Monday, June 8, 2020

अन्य राज्यों के भारतीय नागरिकों को काम करने के लिए अब दिल्ली नहीं जाना चाहिए क्योंकि उन्हें अब जरूरत होने पर दिल्ली की चिकित्सा सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल घोषणा की थी कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और दिल्ली के अन्य निजी अस्पतालों का उपयोग भारत के अन्य राज्यों के लोगों द्वारा कोरोनावायरस महामारी के दौरान नहीं किया जा सकता है। यह निर्णय वस्तुतः दिल्ली सरकार के मूर्खों द्वारा लिया गया एक अमानवीय और अतार्किक निर्णय है।

बड़ी संख्या में भारत के विभिन्न राज्यों के नागरिक दिल्ली / एनसीआर में काम करने के लिए दिल्ली में रहते हैं, लेकिन अगर वे कोरोना वायरस के कारण बीमार पड़ जाते हैं तो उन्हें दिल्ली में इलाज कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केवल दिल्ली के नागरिकों को उन सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति है। अब उन बाहरी लोगों को बीमारी की स्थिति होने पर अपनी जान बचाने के लिए केंद्र सरकार के अस्पताल या अपने गृहनगर वापस जाना होगा। यह कदम अरविंद केजरीवाल जैसे लोगों द्वारा चलाए गए "खंड-खंड भारत आंदोलन" की दिशा में पहला कदम लगता है। यदि कोई व्यक्ति सिर्फ काम करने के लिए दिल्ली में रह रहा है, तो उसके पास दिल्ली का आवास प्रमाण नहीं होगा और इसलिए उसे चिकित्सा उपचार नहीं मिलेगा। इसलिए अन्य राज्यों के लोगों को दिल्ली नहीं आना चाहिए और जो प्रवासी लोग दिल्ली में रह रहे हैं, उन्हें नोएडा या गुरुग्राम शिफ्ट होजाना चाहिए क्योंकि ज्यादातर नौकरियां एनसीआर में हैं और एनसीआर में कमाई और दिल्ली में खर्च करना एक अच्छा विकल्प नहीं है क्योंकि दिल्ली वैसे भी है आपको मूलभूत सुविधाएं देने को तैयार नहीं है।

मै सोच रहा था कि यदि हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें भी एक नियम पारित कर दें, जो बाहरी लोगों को इन राज्यों में काम करने की अनुमति न दे, तो आधी दिल्ली बेरोजगार हो जाएगी। और अगर ये राज्य बाहरी लोगों को अपने राज्यों में काम करने की अनुमति नहीं देंगे, तो कम संख्या में लोग दिल्ली जाने के बारे में सोचेंगे जिससे दिल्ली में किरायेदारों की संख्या में कमी आएगी क्योंकि एनसीआर में काम करने वाले ज्यादातर लोग दिल्ली में रहते हैं और बड़ी संख्या में किराए का भुगतान करके दिल्ली के लोगों की आय में वृद्धि करते हैं।

यह बहुत दुखद है कि अब दिल्ली में भारतीय होना पर्याप्त नहीं है। दिल्ली बांग्लादेशी रोहिंग्याओं के लिए खुली है, लेकिन भारतीयों के लिए नहीं। दिल्ली सरकार बांग्लादेशियों को घर, भोजन और विलासिता प्रदान कर सकती है, लेकिन अन्य राज्यों के भारतीयों को चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं कर सकती है। अगर दिल्ली अपनी अर्थव्यवस्था में योगदान करने वाले प्रवासी लोगों के लिए इतनी बेरहम हो रही है, तो उसे धरती के गर्भ में घुस जाना चाहिए। यह पृथ्वी के ऊपर रहने योग्य नहीं है।

Wednesday, May 13, 2020

हिंदू बनाम मुसलमान!

भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है जहां कई समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं लेकिन हिंदू और मुस्लिम नियमित रूप से एक दूसरे के साथ संघर्ष करते रहते हैं। मैंने इन समुदायों के लोगों में कुछ गुण/दोष देखे, जो भारत की आत्मा के अंत का कारण हो सकते हैं। नीचे उनमें से कुछ हैं:

  • अधिकांश मुसलमान इस्लाम के प्रति वफादार होते हैं लेकिन अधिकांश हिंदू हिंदुत्व के प्रति वफादार नहीं होते हैं।
  • बहुत से हिंदुओं को हिंदुत्व और हिंदू देवी/देवताओं का अनादर करना और उनका मजाक उड़ाना पसंद है जबकि कोई भी मुसलमान अपने धार्मिक विश्वासों और नेताओं के अपमान को बर्दाश्त नहीं करता है।
  • अधिकांश हिंदू हिंदुत्व के समर्थन में बोलने और अपना दृष्टिकोड़ व्यक्त करने से डरते हैं, जबकि मुसलमान जो भी कहना/करना चाहते हैं उसे कहने/करने से बिलकुल नहीं डरते।
  • अधिकांश हिंदू उन लोगों को पसंद नहीं करते जो हिंदुत्व के बारे में बात करते हैं, लेकिन सभी मुस्लिम उनका समर्थन करते हैं जो इस्लाम के बारे में बात करते हैं।
  • अधिकांश हिंदू केवल घटिया प्रसिद्धि पाने के लिए हिंदुत्व के खिलाफ खड़े होते हैं, लेकिन मुसलमान किसी भी हालत में इस्लाम के खिलाफ नहीं जाते हैं।
  • अधिकांश हिंदू दुनिया पर राज करना चाहते हैं लेकिन अधिकांश मुसलमान चाहते हैं कि उनका समुदाय दुनिया पर राज करे।
  • अधिकांश हिंदू लालची होते हैं इसीलिए वे धन/संपत्ति को हर चीज से ऊपर रखते हैं, जबकि अधिकांश मुसलमान अपना मजहब और समुदाय सर्वोपरि रखते हैं।
  • अधिकांश हिंदू उस महान नेता का समर्थन नहीं करते हैं जो हिंदुओं और हिंदुत्व के कल्याण के लिए काम करते हैं, और राज-धर्म का पालन करते हैं, लेकिन अधिकांश मुस्लिम एक ऐसे नेता का समर्थन करते हैं, जिनमे अच्छे नेता का कोई गुण नहीं होता परन्तु वह उनके समुदाय का होता है।
  • अधिकांश मुसलमान स्थान और परिस्थितियों की परवाह न करते हुए अपनी धार्मिक गतिविधियों का पालन करते हैं जबकि हिंदू ऐसा नहीं करते। उदाहरण के लिए, मुस्लिम रमज़ान के दौरान, कॉर्पोरेट कार्यालयों में भी नमाज़ के लिए जाते हैं और कोई  उन्हें रोकता भी नहीं है, जबकि हिंदू नवरात्रि के दौरान मंदिर जाने के लिए अल्प-विराम का अनुरोध भी नहीं कर सकते हैं।
  • अधिकांश मुसलमान अन्य मुसलमानों का समर्थन करते हैं जबकि अधिकांश हिंदू अपने साथी-हिंदुओं का समर्थन नहीं करते हैं बल्कि वे जाति, पद, प्रतिष्ठा आदि के नाम पर साथी-हिंदुओं का अपमान करते हैं।
  • अधिकांश हिंदू स्वभाव से शांत होते हैं, लेकिन अधिकांश मुसलमान ऐसे नहीं होते हैं।
  • अधिकांश हिंदू धर्मनिरपेक्ष होते हैं और अधिकांश मुसलमान सांप्रदायिक होते हैं।
  • अधिकांश हिंदू साथी मुसलमानों की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं, जबकि कई मुस्लिम अपने साथी-हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान नहीं करते हैं।
  • अधिकांश हिंदू अपने और अपने बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं, लेकिन अधिकांश मुसलमान अपने पूरे समुदाय के लिए उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं।
  • अधिकांश हिंदू दुनिया को मानवीय नज़र से देखते हैं जबकि अधिकांश मुसलमान दुनिया को अपने धर्मगुरुओं की नज़र से देखते हैं।

ये कुछ बातें हैं जिन्हे मैं लंबे समय से नोटिस कर रहा हूं और इसीलिए उन्हें लिखने का  सोचा, ताकि दोनों समुदायों के लोगों को उनके गुणों/कमियों के बारे में पता चल सके, ताकि वे एक-दूसरे के गुणों को सीख सकें और कमियों को खत्म कर सकें।



Saturday, May 25, 2019

वे, जो आपको धर्मनिरपेक्षता सिखाते हैं, वे स्वयं धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं बल्कि मानसिक रूप से बीमार हैं।

