Sunday, December 9, 2018

अपने क्रोध को नियंत्रित करो और अपने प्रियजनों को परेशान होने से बचाओ।

क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन हम आम तौर पर अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं करते हैं क्योंकि अगर हम इसे नियंत्रित करते हैं, तो हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है और अगर हम नियंत्रण नहीं करते हैं, तो यह हमारी अहंकार को संतुष्ट करता है लेकिन बहुत सी ज़िन्दगियों को भारी नुकसान पहुंचाता है। कई मामलों में, यह जीवन खोने या जीवन को नष्ट करने में मदद करता है लेकिन फिर भी बहुत से लोग अपने क्रोध को अपनी स्वाभाव का सबसे अच्छा हिस्सा मानते हैं। मैंने कई माता-पिता को अपने बच्चों के गुस्से का समर्थन करते हुए देखा है। वो बड़े प्यार से कहेंगे की वह थोड़ा गुस्सैल है उसके सामने ऐसी बात क्यों करते हो जो उसे पसंद नहीं।  मुद्दा यह है कि परिवार में पल रहे एक गधे (गुस्सैल स्वाभाव के इंसान) को परिवार के अन्य सदस्यों पर हावी क्यों होने देना चाहिए वो भी तब जब वो इंसान गलत है। किसी भी परिवार / समाज को ऐसे व्यक्ति को शय नहीं देनी चाहिए जिसे गुस्सैल स्वाभाव एक दोष लगने के बजाए एक गुण लगता है। जिस इंसान को उसका क्रोध नियंत्रित करता है उसे किसी भी  परिवार / समाज द्वारा शय नहीं दी जानी चाहिए बल्कि उसे पिंजरे में रखा जाना चाहिए क्योंकि वह परिवार / समाज के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। क्रोध के नियंत्रण में रहने वाला व्यक्ति एक पागल जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले हफ्ते मैं अपने एक ऐसे दोस्त से मिलने के लिए मुजफ्फरनगर जिला जेल गया था, जो अपने गांव के झगडे में शामिल होने की वजह से कैद है, जिस झगडे ने उसके खुद के जीवन सहित कई लोगों को नुकसान पहुंचाया था। जब मैं उससे मिलने की अनुमति पाने के लिए जेल से बाहर इंतजार कर रहा था, मैंने वहां कई परिवारों को देखा जो अपने परिवार के किसी कैदी सदस्य से मिलने की अनुमति पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई महिलाएं, बुजुर्ग  और बच्चे भी उस भीड़ का हिस्सा थे। मैंने वहां ज़मीन पर कई छोटे बच्चे अपनी बारी के इंतज़ार में लेटे हुए देखे । मेरा कहना यह है कि क्या इन छोटे-छोटे बच्चों को जेल के आसपास भी होना चाहिए । 3-4 साल के बच्चों को जेल में या उसके आसपास भी उपस्थित नहीं होना चाहिए, लेकिन वे वहां मौजूद थे क्योंकि उनके घर के किसी बड़े ने गुस्से में कुछ ऐसा कर दिया जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा नतीजतन, उनके परिवार के छोटे बच्चों को उनसे मिलने के लिए उस जगह पर मज़बूरी में जाना पड़ता है जो कि नकारात्मकता से भरा होता है और वह नकारात्मकता उन बच्चो के दिमाग और जीवन दोनों को प्रदूषित कर सकती है। जब मैं उस जगह के आसपास था, तो मैं खुद नकारात्मकता का अनुभव कर रहा था क्योंकि हर कोई अपराध और जिंदगी बर्बाद करने वाली हरकतों के बारे के बात कर रहा था। साथ ही मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान चाहता है की उसका परिवार उसके क्षणिक गुस्से के कारण पुलिस और अदालतों के चक्कर लगाए। मेरा दोस्त खुद कह रहा था कि उसे दुःख होता है जब वह अपने परिवार को उसको छुड़ाने के चक्कर में परेशान होते हुए देखता है ।
इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को अपने परिवार को अपने बाद परेशान होने से  बचाने के लिए अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें कभी लड़ना नहीं चाहिए, लेकिन हमें तब तक लड़ना नहीं चाहिए जब तक कि कोई अन्य विकल्प न होने की दुर्लभ स्थिति हो। एक और बात, आप ये तभी समझ सकते हैं की बात करके कोई भी मामला हल किया जा सकता है जब आपमें गुस्से पर नियंत्रण रखने की क्षमता हो। अगर आपको क्रोध नियंत्रित करता है तो ये समझदारी का काम आपसे नहीं हो पायेगा।

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