Sunday, April 28, 2019

खुशी अंदर से आती है, इसे आपके लिए कोई और नहीं ला सकता है।

अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो खुश रहना सीखें। अगर आप चाहते हैं कि कोई और आपको खुश करे, तो आप कभी भी खुश नहीं रह सकते क्योंकि अगर कोई आपकी खुशी के लिए कुछ करता है, तो आप उससे और अधिक करने की उम्मीद करेंगे और यदि वह ऐसा कुछ करने में विफल है जो आप चाहते थे, तो आप दुखी हो जायेंगे और फिर आप दूसरों के साथ इस तरह से व्यवहार करेंगे कि आप उन्हें भी दुखी कर देंगे। मतलब, आप अपने चारों ओर एक नकारात्मक वातावरण बना रहे होंगे। दूसरी ओर, यदि आप मेरी तरह खुश रहना पसंद करते हैं, तो आप अपने जीवन से दुख को खत्म करने का विकल्प ढूंढ़ लेंगे। मैं लंबे समय तक दुखी नहीं रह सकता हूं और इसलिए मैं बहुत जल्द अपना ध्यान नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाता हूं और यही खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका है। आपको अपनी खुशी से समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि खुशी ही जीवन की ज्यादातर समस्याओं का हल है।


बहुत से लोग सिर्फ इसलिए दुखी रहते हैं क्यूंकि वह उन लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते हैं जो उन्हें प्यार करते हैं। ये लोग चाहते हैं कि दूसरे हर समय उनके आगे पीछे लगे रहें। इस प्रकार के लोग दूसरों को अपनी मुट्ठी में रखना पसंद करते हैं। ये चाहते हैं कि दूसरे केवल वही करें जो ये चाहते हैं और ये ऐसा करने में सफल भी होते हैं क्योंकि दूसरा व्यक्ति उनसे प्यार करता है। इस प्रकार के लोगों की अपने जीवन में उपस्थिति को अगर आप महत्व देते हैं तो ये आपका अपमान करेंगे और अगर आप महत्व देना बंद कर दें  तो ये आपको एहसास दिलाने की कोशिश करेंगे की आप बहुत बड़े अपराधी हैं। इस प्रकार के लोग उन लोगों के जीवन के लिए बहुत खतरनाक होते हैं जो उन्हें प्यार करते हैं क्योंकि ये उनके जीवन में हमेशा तनाव पैदा करते रहते हैं जो उन्हें बीमार, बहुत बीमार बनाता है। सिगरेट / तंबाकू के टार से भी ज़्यादा खतरनाक है ये तनाव और ये इतना बीमार बना देता है की इंसान बिना कुछ बोले इस दुनिया से निकल लेता है। जो लोग दुखी रहना पसंद करते हैं, वे तब तक नाखुश रहेंगे जब तक कि वे उस व्यक्ति की जान नहीं ले लेते जो उन्हें सबसे अधिक प्यार करता है और उसके मरने के बाद में वो बोलते हैं  कि उन्होंने मृतक की खुशी के लिए सब कुछ किया था लेकिन वास्तव में उन्होंने उसके जीवन में खुश रहने का एक भी कारण नहीं छोड़ा होता है।
ख़ुशी जीवन की आवश्यकता है और हम सब को ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए। सिर्फ अपने अहंकार, मूर्खता और अतार्किक इच्छाओं के कारण इसे ख़त्म न करें। स्वस्थ, रोग मुक्त और लम्बा जीवन जी पाने का खुशियाँ ही एकमात्र रास्ता है। इसलिए खुश रहें और दूसरों को भी खुश रहने दें। दुखी होकर उन्हें परेशान न करें जो आपसे प्यार करते हैं। और अगर आपको आपके प्रियजन हमेशा दुखी रहकर परेशान करते हैं, तो आप अपनी सहायता खुद करें और खुश रहें क्योंकि आपका वो प्रिय तो  वैसे भी खुश नहीं हो सकता। यदि आप खुशी पाने के लिए कुछ विकल्पों के बारे में जानना चाहते हैं, तो खुशी की खोज पर मेरी अगली पुस्तक की प्रतीक्षा करें।

