Saturday, September 15, 2018

मानवाधिकार मनुष्यों के लिए होना चाहिए, न कि आतंकवादियों के लिए।

मैंने आज खबरों में देखा कि कुछ राजनेता रस्सी के माध्यम से आतंकवादियों के मृत शरीर को  सुरक्षा बलों द्वारा घसीटने पर सवाल उठा रहे थे। मुझे इसके कारण मानवता को कोई नुकसान पहुँचता नहीं दिख रहा है और ये भी तो हो सकता है कि कुछ सुरक्षा कारणों से सुरक्षा बलों ने उन लाशों को रस्सी के माध्यम से खींचा हो, और इन राजनेताओं को हमेशा आतंकवादियों, अलगाववादियों और नक्सलियों के लिए दर्द क्यों महसूस होता है। जब आपके घर या धर्म स्थल पर कोई आवारा कुत्ता या सुअर मर जाता है, तो क्या आप उसकी लाश को उस जगह से हटाने के लिए एक ताबूत की व्यवस्था करते हैं? मुझे ऐसा नहीं लगता। मैंने लोगों को सार्वजनिक स्थान या अपने घर के आस पास से कुत्ते या सूअर के मृत शरीर को रस्सी के माध्यम से ही खींच कर हटाते देखा है। आतंकवादियों के मृत शरीर के साथ भी सुरक्षा बलों ने यही किया है।

अब सवाल यह है कि उन राजनेताओं इससे परेशानी क्यों है? क्या सुरक्षा बलों ने उनके प्रियजनों की लाशों को रस्सी से खींचा था। और यदि वे आतंकवादियों के मानवाधिकारों के बारे में बात कर रहे हैं, तो उन्हें पहले मानव होने के गुणों को समझना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि आतंकवादियों के पास मनुष्य होने  का एक भी गुण है, तो फिर उनके लिए कोई मानव अधिकार क्यों होना चाहिए। इसके अलावा मेरा इन राजनेताओं से एक सवाल है कि जब आतंकवादी निर्दोष जनता और सैनिकों को मारकर उनके शरीर के साथ बर्बरता करते हैं तब ये नेता मानवाधिकारों के बारे में क्यों नहीं बोलते हैं। वे उन आतंकवादियों से बात क्यों नहीं करते और उन्हें मानवाधिकारों का सबक क्यों नहीं सिखाते हैं।
मुझे पता है कि इन राजनेताओं को उनकी कुर्सी को छोड़कर किसी की परवाह नहीं है क्योंकि ये सिर्फ जनता के पैसे लूटना चाहते हैं और अपने खजाने को भरना चाहते हैं। ये नेता सही लोगों के लिए कभी नहीं लड़ते हैं, लेकिन वे उन मुद्दों के लिए ज़रूर लड़ते हैं जो उन्हें सत्ता में आने में मदद कर सकते हैं। इस मुद्दे को उठाकर वे अलगाववादियों, माओवादियों, नक्सलियों और उन लोगों के वोट जीतना चाहते हैं जो भारत में रहते हैं लेकिन भारत-विरोधी हैं। ये राजनेता यह भी जानते हैं कि बाकी के लोगों को देश के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें जाति, धर्म और मुफ्तखोरी के आधार पर तोडा जा सकता है।
यही समय है कि हम इस तरह के राजनेताओं को राजनीतिक व्यवस्था से बाहर निकाल फेंकें, ताकि हमारे सुरक्षा बल जो हमारी और हमारे देश की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं, किसी भी निंदा का सामना किये बिना अपने कर्त्तव्य का पालन कर सकें ।

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