मोदी-विरोधियों ने 23-मई 2019 के बाद मोदी-समर्थकों को धर्मनिरपेक्षता सिखाना शुरू कर दिया है, जबकि वे स्वयं एक धर्मनिरपेक्ष इंसान की तरह व्यवहार नहीं करते हैं। मैंने गुरुवार को एक बेवकूफ के द्वारा फेसबुक पर नीचे लिखा हुआ पोस्ट देखा,
चौकीदार और भगवाधारी मोदी की जीत का जश्न मना रहे हैं। हम देख रहे हैं कि धार्मिक प्रोपेगंडा जीत रहा है।हमारे संविधान में कहा गया है कि हम एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में रहते हैं  की किसी स्टुपिड हिंदुत्व वाले राज्य में।
मुझे यह समझ में नहीं आता कि जिस तरह से हिंदू नरेंद्र मोदी की जीत का जश्न मना रहे हैं, उसे बर्दाश्त करने के लिए ये खुद धर्मनिरपेक्ष क्यों नहीं हो सकता। इस गधे ने हिंदुत्व को स्टुपिड कहा है जबकि हिंदुत्व ही है जिसने धर्मनिरपेक्षता को जीवित रखा है। इस आदमी को धर्मनिरपेक्षता के बारे में कुछ भी नहीं पता है और दूसरों को धर्मनिरपेक्षता का ज्ञान दे रहा है। धर्मनिरपेक्षता प्रत्येक व्यक्ति के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करना है। अगर एक भगवाधारी मोदी की जीत का जश्न मना रहा है, तो उसे समस्या क्यों है। आखिर वह क्या कहना चाहता है? क्या वह चाहता है कि एक सिख सार्वजनिक रूप से जश्न मनाते हुए अपनी पगड़ी हटाए। क्या वह चाहता है कि सार्वजनिक रूप से जश्न मनाने से पहले एक मुसलमान अपनी दाढ़ी हटाए? क्या वह चाहता है कि ईसाई कुछ मनाने से पहले अपने ईसाई क्रॉस को हटा दें? यदि हाँ, तो वह धर्मनिरपेक्ष नहीं है, बल्कि कट्टरपंथी ताकतों का एक प्यादा है, और यदि जवाब “नहीं” है, तो उसे मोदी की जीत का जश्न मनाने वाले भगवाधारियों के साथ समस्या क्यों है। उनके द्वारा लिखी गई पोस्ट साफ कहती है कि वह मानसिक रूप से बीमार होने के अलावा और कुछ नहीं हैं।
यह धार्मिक प्रोपेगंडा की नहीं, बल्कि यह राष्ट्रवाद, सच्चाई और विकास की जीत है। और न केवल भगवाधारी बल्कि कई पगड़ी धारक और दाढ़ी धारक भी मोदी की जीत का जश्न मना रहे हैं क्योंकि वे इस बेवकूफ की तरह मानसिक रूप से बीमार नहीं हैं। प्रत्येक बुद्धिमान भारतीय समझता है कि मोदी वर्तमान समय की आवश्यकता है और यही कारण है कि उन्हें 350+ सीटें मिलीं।

अगली खबर आयी “ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड” से। वे “ये दिन भी बीत जाएंगे” कहकर अपनी धार्मिक प्रचार की दुकान को चालू रखने के लिए मुसलमानों में मोदी का भय फैला रहे हैं। 2014 में भी यही डर फैलाया जा रहा था, लेकिन हमने देखा कि नरेंद्र मोदी ने किसी भी मुस्लिम को नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि वह हर भारतीय के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। मुसलमानों को न तो मोदी के साथ और न ही हिंदुओं के साथ समस्या है, लेकिन इन संगठनों को दोनों के साथ समस्या है क्योंकि वे जानते हैं कि मोदी जल्द ही धार्मिक प्रोपेगंडा की इनकी दुकान बंद करवा देंगे, जिसका उपयोग ये लोगों को धर्म और जाति में विभाजित करने के लिए करते हैं।
इसलिए, यदि आप ऐसे संगठन के संपर्क में हैं तो उनसे दूर हो जाएं। और यदि आप दूसरों को धर्मनिरपेक्षता सिखाना चाहते हैं, तो पहले इसे खुद सीखें और उसका पालन करें और यदि आप ऐसा नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी दुसरो को इसका ज्ञान देना पसंद करते हैं, तो आपको एक डॉक्टर की आवश्यकता है क्योंकि आप मानसिक रूप से बीमार हैं। और अगर आप मेरे विचारों से सहमत हैं, तो इस पोस्ट को दूसरों के साथ शेयर करने का एक कदम उठाएं।