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Saturday, March 2, 2019

अभिनंदन वर्तमान वापस आ गए हैं लेकिन आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जारी रहना चाहिए भले ही इस नेक काम के लिए पाकिस्तान को ख़त्म करना पड़े।

दो दिनों की कश्मकश के बाद, हमारी वायु सेना के कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान से भारत आगये हैं। यह प्रत्येक भारतीय के लिए एक अच्छी खबर है लेकिन हमें केवल इससे ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मसूद अज़हर और हाफिज सईद जैसे आतंकवादी अभी भी पाकिस्तान में सुरक्षित बैठे हैं और वे हमारे सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों पर अभी और आतंकवादी हमले करवा सकते हैं। हमें अपने लोगों को फिर से मारने के लिए उनका इंतजार क्यों करना चाहिए? हमें उन्हें ख़त्म करना चाहिए या पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए कि वह उन्हें ख़त्म करे। यह आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के लिए खड़े होने का समय है क्योंकि हमारे देश में अब एक शक्तिशाली नेतृत्व है जो कठिन निर्णय लेने की हिम्मत रखता है।
मुझे यकीन है कि कई भारतीय अभिनंदन को रिहा करने के लिए पाकिस्तान के शुक्रगुजार होंगे, लेकिन भारत के पाकिस्तान को रिहा करने के लिए मजबूर करने के लिए नहीं। मैं व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान और उनकी सरकार को शांति प्रेमी तब तक नहीं मान सकता, जब तक कि वे आतंकवादियों को मारना शुरू नहीं करते जिस तरह से वे भारतीय निर्दोषों को मारते हैं। उनकी सेना हर दूसरे दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन करती है, जिसके परिणामस्वरूप LOC क्षेत्र में रहने वाले कई निर्दोष लोगों की जान चली जाती है और साथ ही हमें सीमा सुरक्षा के लिए तैनात भारतीय सैनिकों को भी खोना पड़ता है। अगर पाकिस्तान अपने सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करके मसूद अज़हर और हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों को खत्म कर देगा, तो मैं पाकिस्तान को एक शांतिप्रिय देश के रूप में सम्मान देना पसंद करूंगा। जो लोग सोचते हैं कि पाकिस्तान ने हमारे कमांडर को रिहा करके एक अच्छा कदम उठाया है , उन्हें समझना चाहिए कि पाकिस्तान ने ये अपने आप नहीं किया बल्कि भारत ने उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर किया और भारत को उन्हें उन आतंकवादियों को मारने के लिए भी  मजबूर करना होगा जो पाकिस्तान में अपने शिविर चला रहे हैं। जो लोग सोचते हैं कि पाकिस्तान ने शांति दूत बनकर कमांडर अभिनंदन को रिहा किया, उन्हें सोचना चाहिए कि पाकिस्तान नरसंहार को रोकने और दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए मसूद अज़हर और हाफ़िज़ सईद को क्यों भारत को नहीं सौंप देता। यह समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं है कि आतंकवादियों को मारना शांति का वास्तविक संकेत होगा लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे शांति नहीं चाहते हैं।
हम अभी भी उस स्थिति से दूर हैं जब हम पाकिस्तान की उसके कार्यों के लिए प्रशंसा कर सकें और उनके खिलाफ युद्ध के लिए “न” बोल सकें क्योंकि पाकिस्तान का मतलब है आतंकवाद और आतंकवाद दुनिया में कहीं भी नहीं होना चाहिए। यह वह समय है जब या तो पाकिस्तान को आतंकवाद खत्म करना चाहिए या भारत को पाकिस्तान को ही खत्म कर देना चाहिए।

