Friday, December 21, 2018

अपने वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा मत करो।

वित्तीय योजना एक सुरक्षित भविष्य की योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन ये योजना अपनी आंखों और दिमाग को खोलकर बनानी चाहिए अन्यथा आपका वित्तीय सलाहकार आपका पैसा लूट सकता है। मैं एक वित्तीय सलाहकार की लूट का शिकार हो चूका हूं क्योंकि मैंने उस पर अन्धविश्वास किया था। मेरी एक मित्र हाल ही में एक वित्तीय सलाहकार के धोखे का शिकार हुई है। अधिकांश वित्तीय सलाहकार सिर्फ अपने कमीशन पर ध्यान देते हैं और ग्राहक के लाभों को अनदेखा करते हैं, चाहे वह स्टॉक मार्केट सलाहकार, बीमा सलाहकार या किसी अन्य वित्तीय क्षेत्र के सलाहकार हों।

शुरुआत में जब मैंने शेयर बाजार में व्यापार करना शुरू किया, तो मुझे व्यापार के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन ब्रोकरेज हाउस द्वारा मुझे असाइन किये हुए रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह बताएगा कि कौन सा ट्रेड लगाना है। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए कोई होमवर्क किए बिना मेरा पैसा बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने का एक अच्छा अवसर था। वह कॉल करता था और मुझे बताता था कि कॉल एन ट्रेड विकल्प के माध्यम से मुझे कौन सा ट्रेड खोलना चाहिए। मैंने वही किया और कुछ दिनों के बाद उसने कॉल करना बंद कर दिया। मैंने कई बार उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। मैंने बाद में ब्रोकरेज फर्म की सपोर्ट टीम से संपर्क करने का फैसला किया। जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि मैंने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जो पैसा डाला था, वो गवां चूका था और तब मुझे पता चला कि उस रिलेशनशिप मैनेजर ने मुझे कॉल करना क्यों बंद कर दिया था। उसका मकसद केवल मेरे व्यापारों के माध्यम से कमीशन कमाना था क्योंकि ब्रोकरेज हाउस अपना कमिशन ज़रूर लेते हैं चाहे ट्रेडर को बेशक नुकसान हुआ हो।
इसी तरह, मेरी एक मित्र अनुू के साथ हाल ही में उसके बीमा सलाहकार ने फ्राड किया। उसने पॉलिसी बंद करने में मदद करने के लिए अपने बीमा सलाहकार से बात की। उसके सलाहकार ने उसे बताया कि यदि वह पॉलिसी बंद करेगी, तो पेनल्टी लगाई जाएगी। उसके बाद, उसने उससे कम प्रीमियम वाली एक पालिसी खरीदने के लिए कहा और कहा कि नई पालिसी लेने से पुरानी पालिसी बंद करने पर लगने वाली पेनल्टी वेव ऑफ हो जाएगी। उसने वही किया और सोचा कि उसने एक अच्छी धनराशि बचाई लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था। उनके बीमा सलाहकार ने उसे नई बीमापोलिसी बेच दी और कहा कि वह पुरानी पालिसी बंद करवा देगा। उसे अनुू की नई पालिसी का कमीशन मिल गया लेकिन उसने अनु पुरानी पालिसी बंद नहीं करवाई। अनु को ये तब पता चला कि उनकी पुरानी पालिसी बंद नहीं हुई है जब दोनों पॉलिसीज के लिए उसके खाते से पैसे कट गये। जब मैंने इस घटना के बारे में शशि (मेरी पत्नी जो एक बीमा सलाहकार है) को बताया, उसने मुझे बताया कि एक बीमा सलाहकार पॉलिसी रद्द नहीं कर सकता है, बल्कि ये काम पॉलिसी धारक द्वारा केवल बीमा कंपनी की शाखा में जाकर ही किया जा सकता है। उसने मुझे यह भी बताया कि अगर ऐसी कोई धोखाधड़ी किसी के साथ होती है, तो वो बीमा कंपनी के शाखा कार्यालय में उस सलाहकार के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और सलाहकार का एजेंसी कोड लिखना न भूलें जिसका उल्लेख आपकी पहली प्रीमियम रसीद पर होता है। इसके बाद भी यदि बीमा कंपनी इस मुद्दे को हल नहीं कर रही है, तो अपनी शिकायत आईआरडीए के साथ दर्ज करें।
तो कहने का मतलब यह है कि आपको किसी भी वित्तीय सलाहकार पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि खुद भी थोड़ी रिसर्च करनी चाहिए और यदि उसके बाद भी आप किसी धोखाधड़ी का शिकार बन जाते हैं, तो शांत मत बैठें, शिकायत करें और अपने अधिकार के लिए तब तक लड़ें जब तक आपको शिकायत का हल नहीं मिल जाता।

“This post is the Hindi Version of my previous post”

