Sunday, August 12, 2018

धार्मिक आयोजनों के नाम पर अराजकता फैलाकर हिंदुत्व को बदनाम करना बंद करो।

पिछले हफ्ते, श्रावण महीने की महाशिवरात्री के अवसर पर विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित कावड़ यात्रा के दौरान कुछ अराजक घटनाएं हुई हैं। मैंने उन वीडियो को देखा है जहां कुछ असामाजिक मानसिकता के लोग इस पवित्र यात्रा के दौरान अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे थे। इन पवित्र घटनाओं और यात्राओं में इन अराजकतावादियों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अब सवाल यह है कि इन घटनाओं में भाग लेने से इन घटिया लोगों को कौन रोकेगा ? जाहिर है यात्रा के आयोजक रोकेंगे। आयोजकों यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके किसी भी आयोजन में आपराधिक मानसिकता का एक भी व्यक्ति उपस्थित न हो क्योंकि यह हर हिंदू की ज़िम्मेदारी है कि वह हिंदुत्व को बदनाम होने से रोके। मैं इनकी हरकतें देखकर हैरान था, आप भी देखिये,
भगवान शिव इस तरह के अराजक और आपराधिक कृत्यों के द्वारा समाज और मानवता को डराने का अधिकार किसी को भी नहीं देते हैं। वह इंसान असली शिवभक्त हो ही नहीं सकता जिसके पास न तो धैर्य है, न क्षमा करने की शक्ति और न ही क्रोध पर नियंत्रण। यदि आप खुद को शिवभक्त समझते हैं, तो पहले उपर्युक्त गुणों का और इंसानियत का पालन करना सीखें। यदि आप किसी भी धार्मिक आयोजन के आयोजक हैं, तो यह सुनिश्चित करना आपकी ज़िम्मेदारी है कि आयोजन में सम्मिलित सभी लोगों में  धैर्य, क्षमा करने की शक्ति और अपने क्रोध पर नियंत्रण हो।
जो लोग सोचते हैं कि वे बहुत शक्तिशाली हैं और वे इन आयोजनों के दौरान अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश करते हैं, वे शक्तिशाली नहीं बल्कि डरपोक हैं जो धार्मिक आयोजनों के पीछे खुद को छुपाकर अपने अराजक कृत्यों को अंजाम देते हैं। यदि वे सच में इतने शक्तिशाली हैं तो वे कश्मीर जाकर आतंकवादियों और पत्थरबाजों से क्यों नहीं लड़ते हैं। यदि वे सच में इतने शक्तिशाली हैं तो वे उन नेताओं पर हमला क्यों नहीं करते जो भारत के खिलाफ बोलते हैं। मैं बताता हूँ कि वे ऐसा क्यों नहीं करते क्योंकि उनमे अपने दम पर कुछ करने की हिम्मत है ही नहीं। ये इतने बड़े कायर और डरपोक होते हैं कि भोलेनाथ के भक्तों के पीछे छिपकर निर्दोष लोगों पर हमला करके  उन्हें और हिंदुत्व दोनों को बदनाम करते हैं। यदि आप उनमें से एक हैं, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप बहुत ही घटिया इंसान हैं जो न तो समाज में रहने लायक है न ही हिन्दू कहलाने के लायक हैं और अगर आप उनमें से नहीं हैं और भगवान शिव और हिंदुत्व के असली follower हैं, तो ऐसे लोगों को  पहचानना और उन्हें किसी भी धार्मिक आयोजन, सभा या स्थान से दूर रखना आपकी भी ज़िम्मेदारी है।