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Saturday, February 16, 2019

भारत विरोधी, मानवता विरोधी और आतंकवाद समर्थक आवाज़ों को खत्म करने के लिए भारत में असहनशीलता का होना आवश्यक है।

हमने हाल ही में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैशएमोहम्मद द्वारा CRPF के काफिले पर कायरतापूर्ण हमला देखा है, जिसके परिणामस्वरूप चालीस से अधिक भारतीय सैनिकों की जान चली गई।
यह भारत और भारतीयों द्वारा दिखाई गई सहिष्णुता का परिणाम है। हमारे सुरक्षा बल पाकिस्तान से आ रहे आतंकवादियों को मार रहे हैं, लेकिन उन्हें कश्मीर के पत्थरबाज आतंकवादियों को बर्दाश्त करने के लिए मजबूर किया गया परिणामस्वरूप, उनमें से एक ने इस घातक आतंकवादी हमले को अंजाम दिया है। अगर हम उन पत्थरबाजों के प्रति सहिष्णु नहीं होते और सुरक्षा बलों को उन्हें देखते ही गोली मार देने की स्वतंत्रता होती, तो शायद हम अपने देश को इस बड़े नुकसान से बचा सकते थे। हम उन सभी को सहन करते हैं जो भारत के खिलाफ और भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ बात करते हैं जो हमारे द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती है। हम उन राजनेताओं को बर्दाश्त करते हैं जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवादियों का समर्थन करते हैं। हम जेएनयू के आतंकी समर्थको को बर्दाश्त करते हैं जो अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि भारत का फिर से विभाजन हो। हम उन बेवकूफ़ बुद्धिजीवियों को सहन करते हैं जो कश्मीरी आतंकवादियों का भटके हुए युवा बोलकर समर्थन करते हैं। हम कुछ ऐसे लोगों को भी बर्दाश्त करते हैं जो हमारे बीच में ही रहते हैं और इन आतंकवादियों का समर्थन करते हुए कहते हैं कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हमें उन सभी के प्रति सहनशील नहीं होना चाहिए।
कल मेरे एक मित्र ने मुझे बताया कि उनकी टीम की एक लड़की यह कहकर इस हमले का समर्थन कर रही है कि जिस आतंकवादी ने पुलवामा हमले को अंजाम दिया, उसने अपने हक की लड़ाई लड़ी है। मुझे समझ नहीं आता की ये बेवकूफ लोग क्या खाकर ऐसा सोच पाते हैं। इस प्रकार के लोग नरसंहार और युद्ध के बीच के अंतर को भी नहीं जानते हैं और अधिकारों के लिए लड़ने की बात करते हैं। मुझे उससे ज़्यादा परेशानी उसके टीम लीडर और मैनेजर से है जो इस प्रकार के लोगों को कार्यक्षेत्र में रखकर उन्हें आर्थिक समर्थन देते हैं। क्या इस प्रकार के लोगों को अपनी टीम से बाहर फेंकना टीम के प्रबंधक की जिम्मेदारी नहीं है? क्या वे भारतीय नहीं हैं या कार्यालय भारत में स्थित नहीं है? लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वे देश और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ख्याल नहीं रखते हैं। ये प्रबंधक केवल एक्सेल शीट और पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने के लिए बनाए गए हैं, इनमे समाज या देश के लिए खड़े होने की क्षमता नहीं होती है। इस प्रकार के लोगों के खिलाफ असहिष्णुता होनी चाहिए। कंपनियां नस्लवादी और सांप्रदायिक बयानों के लिए सख्त नीतियां बनाती हैं, लेकिन वे राष्ट्र विरोधी और मानव विरोधी बयानों के खिलाफ कोई नीति नहीं बनाते हैं क्योंकि राष्ट्र का उनके लिए कोई मूल्य नहीं होता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए भारत विरोधी, मानवता-विरोधी और आतंकवादियों के समर्थकों के प्रति असहिष्णु होने का समय है।
कल मैंने एक समाचार देखा कि पूरे देश में कई समूह इस आतंकवादी हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही एक और खबर थी कि एक एएमयू छात्र आतंकवादी समूह को “हाउज़ द जैश” कहकर अपना समर्थन दिखा रहा था। उसी के संबंध में चित्र नीचे देखें:

जब पूरे भारत में बहुत सारे समूह विरोध कर रहे हैं, तो इस आतंकवाद समर्थक के नज़दीकी समूहों में से किसी एक समूह को एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसे मार देना चाहिए था। इन कमीनों के प्रतिअसहिष्णु बनने का यह सही समय है।
कोई भी, जो आतंकवादियों के समर्थन में और भारत और मानवता के खिलाफ काम या बात करता है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, भले ही वह एक राजनीतिज्ञ, सेलिब्रिटी या भटका हुआ नौजवान हो। और इस प्रकार के लोगों के प्रति असहिष्णु होने की जिम्मेदारी प्रत्येक भारतीय को लेनी चाहिए।

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Friday, December 21, 2018

अपने वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा मत करो।

वित्तीय योजना एक सुरक्षित भविष्य की योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन ये योजना अपनी आंखों और दिमाग को खोलकर बनानी चाहिए अन्यथा आपका वित्तीय सलाहकार आपका पैसा लूट सकता है। मैं एक वित्तीय सलाहकार की लूट का शिकार हो चूका हूं क्योंकि मैंने उस पर अन्धविश्वास किया था। मेरी एक मित्र हाल ही में एक वित्तीय सलाहकार के धोखे का शिकार हुई है। अधिकांश वित्तीय सलाहकार सिर्फ अपने कमीशन पर ध्यान देते हैं और ग्राहक के लाभों को अनदेखा करते हैं, चाहे वह स्टॉक मार्केट सलाहकार, बीमा सलाहकार या किसी अन्य वित्तीय क्षेत्र के सलाहकार हों।

शुरुआत में जब मैंने शेयर बाजार में व्यापार करना शुरू किया, तो मुझे व्यापार के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन ब्रोकरेज हाउस द्वारा मुझे असाइन किये हुए रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह बताएगा कि कौन सा ट्रेड लगाना है। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए कोई होमवर्क किए बिना मेरा पैसा बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने का एक अच्छा अवसर था। वह कॉल करता था और मुझे बताता था कि कॉल एन ट्रेड विकल्प के माध्यम से मुझे कौन सा ट्रेड खोलना चाहिए। मैंने वही किया और कुछ दिनों के बाद उसने कॉल करना बंद कर दिया। मैंने कई बार उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। मैंने बाद में ब्रोकरेज फर्म की सपोर्ट टीम से संपर्क करने का फैसला किया। जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि