इन दिनों, कुछ समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के कारण रोज मानवता का संहार किया जा रहा है और मजहब के नाम पर अपराध को Justify किया जा रहा है जो कि मानवता के लिए घातक है। और इसके लिए ज़िम्मेदार वो हैं जो अपने मजहब के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठाते हैं। मैंने किसी भी धर्मग्रन्थ को अब तक नहीं पढ़ा है, इसलिए मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, लेकिन यदि आपका धर्मग्रन्थ उन बातों का समर्थन करता है जो मानवजाति की लिए नुकसानदेह है, तो आपको उसमे लिखी उस बात को नहीं मानना चाहिए। अगर कोई धर्मगुरु, धर्मग्रन्थ या मजहब मानवता को नुकसान पहुंचाता है तो हमें उसके खिलाफ जाना चाहिए। मानव जाति के कल्याण के लिए अगर आप मजहब के खिलाफ जाते हैं तो ईश्वर आपसे ज्यादा खुश होगा।
यदि आपका मजहब कहता है कि जो इंसान भगवान के उस नाम को नहीं मानता जिसे आप मानते हैं तो उसे मार देना चाहिए , तो आपको अपने धर्म के खिलाफ जाना चाहिए। यदि आपका मजहब पुरुष और महिलाओं दोनों को बराबर अधिकार नहीं देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि किसी भी इंसान को वो अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए जिनका दुरूपयोग वो दूसरे लिंग के इंसान पर हावी होने के लिए कर सके। यदि आपका मजहब आपको दूसरे मजहब का सम्मान नहीं करने देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि ये धार्मिक दंगो और अराजकता के जन्मदाता हैं और यह नरसंहार पैदा करता है जो स्पष्ट रूप से मानवता के खिलाफ है। यदि आपकी धार्मिक मान्यताएं आपको किसी इंसान को बिना उसकी बात सुने मारने की इजाजत देता है या मजबूर करता हैं, तो आपको भी अपने मजहब और उसकी मान्यताओं पर पुनर्विचार करना होगा। यदि आपका मजहब किसी व्यक्ति को कई पत्नियां रखने के अधिकार देता है तो उसे एक महिला को कई पति रखने का अधिकार भी देना चाहिए (बशर्ते महिला की मर्ज़ी के मुताबिक) और यदि आपका मजहब किसी महिला को यह अधिकार नहीं देता है, तो वह मजहब Follow करने के लायक ही नहीं है। यदि आपका मजहब, देश से बड़ा मजहब को मानने के लिए आपको विवश करता है तो उससे बुरा मजहब कोई नहीं हो सकता। यदि आपका मजहब अन्य मजहबों द्वारा माने जाने वाले ईश्वर के नाम का सम्मान नहीं करता है, तो आपका मजहब आपको गलत Track पर ले जा रहा है क्योंकि ईश्वर केवल एक है, जिसके कई नाम हैं और यदि आप भगवान के दूसरे नाम का अनादर करते हैं, तो भी आप ईश्वर का ही अपमान कर रहे हैँ।
ऊपर बताए गए सभी Points किसी न किसी तरीके से मानवता के लिए हानिकारक हैं। उनमें से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ परोक्ष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनमें से कुछ विभिन्न मजहबों के अनुयायियों के आपसी भाईचारे के लिए हानिकारक हैं जिससे नफरत और अराजकता की उत्पत्ति होती है जिसके फलस्वरूप मानवता को नुकसान पहुँचता हैं। कुछ प्रत्यक्ष हत्याएं करके मानवता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए अपने मजहब का अन्धविश्वास के साथ पालन करने के बजाय बुद्धिमानी से पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि मजहब की कोई भी मान्यता, मानवता और मानव जाति को नुकसान न पहुंचा रही हो क्योंकि मजहब और उसके नियम-कानून बनाने वाले भी इंसान ही थे और क्या पता उन्होंने नियम बताते वक़्त कुछ गलती कर दी हो इसलिए कृपया अपने मजहब में मौजूद बुराईयों को खत्म करने के लिए उसके खिलाफ खड़े हो जाओ और दुनिया के सबसे अच्छे धर्म की सेवा करें जो कि मानवता है।
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