Sunday, August 5, 2018

उस मजहब का पालन न करें जो मानव जाति और मानवता के कल्याण से ऊपर खुद को बताता है।

इन दिनों, कुछ समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के कारण रोज मानवता का संहार किया जा रहा है और मजहब के नाम पर अपराध को Justify किया जा रहा है जो कि मानवता के लिए घातक है। और इसके लिए ज़िम्मेदार वो हैं जो अपने मजहब के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठाते हैं। मैंने किसी भी धर्मग्रन्थ को अब तक नहीं पढ़ा है, इसलिए मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, लेकिन यदि आपका धर्मग्रन्थ  उन बातों का समर्थन करता है जो मानवजाति की लिए नुकसानदेह है, तो आपको उसमे लिखी उस बात को नहीं मानना चाहिए। अगर कोई धर्मगुरु, धर्मग्रन्थ या मजहब मानवता को नुकसान पहुंचाता है तो हमें उसके खिलाफ जाना चाहिए। मानव जाति के कल्याण के लिए अगर आप मजहब के खिलाफ जाते हैं तो ईश्वर आपसे ज्यादा खुश होगा।
यदि आपका मजहब कहता है कि जो इंसान भगवान के उस नाम को नहीं मानता जिसे आप मानते हैं तो उसे  मार देना चाहिए , तो आपको अपने धर्म के खिलाफ जाना चाहिए। यदि आपका मजहब पुरुष  और महिलाओं दोनों को बराबर अधिकार नहीं देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि किसी भी इंसान को वो अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए जिनका दुरूपयोग वो दूसरे लिंग के इंसान पर हावी होने के लिए कर सके। यदि आपका मजहब आपको दूसरे मजहब का सम्मान नहीं करने देता है, तो आपको इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि ये धार्मिक दंगो और अराजकता के जन्मदाता हैं और यह नरसंहार पैदा करता है जो स्पष्ट रूप से मानवता के खिलाफ है। यदि आपकी धार्मिक मान्यताएं आपको किसी इंसान को बिना उसकी बात सुने मारने की इजाजत देता है या मजबूर करता हैं, तो आपको भी अपने मजहब और उसकी मान्यताओं पर पुनर्विचार करना होगा। यदि आपका मजहब किसी व्यक्ति को कई पत्नियां रखने के अधिकार देता है तो उसे एक महिला को कई पति रखने  का अधिकार भी देना चाहिए (बशर्ते महिला की मर्ज़ी के मुताबिक) और यदि आपका मजहब किसी महिला को यह अधिकार नहीं देता है, तो वह मजहब Follow करने के लायक ही नहीं है। यदि आपका मजहब, देश से बड़ा मजहब को मानने के लिए आपको विवश करता है  तो उससे बुरा मजहब कोई नहीं हो सकता। यदि आपका मजहब अन्य मजहबों द्वारा माने जाने वाले ईश्वर के नाम का सम्मान नहीं करता है, तो आपका मजहब आपको गलत Track पर ले जा रहा है क्योंकि ईश्वर केवल एक है, जिसके  कई नाम हैं और यदि आप भगवान के दूसरे नाम का अनादर करते हैं, तो भी आप ईश्वर का ही अपमान कर रहे हैँ।
ऊपर बताए गए सभी Points किसी न किसी तरीके से मानवता के लिए हानिकारक हैं। उनमें से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ परोक्ष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनमें से कुछ विभिन्न मजहबों के अनुयायियों के आपसी भाईचारे के लिए हानिकारक हैं जिससे  नफरत और अराजकता की उत्पत्ति होती है जिसके फलस्वरूप मानवता को नुकसान पहुँचता हैं। कुछ प्रत्यक्ष हत्याएं करके मानवता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए अपने मजहब का अन्धविश्वास के साथ पालन करने के बजाय बुद्धिमानी से पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि मजहब की कोई भी मान्यता, मानवता और मानव जाति को नुकसान न पहुंचा रही हो क्योंकि मजहब और उसके नियम-कानून बनाने वाले भी इंसान ही  थे और क्या पता उन्होंने नियम बताते वक़्त कुछ गलती कर दी हो इसलिए  कृपया अपने मजहब में मौजूद बुराईयों को खत्म करने के लिए उसके खिलाफ खड़े हो जाओ और दुनिया के सबसे अच्छे धर्म की सेवा करें जो कि मानवता है।