मैंने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जो पैसा डाला था, वो गवां चूका था और तब मुझे पता चला कि उस रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझे कॉल करना क्यों बंद कर दिया था। उसका मकसद केवल मेरे व्यापारों के माध्यम से कमीशन कमाना था क्योंकि ब्रोकरेज हाउस अपना कमिशन ज़रूर लेते हैं चाहे ट्रेडर को बेशक नुकसान हुआ हो।
इसी तरह, मेरी एक मित्र अनुू के साथ हाल ही में उसके बीमा सलाहकार ने फ्राड किया। उसने पॉलिसी बंद करने में मदद करने के लिए अपने बीमा सलाहकार से बात की। उसके सलाहकार ने उसे बताया कि यदि वह पॉलिसी बंद करेगी, तो पेनल्टी लगाई जाएगी। उसके बाद, उसने उससे कम प्रीमियम वाली एक पालिसी खरीदने के लिए कहा और कहा कि नई पालिसी लेने से पुरानी पालिसी बंद करने पर लगने वाली पेनल्टी वेव ऑफ हो जाएगी। उसने वही किया और सोचा कि उसने एक अच्छी धनराशि बचाई लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था। उनके बीमा सलाहकार ने उसे नई बीमापोलिसी बेच दी और कहा कि वह पुरानी पालिसी बंद करवा देगा। उसे अनुू की नई पालिसी का कमीशन मिल गया लेकिन उसने अनु पुरानी पालिसी बंद नहीं करवाई। अनु को ये तब पता चला कि उनकी पुरानी पालिसी बंद नहीं हुई है जब दोनों पॉलिसीज के लिए उसके खाते से पैसे कट गये। जब मैंने इस घटना के बारे में शशि (मेरी पत्नी जो एक बीमा सलाहकार है) को बताया, उसने मुझे बताया कि एक बीमा सलाहकार पॉलिसी रद्द नहीं कर सकता है, बल्कि ये काम पॉलिसी धारक द्वारा केवल बीमा कंपनी की शाखा में जाकर ही किया जा सकता है। उसने मुझे यह भी बताया कि अगर ऐसी कोई धोखाधड़ी किसी के साथ होती है, तो वो बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में उस सलाहकार के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और सलाहकार का एजेंसी कोड लिखना न भूलें जिसका उल्लेख आपकी पहली प्रीमियम रसीद पर होता है। इसके बाद भी यदि बीमा कंपनी इस मुद्दे को हल नहीं कर रही है, तो अपनी शिकायत आईआरडीए के साथ दर्ज करें।
तो कहने का मतलब यह है कि आपको किसी भी वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि खुद भी थोड़ी रिसर्च करनी चाहिए और यदि उसके बाद भी आप किसी धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं, तो शांत मत बैठें, शिकायत करें और अपने अधिकार के लिए तब तक लड़ें जब तक आपको शिकायत का हल नहीं मिल जाता।