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Sunday, April 28, 2019

खुशी अंदर से आती है, इसे आपके लिए कोई और नहीं ला सकता है।

अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो खुश रहना सीखें। अगर आप चाहते हैं कि कोई और आपको खुश करे, तो आप कभी भी खुश नहीं रह सकते क्योंकि अगर कोई आपकी खुशी के लिए कुछ करता है, तो आप उससे और अधिक करने की उम्मीद करेंगे और यदि वह ऐसा कुछ करने में विफल है जो आप चाहते थे, तो आप दुखी हो जायेंगे और फिर आप दूसरों के साथ इस तरह से व्यवहार करेंगे कि आप उन्हें भी दुखी कर देंगे। मतलब, आप अपने चारों ओर एक नकारात्मक वातावरण बना रहे होंगे। दूसरी ओर, यदि आप मेरी तरह खुश रहना पसंद करते हैं, तो आप अपने जीवन से दुख को खत्म करने का विकल्प ढूंढ़ लेंगे। मैं लंबे समय तक दुखी नहीं रह सकता हूं और इसलिए मैं बहुत जल्द अपना ध्यान नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाता हूं और यही खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका है। आपको अपनी खुशी से समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि खुशी ही जीवन की ज्यादातर समस्याओं का हल है।


बहुत से लोग सिर्फ इसलिए दुखी रहते हैं क्यूंकि वह उन लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते हैं जो उन्हें प्यार करते हैं। ये लोग चाहते हैं कि दूसरे हर समय उनके आगे पीछे लगे रहें। इस प्रकार के लोग दूसरों को अपनी मुट्ठी में रखना पसंद करते हैं। ये चाहते हैं कि दूसरे केवल वही करें जो ये चाहते हैं और ये ऐसा करने में सफल भी होते हैं क्योंकि दूसरा व्यक्ति उनसे प्यार करता है। इस प्रकार के लोगों की अपने जीवन में उपस्थिति को अगर आप महत्व देते हैं तो ये आपका अपमान करेंगे और अगर आप महत्व देना बंद कर दें  तो ये आपको एहसास दिलाने की कोशिश करेंगे की आप बहुत बड़े अपराधी हैं। इस प्रकार के लोग उन लोगों के जीवन के लिए बहुत खतरनाक होते हैं जो उन्हें प्यार करते हैं क्योंकि ये उनके जीवन में हमेशा तनाव पैदा करते रहते हैं जो उन्हें बीमार, बहुत बीमार बनाता है। सिगरेट / तंबाकू के टार से भी ज़्यादा खतरनाक है ये तनाव और ये इतना बीमार बना देता है की इंसान बिना कुछ बोले इस दुनिया से निकल लेता है। जो लोग दुखी रहना पसंद करते हैं, वे तब तक नाखुश रहेंगे जब तक कि वे उस व्यक्ति की जान नहीं ले लेते जो उन्हें सबसे अधिक प्यार करता है और उसके मरने के बाद में वो बोलते हैं  कि उन्होंने मृतक की खुशी के लिए सब कुछ किया था लेकिन वास्तव में उन्होंने उसके जीवन में खुश रहने का एक भी कारण नहीं छोड़ा होता है।
ख़ुशी जीवन की आवश्यकता है और हम सब को ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए। सिर्फ अपने अहंकार, मूर्खता और अतार्किक इच्छाओं के कारण इसे ख़त्म न करें। स्वस्थ, रोग मुक्त और लम्बा जीवन जी पाने का खुशियाँ ही एकमात्र रास्ता है। इसलिए खुश रहें और दूसरों को भी खुश रहने दें। दुखी होकर उन्हें परेशान न करें जो आपसे प्यार करते हैं। और अगर आपको आपके प्रियजन हमेशा दुखी रहकर परेशान करते हैं, तो आप अपनी सहायता खुद करें और खुश रहें क्योंकि आपका वो प्रिय तो  वैसे भी खुश नहीं हो सकता। यदि आप खुशी पाने के लिए कुछ विकल्पों के बारे में जानना चाहते हैं, तो खुशी की खोज पर मेरी अगली पुस्तक की प्रतीक्षा करें।

