Saturday, May 25, 2019

वे, जो आपको धर्मनिरपेक्षता सिखाते हैं, वे स्वयं धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं बल्कि मानसिक रूप से बीमार हैं।

मोदी-विरोधियों ने 23-मई 2019 के बाद मोदी-समर्थकों को धर्मनिरपेक्षता सिखाना शुरू कर दिया है, जबकि वे स्वयं एक धर्मनिरपेक्ष इंसान की तरह व्यवहार नहीं करते हैं। मैंने गुरुवार को एक बेवकूफ के द्वारा फेसबुक पर नीचे लिखा हुआ पोस्ट देखा,
चौकीदार और भगवाधारी मोदी की जीत का जश्न मना रहे हैं। हम देख रहे हैं कि धार्मिक प्रोपेगंडा जीत रहा है।हमारे संविधान में कहा गया है कि हम एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में रहते हैं  की किसी स्टुपिड हिंदुत्व वाले राज्य में।
मुझे यह समझ में नहीं आता कि जिस तरह से हिंदू नरेंद्र मोदी की जीत का जश्न मना रहे हैं, उसे बर्दाश्त करने के लिए ये खुद धर्मनिरपेक्ष क्यों नहीं हो सकता। इस गधे ने हिंदुत्व को स्टुपिड कहा है जबकि हिंदुत्व ही है जिसने धर्मनिरपेक्षता को जीवित रखा है। इस आदमी को धर्मनिरपेक्षता के बारे में कुछ भी नहीं पता है और दूसरों को धर्मनिरपेक्षता का ज्ञान दे रहा है। धर्मनिरपेक्षता प्रत्येक व्यक्ति के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करना है। अगर एक भगवाधारी मोदी की जीत का जश्न मना रहा है, तो उसे समस्या क्यों है। आखिर वह क्या कहना चाहता है? क्या वह चाहता है कि एक सिख सार्वजनिक रूप से जश्न मनाते हुए अपनी पगड़ी हटाए। क्या वह चाहता है कि सार्वजनिक रूप से जश्न मनाने से पहले एक मुसलमान अपनी दाढ़ी हटाए? क्या वह चाहता है कि ईसाई कुछ मनाने से पहले अपने ईसाई क्रॉस को हटा दें? यदि हाँ, तो वह धर्मनिरपेक्ष नहीं है, बल्कि कट्टरपंथी ताकतों का एक प्यादा है, और यदि जवाब “नहीं” है, तो उसे मोदी की जीत का जश्न मनाने वाले भगवाधारियों के साथ समस्या क्यों है। उनके द्वारा लिखी गई पोस्ट साफ कहती है कि वह मानसिक रूप से बीमार होने के अलावा और कुछ नहीं हैं।
यह धार्मिक प्रोपेगंडा की नहीं, बल्कि यह राष्ट्रवाद, सच्चाई और विकास की जीत है। और न केवल भगवाधारी बल्कि कई पगड़ी धारक और दाढ़ी धारक भी मोदी की जीत का जश्न मना रहे हैं क्योंकि वे इस बेवकूफ की तरह मानसिक रूप से बीमार नहीं हैं। प्रत्येक बुद्धिमान भारतीय समझता है कि मोदी वर्तमान समय की आवश्यकता है और यही कारण है कि उन्हें 350+ सीटें मिलीं।

अगली खबर आयी “ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड” से। वे “ये दिन भी बीत जाएंगे” कहकर अपनी धार्मिक प्रचार की दुकान को चालू रखने के लिए मुसलमानों में मोदी का भय फैला रहे हैं। 2014 में भी यही डर फैलाया जा रहा था, लेकिन हमने देखा कि नरेंद्र मोदी ने किसी भी मुस्लिम को नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि वह हर भारतीय के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। मुसलमानों को न तो मोदी के साथ और न ही हिंदुओं के साथ समस्या है, लेकिन इन संगठनों को दोनों के साथ समस्या है क्योंकि वे जानते हैं कि मोदी जल्द ही धार्मिक प्रोपेगंडा की इनकी दुकान बंद करवा देंगे, जिसका उपयोग ये लोगों को धर्म और जाति में विभाजित करने के लिए करते हैं।
इसलिए, यदि आप ऐसे संगठन के संपर्क में हैं तो उनसे दूर हो जाएं। और यदि आप दूसरों को धर्मनिरपेक्षता सिखाना चाहते हैं, तो पहले इसे खुद सीखें और उसका पालन करें और यदि आप ऐसा नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी दुसरो को इसका ज्ञान देना पसंद करते हैं, तो आपको एक डॉक्टर की आवश्यकता है क्योंकि आप मानसिक रूप से बीमार हैं। और अगर आप मेरे विचारों से सहमत हैं, तो इस पोस्ट को दूसरों के साथ शेयर करने का एक कदम उठाएं।

“This post is the Hindi Version of my previous post”