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Sunday, December 9, 2018

अपने क्रोध को नियंत्रित करो और अपने प्रियजनों को परेशान होने से बचाओ।

क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन हम आम तौर पर अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं करते हैं क्योंकि अगर हम इसे नियंत्रित करते हैं, तो हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है और अगर हम नियंत्रण नहीं करते हैं, तो यह हमारी अहंकार को संतुष्ट करता है लेकिन बहुत सी ज़िन्दगियों को भारी नुकसान पहुंचाता है। कई मामलों में, यह जीवन खोने या जीवन को नष्ट करने में मदद करता है लेकिन फिर भी बहुत से लोग अपने क्रोध को अपनी स्वाभाव का सबसे अच्छा हिस्सा मानते हैं। मैंने कई माता-पिता को अपने बच्चों के गुस्से का समर्थन करते हुए देखा है। वो बड़े प्यार से कहेंगे की वह थोड़ा गुस्सैल है उसके सामने ऐसी बात क्यों करते हो जो उसे पसंद नहीं।  मुद्दा यह है कि परिवार में पल रहे एक गधे (गुस्सैल स्वाभाव के इंसान) को परिवार के अन्य सदस्यों पर हावी क्यों होने देना चाहिए वो भी तब जब वो इंसान गलत है। किसी भी परिवार / समाज को ऐसे व्यक्ति को शय नहीं देनी चाहिए जिसे गुस्सैल स्वाभाव एक दोष लगने के बजाए एक गुण लगता है। जिस इंसान को उसका क्रोध नियंत्रित करता है उसे किसी भी  परिवार / समाज द्वारा शय नहीं दी जानी चाहिए बल्कि उसे पिंजरे में रखा जाना चाहिए क्योंकि वह परिवार / समाज के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। क्रोध के नियंत्रण में रहने वाला व्यक्ति एक पागल जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले हफ्ते मैं अपने एक ऐसे दोस्त से मिलने के लिए मुजफ्फरनगर जिला जेल गया था, जो अपने गांव के झगडे में शामिल होने की वजह से कैद है, जिस झगडे ने उसके खुद के जीवन सहित कई लोगों को नुकसान पहुंचाया था। जब मैं उससे मिलने की अनुमति पाने के लिए जेल से बाहर इंतजार कर रहा था, मैंने वहां कई परिवारों को देखा जो अपने परिवार के किसी कैदी सदस्य से मिलने की अनुमति पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई महिलाएं, बुजुर्ग  और बच्चे भी उस भीड़ का हिस्सा थे। मैंने वहां ज़मीन पर कई छोटे बच्चे अपनी बारी के इंतज़ार में लेटे हुए देखे । मेरा कहना यह है कि क्या इन छोटे-छोटे बच्चों को जेल के आसपास भी होना चाहिए । 3-4 साल के बच्चों को जेल में या उसके आसपास भी उपस्थित नहीं होना चाहिए, लेकिन वे वहां मौजूद थे क्योंकि उनके घर के किसी बड़े ने गुस्से में कुछ ऐसा कर दिया जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा नतीजतन, उनके परिवार के छोटे बच्चों को उनसे मिलने के लिए उस जगह पर मज़बूरी में जाना पड़ता है जो कि नकारात्मकता से भरा होता है और वह नकारात्मकता उन बच्चो के दिमाग और जीवन दोनों को प्रदूषित कर सकती है। जब मैं उस जगह के आसपास था, तो मैं खुद नकारात्मकता का अनुभव कर रहा था क्योंकि हर कोई अपराध और जिंदगी बर्बाद करने वाली हरकतों के बारे के बात कर रहा था। साथ ही मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान चाहता है की उसका परिवार उसके क्षणिक गुस्से के कारण पुलिस और अदालतों के चक्कर लगाए। मेरा दोस्त खुद कह रहा था कि उसे दुःख होता है जब वह अपने परिवार को उसको छुड़ाने के चक्कर में परेशान होते हुए देखता है ।
इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को अपने परिवार को अपने बाद परेशान होने से  बचाने के लिए अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें कभी लड़ना नहीं चाहिए, लेकिन हमें तब तक लड़ना नहीं चाहिए जब तक कि कोई अन्य विकल्प न होने की दुर्लभ स्थिति हो। एक और बात, आप ये तभी समझ सकते हैं की बात करके कोई भी मामला हल किया जा सकता है जब आपमें गुस्से पर नियंत्रण रखने की क्षमता हो। अगर आपको क्रोध नियंत्रित करता है तो ये समझदारी का काम आपसे नहीं हो पायेगा।

Saturday, December 1, 2018

कुछ बेवकूफ जो खुद को ज्ञानी समझते हैं, जीवन बीमा के झूठी कमियां बताकर गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के भविष्य को बर्बाद करने का काम करते हैं।

हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो लोगों को जीवन बीमा में अपने पैसे  निवेश न करने के फ़र्ज़ी कारण बताते रहते हैं। वे खुद को बहुत बुद्धिमान समझते हैं और आपको निवेश के विभिन्न विकल्पों को बताएंगे और दावा करेंगे कि उनका विकल्प निवेश करने का सबसे अच्छा विकल्प है। मैंने कुछ लोगों को दूसरों को ये समझाते हुए सुना कि एफडी (FD) जीवन बीमा से बेहतर विकल्प है। उनके अनुसार जीवन बीमा को आपके पैसे को दोगुना करने के लिए 20 से अधिक वर्षों की आवश्यकता होती है जबकि एफडी 8-9 साल के भीतर ही दोगुना कर देता है लेकिन वह लोग एक बात को नज़रंदाज़ कर देते हैं कि एफडी में पूरा पैसा शुरुआत में एक साथ देना पड़ता है जबकि जीवन बीमा में आप आसान किस्तों में अपना पैसा निवेश कर सकते हैं। और जीवन बीमा बीमाकर्ता के परिवार को उसकी मृत्यु होने पर वित्तीय सुरक्षा भी देती है। मैं जीवन बीमा के बारे में लिख रहा हूं क्योंकि मैंने हाल ही में एक घटना के बारे में सुना है जो कि जीवन बीमा से संबंधित है।
मेरी पत्नी शशि LIC की एक बीमा सलाहकार हैं। पिछले हफ्ते वह एक लड़की से मिली  जिसके पति की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई और वह अपने पति की बीमा पॉलिसी के पैसे क्लेम करने के लिए एलआईसी कार्यालय आई थी। शशि ने उसे क्लेम के फॉर्म को भरने में मदद की और जब वह फॉर्म लेकर सेटलमेट डेस्क पर गयी, तो उसे पता चला कि उसके पति ने पालिसी चालू ही नहीं रखी, उसके पति ने पालिसी लेने के 6 महीने बाद ही प्रीमियम भरना बंद कर दिया था जिसके कारण पालिसी लैप्स हो गयी और उसे कुछ भी नहीं मिलेगा। उसने वहीँ पर रोना शुरू कर दिया क्योंकि उसके पति की मृत्यु के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। अब वह ये सोच कर परेशान थी कि वो बिना किसी पारिवारिक और वित्तीय सहायता के अपनी और अपने 2 बच्चे को कैसे पालेगी l शशि को उसकी परेशानी महसूस हुई इसलिए उसने अपनी क्षमता के हिसाब से उस लड़की की नैतिक और वित्तीय मदद करने का फैसला किया। उसने उस लड़की को अपना विजिटिंग कार्ड दिया और उसे किसी भी मदद की ज़रूरत होने पे संपर्क करने के लिए कहा। जिससे उस लड़की को शायद कुछ हिम्मत ज़रूर मिली होगी और किसी सुझाव की आवश्यकता होने पर उसने शशि से संपर्क करना भी शुरू कर दिया।
अगर इस लड़की के पति ने इस पालिसी को जारी रखा होता, तो उसे ऐसे दर दर भटकना नहीं पड़ता। मुझे यकीन है कि किसी बेवकूफ ने ही उसके पति को पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान करना बंद करने की सलाह दी होगी क्योंकि मैंने कई लोगों को पॉलिसीधारकों को यह सुझाव देते हुए सुना है  कि बीमा पॉलिसी लाभकारी नहीं है, बीमा पॉलिसी के बजाए कहीं और निवेश करना चाहिए। मेरे विचार में, यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने परिवार की देखभाल करें और अपने पैसे को ऐसे सुनियोजित करें ताकि वह आपकी अनुपस्थिति में आपके परिवार की मदद कर सके। आपको उन्हें आत्मनिर्भर  होने का अवसर प्रदान करके, उन्हें शिक्षा प्रदान करके सशक्त बनाना चाहिए ताकि उन्हें आपकी अनुपस्थिति में उनके अस्तित्व के लिए दूसरों की तरफ न देखना पड़े। जीवन बीमा भी परिवार को आत्मनिर्भर बनाने का एक विकल्प है। यह लड़कीअशिक्षित भी थी जिसके कारण उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिल सकती थी। अगर उसके पिता ने उसे पढ़ाया होता, तो वह एलआईसी सलाहकार भी बन सकती थी जो विकल्प शशि ने उसे शुरुआत में दिया था। अगर उसके पति ने पॉलिसी जारी रखी होती, तो वह पालिसी के पैसे का इस्तेमाल करके कोई छोटा मोटा व्यवसाय शुरू कर सकती थी। इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को बीमा पॉलिसी में अपनी आय का एक छोटा सा हिस्सा निवेश ज़रूर करना चाहिए और अगर आपको एक LIC पालिसी की जरूरत है, तो शशि से संपर्क करें, नीचे उसका विज़िटिंग कार्ड है।

सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैं साझा करना चाहता हूं वह ये है कि आपको प्रीमियम का भुगतान न करके अपनी पॉलिसी बीच में ही नहीं बंद करनी चाहिए क्योंकि जब आपके परिवार को पॉलिसी बॉन्ड मिलता है और इसका दावा करने के लिए वो बीमा कार्यालय जाता है, तो उन्हें  ये जानकर और बड़ा झटका लगता है कि आपकी पालिसी बंद हो चुकी है उस महिला के साथ यही हुआ और उसने अपने मृत पति को सबके सामने वहीँ गली देना शुरू कर दिया। उसने अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपना जीवन बीमा करने का भी फैसला किया है।

Monday, October 22, 2018

आत्म अनुशासन जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। अनुशासनहीनता की कीमत आपकी ज़िन्दगी भी हो सकती है।

हाल ही में दशहरा उत्सव के दौरान अमृतसर में एक बड़ी ट्रेन दुर्घटना हुई है। शुक्रवार को जब लोग रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े थे तब एक तेज़ रफ़्तार ट्रैन से कुचले जाने के कारण 59 से ज्यादा लोग मारे गए और 72 घायल हो गए। कई लोगों ने ड्राइवर द्वारा ट्रैन को न रोके जाने पर सवाल खड़े किये तो कुछ ने आयोजकों पर सवाल उठाये और कुछ ने कहा कि नवजोत कौर दोषी है। हर जगह लोग उन लोगों पर सवाल उठा रहे थे जिनकी ज़िन्दगी खतरे में नहीं थी, लेकिन जिनकी ज़िन्दगी खतरे में थी उनका क्या, उन्होंने अपने जीवन की देखभाल क्यों नहीं की ? जिन लोगों की मृत्यु हो गई या जो घायल हुए उन्हें ही अपने जीवन की परवाह नहीं थी, तो वे दूसरों से अपने जीवन की परवाह करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?


रेलवे क्रॉसिंग पर हर जगह लिखा होता है की पार करने से पहले दोनों तरफ देखें। यह रेलवे पटरियों के आस पास हर जगह लिखा जाता है कि रेल की पटरी पर जाना खतरनाक हो सकता है लेकिन फिर भी, वे रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। इसे आत्म अनुशासन की कमी कहा जाता है। जब आप जानते हैं कि रेलवे ट्रैक पर जाना खतरनाक हो सकता है, तो आप वहां क्यों खड़े होते हैं? हमारे देश के लोग इतने अनुशासनहीन हैं कि सभी नियम, विनियम और चेतावनियां उनके लिए बेकार हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि कहीं भी लिखी गयी चेतावनी उनकी खुद की सुरक्षा के लिए है और उसका बिना किसी दबाव के पालन करना ही आत्मअनुशासन कहलाता है। उन्हें समझना चाहिए कि नियम उनकी सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं और बिना किसी दबाव के उनका पालन करना ही आत्मअनुशासन कहलाता है। इसलिए यदि वे स्वयं अनुशासित होते, तो वे रेलवे ट्रैक पर नहीं खड़े होते और उस दुर्घटना से बच जाते। सरकारों, सिस्टम्स और ओर्गनइजेशन्स को दोषी मानने से दुर्घटनाओं को खत्म करने में मदद नहीं मिलेगी, बल्कि आपको दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्वयं अनुशासित होना होगा।
मैंने देखा है कि लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं। सिग्नल लाल होने पर भी वे अपने पैर एक्सेलरेटर से नहीं हटाते हैं। मैंने भारी ट्रैफिक क्षेत्रों में पैदल यात्रियों को सड़क पार करते देखा है, भले ही सिग्नल वाहनों के लिए हरा है और उनके लिए लाल है। मैंने लोगों को रेड लाइट पर रुकने से बचने के लिए फुटपाथ पर बाइक चलाते देखा है। मैंने रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक बंद होने पर भी लोगो को पार करते हुए देखा है। इसलिए अगर लोग स्वयं अनुशासित होंगे तो नियमों का उल्लंघन नहीं करेंगे, नतीजतन, दुर्घटनाएं और उनसे होने वाली मौतें कम होंगी।