच्चे की दिवाली की मस्ती में कोई कमी न आये। सभी माता-पिता दावा करते हैं कि वो अपने बच्चे से प्यार करते है और मुझे आशा है की वो करते होंगे पर ये बंदा अपने बच्चे को ख़ुशी देने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहता है । उसने मुझे बताया कि उसे पटाखे जलाना पसंद नहीं है  लेकिन उसने अपनी शादी के बाद, अपनी पत्नी की खुशी के लिए और बाद में बच्चे की भी ख़ुशी के लिए भी ऐसा करना शुरू कर दिया। मुझे उसका उसके परिवार के लिए प्यार देखकर अच्छा लगा।


सभी माता-पिता अपने बच्चों से प्यार करते हैं, ज्यादातर लोग अपने परिवार से प्यार करते हैं लेकिन वे अपने परिवार के सदस्यों / बच्चों को इस इंसान के विपरीत अपने प्यार को महसूस करने नहीं देते हैं। अपने परिवार / बच्चों को प्यार करना ही ज़रूरी नहीं है बल्कि उनकी खुशी की आवश्यकता को समझना भी ज़रूरी है। इस तरह से ही परिवार बनता है। अगर आपको नहीं पता कि आपके बच्चे को कैसे ख़ुशी मिलती है, तो ये दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि आप उसे प्यार करते हैं। यदि आप अपने परिवार की खुशी के लिए किसी चीज़/बात पर कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना चाहते हैं, तो ये दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि आप उन्हें प्यार करते हैं। यदि आपके परिवार का कोई सदस्य आपके फैसले से सहमत नहीं है और यह आपके अहंकार को नुकसान पहुंचाता है और आपको उसे अपने जीवन अलग कर देने  के लिए मजबूर करता है, तो ये कहने का कोई मतलब नहीं है कि आप उसे प्यार करते हैं। जिनके पास ऐसा  परिवार है जो किसी भी शर्त के बिना उन्हें प्यार करता है, वो भाग्यशाली लोग हैं। हर किसी को ऐसा परिवार बनने की कोशिश करनी चाहिए जिसके पास अपने परिवार के सदस्यों से प्यार करने के बदले कोई शर्त न हो। जिनके लिए उनका आधारहीन अहंकार ही सबकुछ हैं वे परिवार के नाम पर कलंक हैं। अगर आपको अपने परिवार की खुशी से ज्यादा ज़रूरी कुछ और नहीं लगता है, तो केवल आप ही अपने परिवार के सदस्यों के लिए एक अच्छा परिवार बन सकते हैं।

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि मानवता को नुकसान, कोई गैर क़ानूनी काम और किसी इंसान/जीव को कष्ट देने के अलावा हर इंसान को अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहना चाहिए।