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Saturday, March 2, 2019

अभिनंदन वर्तमान वापस आ गए हैं लेकिन आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जारी रहना चाहिए भले ही इस नेक काम के लिए पाकिस्तान को ख़त्म करना पड़े।

दो दिनों की कश्मकश के बाद, हमारी वायु सेना के कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान से भारत आगये हैं। यह प्रत्येक भारतीय के लिए एक अच्छी खबर है लेकिन हमें केवल इससे ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मसूद अज़हर और हाफिज सईद जैसे आतंकवादी अभी भी पाकिस्तान में सुरक्षित बैठे हैं और वे हमारे सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों पर अभी और आतंकवादी हमले करवा सकते हैं। हमें अपने लोगों को फिर से मारने के लिए उनका इंतजार क्यों करना चाहिए? हमें उन्हें ख़त्म करना चाहिए या पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए कि वह उन्हें ख़त्म करे। यह आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के लिए खड़े होने का समय है क्योंकि हमारे देश में अब एक शक्तिशाली नेतृत्व है जो कठिन निर्णय लेने की हिम्मत रखता है।
मुझे यकीन है कि कई भारतीय अभिनंदन को रिहा करने के लिए पाकिस्तान के शुक्रगुजार होंगे, लेकिन भारत के पाकिस्तान को रिहा करने के लिए मजबूर करने के लिए नहीं। मैं व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान और उनकी सरकार को शांति प्रेमी तब तक नहीं मान सकता, जब तक कि वे आतंकवादियों को मारना शुरू नहीं करते जिस तरह से वे भारतीय निर्दोषों को मारते हैं। उनकी सेना हर दूसरे दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन करती है, जिसके परिणामस्वरूप LOC क्षेत्र में रहने वाले कई निर्दोष लोगों की जान चली जाती है और साथ ही हमें सीमा सुरक्षा के लिए तैनात भारतीय सैनिकों को भी खोना पड़ता है। अगर पाकिस्तान अपने सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करके मसूद अज़हर और हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों को खत्म कर देगा, तो मैं पाकिस्तान को एक शांतिप्रिय देश के रूप में सम्मान देना पसंद करूंगा। जो लोग सोचते हैं कि पाकिस्तान ने हमारे कमांडर को रिहा करके एक अच्छा कदम उठाया है , उन्हें समझना चाहिए कि पाकिस्तान ने ये अपने आप नहीं किया बल्कि भारत ने उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर किया और भारत को उन्हें उन आतंकवादियों को मारने के लिए भी  मजबूर करना होगा जो पाकिस्तान में अपने शिविर चला रहे हैं। जो लोग सोचते हैं कि पाकिस्तान ने शांति दूत बनकर कमांडर अभिनंदन को रिहा किया, उन्हें सोचना चाहिए कि पाकिस्तान नरसंहार को रोकने और दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए मसूद अज़हर और हाफ़िज़ सईद को क्यों भारत को नहीं सौंप देता। यह समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं है कि आतंकवादियों को मारना शांति का वास्तविक संकेत होगा लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे शांति नहीं चाहते हैं।
हम अभी भी उस स्थिति से दूर हैं जब हम पाकिस्तान की उसके कार्यों के लिए प्रशंसा कर सकें और उनके खिलाफ युद्ध के लिए “न” बोल सकें क्योंकि पाकिस्तान का मतलब है आतंकवाद और आतंकवाद दुनिया में कहीं भी नहीं होना चाहिए। यह वह समय है जब या तो पाकिस्तान को आतंकवाद खत्म करना चाहिए या भारत को पाकिस्तान को ही खत्म कर देना चाहिए।

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Saturday, February 16, 2019

भारत विरोधी, मानवता विरोधी और आतंकवाद समर्थक आवाज़ों को खत्म करने के लिए भारत में असहनशीलता का होना आवश्यक है।