Sunday, December 9, 2018

अपने क्रोध को नियंत्रित करो और अपने प्रियजनों को परेशान होने से बचाओ।

क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन हम आम तौर पर अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं करते हैं क्योंकि अगर हम इसे नियंत्रित करते हैं, तो हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है और अगर हम नियंत्रण नहीं करते हैं, तो यह हमारी अहंकार को संतुष्ट करता है लेकिन बहुत सी ज़िन्दगियों को भारी नुकसान पहुंचाता है। कई मामलों में, यह जीवन खोने या जीवन को नष्ट करने में मदद करता है लेकिन फिर भी बहुत से लोग अपने क्रोध को अपनी स्वाभाव का सबसे अच्छा हिस्सा मानते हैं। मैंने कई माता-पिता को अपने बच्चों के गुस्से का समर्थन करते हुए देखा है। वो बड़े प्यार से कहेंगे की वह थोड़ा गुस्सैल है उसके सामने ऐसी बात क्यों करते हो जो उसे पसंद नहीं।  मुद्दा यह है कि परिवार में पल रहे एक गधे (गुस्सैल स्वाभाव के इंसान) को परिवार के अन्य सदस्यों पर हावी क्यों होने देना चाहिए वो भी तब जब वो इंसान गलत है। किसी भी परिवार / समाज को ऐसे व्यक्ति को शय नहीं देनी चाहिए जिसे गुस्सैल स्वाभाव एक दोष लगने के बजाए एक गुण लगता है। जिस इंसान को उसका क्रोध नियंत्रित करता है उसे किसी भी  परिवार / समाज द्वारा शय नहीं दी जानी चाहिए बल्कि उसे पिंजरे में रखा जाना चाहिए क्योंकि वह परिवार / समाज के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। क्रोध के नियंत्रण में रहने वाला व्यक्ति एक पागल जानवर से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले हफ्ते मैं अपने एक ऐसे दोस्त से मिलने के लिए मुजफ्फरनगर जिला जेल गया था, जो अपने गांव के झगडे में शामिल होने की वजह से कैद है, जिस झगडे ने उसके खुद के जीवन सहित कई लोगों को नुकसान पहुंचाया था। जब मैं उससे मिलने की अनुमति पाने के लिए जेल से बाहर इंतजार कर रहा था, मैंने वहां कई परिवारों को देखा जो अपने परिवार के किसी कैदी सदस्य से मिलने की अनुमति पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई महिलाएं, बुजुर्ग  और बच्चे भी उस भीड़ का हिस्सा थे। मैंने वहां ज़मीन पर कई छोटे बच्चे अपनी बारी के इंतज़ार में लेटे हुए देखे । मेरा कहना यह है कि क्या इन छोटे-छोटे बच्चों को जेल के आसपास भी होना चाहिए । 3-4 साल के बच्चों को जेल में या उसके आसपास भी उपस्थित नहीं होना चाहिए, लेकिन वे वहां मौजूद थे क्योंकि उनके घर के किसी बड़े ने गुस्से में कुछ ऐसा कर दिया जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा नतीजतन, उनके परिवार के छोटे बच्चों को उनसे मिलने के लिए उस जगह पर मज़बूरी में जाना पड़ता है जो कि नकारात्मकता से भरा होता है और वह नकारात्मकता उन बच्चो के दिमाग और जीवन दोनों को प्रदूषित कर सकती है। जब मैं उस जगह के आसपास था, तो मैं खुद नकारात्मकता का अनुभव कर रहा था क्योंकि हर कोई अपराध और जिंदगी बर्बाद करने वाली हरकतों के बारे के बात कर रहा था। साथ ही मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान चाहता है की उसका परिवार उसके क्षणिक गुस्से के कारण पुलिस और अदालतों के चक्कर लगाए। मेरा दोस्त खुद कह रहा था कि उसे दुःख होता है जब वह अपने परिवार को उसको छुड़ाने के चक्कर में परेशान होते हुए देखता है ।
इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को अपने परिवार को अपने बाद परेशान होने से  बचाने के लिए अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें कभी लड़ना नहीं चाहिए, लेकिन हमें तब तक लड़ना नहीं चाहिए जब तक कि कोई अन्य विकल्प न होने की दुर्लभ स्थिति हो। एक और बात, आप ये तभी समझ सकते हैं की बात करके कोई भी मामला हल किया जा सकता है जब आपमें गुस्से पर नियंत्रण रखने की क्षमता हो। अगर आपको क्रोध नियंत्रित करता है तो ये समझदारी का काम आपसे नहीं हो पायेगा।

Saturday, December 1, 2018

कुछ बेवकूफ जो खुद को ज्ञानी समझते हैं, जीवन बीमा के झूठी कमियां बताकर गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के भविष्य को बर्बाद करने का काम करते हैं।

हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो लोगों को जीवन बीमा में अपने पैसे  निवेश न करने के फ़र्ज़ी कारण बताते रहते हैं। वे खुद को बहुत बुद्धिमान समझते हैं और आपको निवेश के विभिन्न विकल्पों को बताएंगे और दावा करेंगे कि उनका विकल्प निवेश करने का सबसे अच्छा विकल्प है। मैंने कुछ लोगों को दूसरों को ये समझाते हुए सुना कि एफडी (FD) जीवन बीमा से बेहतर विकल्प है। उनके अनुसार जीवन बीमा को आपके पैसे को दोगुना करने के लिए 20 से अधिक वर्षों की आवश्यकता होती है जबकि एफडी 8-9 साल के भीतर ही दोगुना कर देता है लेकिन वह लोग एक बात को नज़रंदाज़ कर देते हैं कि एफडी में पूरा पैसा शुरुआत में एक साथ देना पड़ता है जबकि जीवन बीमा में आप आसान किस्तों में अपना पैसा निवेश कर सकते हैं। और जीवन बीमा बीमाकर्ता के परिवार को उसकी मृत्यु होने पर वित्तीय सुरक्षा भी देती है। मैं जीवन बीमा के बारे में लिख रहा हूं क्योंकि मैंने हाल ही में एक घटना के बारे में सुना है जो कि जीवन बीमा से संबंधित है।
मेरी पत्नी शशि LIC की एक बीमा सलाहकार हैं। पिछले हफ्ते वह एक लड़की से मिली  जिसके पति की एक दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई और वह अपने पति की बीमा पॉलिसी के पैसे क्लेम करने के लिए एलआईसी कार्यालय आई थी। शशि ने उसे क्लेम के फॉर्म को भरने में मदद की और जब वह फॉर्म लेकर सेटलमेट डेस्क पर गयी, तो उसे पता चला कि उसके पति ने पालिसी चालू ही नहीं रखी, उसके पति ने पालिसी लेने के 6 महीने बाद ही प्रीमियम भरना बंद कर दिया था जिसके कारण पालिसी लैप्स हो गयी और उसे कुछ भी नहीं मिलेगा। उसने वहीँ पर रोना शुरू कर दिया क्योंकि उसके पति की मृत्यु के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। अब वह ये सोच कर परेशान थी कि वो बिना किसी पारिवारिक और वित्तीय सहायता के अपनी और अपने 2 बच्चे को कैसे पालेगी l शशि को उसकी परेशानी महसूस हुई इसलिए उसने अपनी क्षमता के हिसाब से उस लड़की की नैतिक और वित्तीय मदद करने का फैसला किया। उसने उस लड़की को अपना विजिटिंग कार्ड दिया और उसे किसी भी मदद की ज़रूरत होने पे संपर्क करने के लिए कहा। जिससे उस लड़की को शायद कुछ हिम्मत ज़रूर मिली होगी और किसी सुझाव की आवश्यकता होने पर उसने शशि से संपर्क करना भी शुरू कर दिया।
अगर इस लड़की के पति ने इस पालिसी को जारी रखा होता, तो उसे ऐसे दर दर भटकना नहीं पड़ता। मुझे यकीन है कि किसी बेवकूफ ने ही उसके पति को पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान करना बंद करने की सलाह दी होगी क्योंकि मैंने कई लोगों को पॉलिसीधारकों को यह सुझाव देते हुए सुना है  कि बीमा पॉलिसी लाभकारी नहीं है, बीमा पॉलिसी के बजाए कहीं और निवेश करना चाहिए। मेरे विचार में, यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने परिवार की देखभाल करें और अपने पैसे को ऐसे सुनियोजित करें ताकि वह आपकी अनुपस्थिति में आपके परिवार की मदद कर सके। आपको उन्हें आत्मनिर्भर  होने का अवसर प्रदान करके, उन्हें शिक्षा प्रदान करके सशक्त बनाना चाहिए ताकि उन्हें आपकी अनुपस्थिति में उनके अस्तित्व के लिए दूसरों की तरफ न देखना पड़े। जीवन बीमा भी परिवार को आत्मनिर्भर बनाने का एक विकल्प है। यह लड़कीअशिक्षित भी थी जिसके कारण उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिल सकती थी। अगर उसके पिता ने उसे पढ़ाया होता, तो वह एलआईसी सलाहकार भी बन सकती थी जो विकल्प शशि ने उसे शुरुआत में दिया था। अगर उसके पति ने पॉलिसी जारी रखी होती, तो वह पालिसी के पैसे का इस्तेमाल करके कोई छोटा मोटा व्यवसाय शुरू कर सकती थी। इसलिए, मुझे लगता है कि हर किसी को बीमा पॉलिसी में अपनी आय का एक छोटा सा हिस्सा निवेश ज़रूर करना चाहिए और अगर आपको एक LIC पालिसी की जरूरत है, तो शशि से संपर्क करें, नीचे उसका विज़िटिंग कार्ड है।

सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैं साझा करना चाहता हूं वह ये है कि आपको प्रीमियम का भुगतान न करके अपनी पॉलिसी बीच में ही नहीं बंद करनी चाहिए क्योंकि जब आपके परिवार को पॉलिसी बॉन्ड मिलता है और इसका दावा करने के लिए वो बीमा कार्यालय जाता है, तो उन्हें  ये जानकर और बड़ा झटका लगता है कि आपकी पालिसी बंद हो चुकी है उस महिला के साथ यही हुआ और उसने अपने मृत पति को सबके सामने वहीँ गली देना शुरू कर दिया। उसने अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपना जीवन बीमा करने का भी फैसला किया है।