हमने हाल ही में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैशएमोहम्मद द्वारा CRPF के काफिले पर कायरतापूर्ण हमला देखा है, जिसके परिणामस्वरूप चालीस से अधिक भारतीय सैनिकों की जान चली गई।
यह भारत और भारतीयों द्वारा दिखाई गई सहिष्णुता का परिणाम है। हमारे सुरक्षा बल पाकिस्तान से आ रहे आतंकवादियों को मार रहे हैं, लेकिन उन्हें कश्मीर के पत्थरबाज आतंकवादियों को बर्दाश्त करने के लिए मजबूर किया गया परिणामस्वरूप, उनमें से एक ने इस घातक आतंकवादी हमले को अंजाम दिया है। अगर हम उन पत्थरबाजों के प्रति सहिष्णु नहीं होते और सुरक्षा बलों को उन्हें देखते ही गोली मार देने की स्वतंत्रता होती, तो शायद हम अपने देश को इस बड़े नुकसान से बचा सकते थे। हम उन सभी को सहन करते हैं जो भारत के खिलाफ और भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ बात करते हैं जो हमारे द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती है। हम उन राजनेताओं को बर्दाश्त करते हैं जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवादियों का समर्थन करते हैं। हम जेएनयू के आतंकी समर्थको को बर्दाश्त करते हैं जो अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि भारत का फिर से विभाजन हो। हम उन बेवकूफ़ बुद्धिजीवियों को सहन करते हैं जो कश्मीरी आतंकवादियों का भटके हुए युवा बोलकर समर्थन करते हैं। हम कुछ ऐसे लोगों को भी बर्दाश्त करते हैं जो हमारे बीच में ही रहते हैं और इन आतंकवादियों का समर्थन करते हुए कहते हैं कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हमें उन सभी के प्रति सहनशील नहीं होना चाहिए।
कल मेरे एक मित्र ने मुझे बताया कि उनकी टीम की एक लड़की यह कहकर इस हमले का समर्थन कर रही है कि जिस आतंकवादी ने पुलवामा हमले को अंजाम दिया, उसने अपने हक की लड़ाई लड़ी है। मुझे समझ नहीं आता की ये बेवकूफ लोग क्या खाकर ऐसा सोच पाते हैं। इस प्रकार के लोग नरसंहार और युद्ध के बीच के अंतर को भी नहीं जानते हैं और अधिकारों के लिए लड़ने की बात करते हैं। मुझे उससे ज़्यादा परेशानी उसके टीम लीडर और मैनेजर से है जो इस प्रकार के लोगों को कार्यक्षेत्र में रखकर उन्हें आर्थिक समर्थन देते हैं। क्या इस प्रकार के लोगों को अपनी टीम से बाहर फेंकना टीम के प्रबंधक की जिम्मेदारी नहीं है? क्या वे भारतीय नहीं हैं या कार्यालय भारत में स्थित नहीं है? लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे देश और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ख्याल नहीं रखते हैं। ये प्रबंधक केवल एक्सेल शीट और पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने के लिए बनाए गए हैं, इनमे समाज या देश के लिए खड़े होने की क्षमता नहीं होती है। इस प्रकार के लोगों के खिलाफ असहिष्णुता होनी चाहिए। कंपनियां नस्लवादी और सांप्रदायिक बयानों के लिए सख्त नीतियां बनाती हैं, लेकिन वे राष्ट्र विरोधी और मानव विरोधी बयानों के खिलाफ कोई नीति नहीं बनाते हैं क्योंकि राष्ट्र का उनके लिए कोई मूल्य नहीं होता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए भारत विरोधी, मानवता-विरोधी और आतंकवादियों के समर्थकों के प्रति असहिष्णु होने का समय है।
कल मैंने एक समाचार देखा कि पूरे देश में कई समूह इस आतंकवादी हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही एक और खबर थी कि एक एएमयू छात्र आतंकवादी समूह को “हाउज़ द जैश” कहकर अपना समर्थन दिखा रहा था। उसी के संबंध में चित्र नीचे देखें:

जब पूरे भारत में बहुत सारे समूह विरोध कर रहे हैं, तो इस आतंकवाद समर्थक के नज़दीकी समूहों में से किसी एक समूह को एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसे मार देना चाहिए था। इन कमीनों के प्रतिअसहिष्णु बनने का यह सही समय है।
कोई भी, जो आतंकवादियों के समर्थन में और भारत और मानवता के खिलाफ काम या बात करता है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, भले ही वह एक राजनीतिज्ञ, सेलिब्रिटी या भटका हुआ नौजवान हो। और इस प्रकार के लोगों के प्रति असहिष्णु होने की जिम्मेदारी प्रत्येक भारतीय को लेनी चाहिए।

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Friday, December 21, 2018

अपने वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा मत करो।

वित्तीय योजना एक सुरक्षित भविष्य की योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन ये योजना अपनी आंखों और दिमाग को खोलकर बनानी चाहिए अन्यथा आपका वित्तीय सलाहकार आपका पैसा लूट सकता है। मैं एक वित्तीय सलाहकार की लूट का शिकार हो चूका हूं क्योंकि मैंने उस पर अन्धविश्वास किया था। मेरी एक मित्र हाल ही में एक वित्तीय सलाहकार के धोखे का शिकार हुई है। अधिकांश वित्तीय सलाहकार सिर्फ अपने कमीशन पर ध्यान देते हैं और ग्राहक के लाभों को अनदेखा करते हैं, चाहे वह स्टॉक मार्केट सलाहकार, बीमा सलाहकार या किसी अन्य वित्तीय क्षेत्र के सलाहकार हों।

शुरुआत में जब मैंने शेयर बाजार में व्यापार करना शुरू किया, तो मुझे व्यापार के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन ब्रोकरेज हाउस द्वारा मुझे असाइन किये हुए रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह बताएगा कि कौन सा ट्रेड लगाना है। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए कोई होमवर्क किए बिना मेरा पैसा बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने का एक अच्छा अवसर था। वह कॉल करता था और मुझे बताता था कि कॉल एन ट्रेड विकल्प के माध्यम से मुझे कौन सा ट्रेड खोलना चाहिए। मैंने वही किया और कुछ दिनों के बाद उसने कॉल करना बंद कर दिया। मैंने कई बार उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। मैंने बाद में ब्रोकरेज फर्म की सपोर्ट टीम से संपर्क करने का फैसला किया। जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि मैंने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जो पैसा डाला था, वो गवां चूका था और तब मुझे पता चला कि उस रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझे कॉल करना क्यों बंद कर दिया था। उसका मकसद केवल मेरे व्यापारों के माध्यम से कमीशन कमाना था क्योंकि ब्रोकरेज हाउस अपना कमिशन ज़रूर लेते हैं चाहे ट्रेडर को बेशक नुकसान हुआ हो।
इसी तरह, मेरी एक मित्र अनुू के साथ हाल ही में उसके बीमा सलाहकार ने फ्राड किया। उसने पॉलिसी बंद करने में मदद करने के लिए अपने बीमा सलाहकार से बात की। उसके सलाहकार ने उसे बताया कि यदि वह पॉलिसी बंद करेगी, तो पेनल्टी लगाई जाएगी। उसके बाद, उसने उससे कम प्रीमियम वाली एक पालिसी खरीदने के लिए कहा और कहा कि नई पालिसी लेने से पुरानी पालिसी बंद करने पर लगने वाली पेनल्टी वेव ऑफ हो जाएगी। उसने वही किया और सोचा कि उसने एक अच्छी धनराशि बचाई लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था। उनके बीमा सलाहकार ने उसे नई बीमापोलिसी बेच दी और कहा कि वह पुरानी पालिसी बंद करवा देगा। उसे अनुू की नई पालिसी का कमीशन मिल गया लेकिन उसने अनु पुरानी पालिसी बंद नहीं करवाई। अनु को ये तब पता चला कि उनकी पुरानी पालिसी बंद नहीं हुई है जब दोनों पॉलिसीज के लिए उसके खाते से पैसे कट गये। जब मैंने इस घटना के बारे में शशि (मेरी पत्नी जो एक बीमा सलाहकार है) को बताया, उसने मुझे बताया कि एक बीमा सलाहकार पॉलिसी रद्द नहीं कर सकता है, बल्कि ये काम पॉलिसी धारक द्वारा केवल बीमा कंपनी की शाखा में जाकर ही किया जा सकता है। उसने मुझे यह भी बताया कि अगर ऐसी कोई धोखाधड़ी किसी के साथ होती है, तो वो बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में उस सलाहकार के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और सलाहकार का एजेंसी कोड लिखना न भूलें जिसका उल्लेख आपकी पहली प्रीमियम रसीद पर होता है। इसके बाद भी यदि बीमा कंपनी इस मुद्दे को हल नहीं कर रही है, तो अपनी शिकायत आईआरडीए के साथ दर्ज करें।
तो कहने का मतलब यह है कि आपको किसी भी वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि खुद भी थोड़ी रिसर्च करनी चाहिए और यदि उसके बाद भी आप किसी धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं, तो शांत मत बैठें, शिकायत करें और अपने अधिकार के लिए तब तक लड़ें जब तक आपको शिकायत का हल नहीं मिल जाता।

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