Saturday, October 24, 2020

बुराई बुराई होती है, चाहे उसका स्तर कुछ भी हो। विजयदशमी की शुभकामनाएँ!

विजयदशमी के इस शुभ अवसर पर, भगवान से प्रार्थना है कि सदैव बुराई पर अच्छाई की जीत हो और मैं आपको और आपके परिवार को दशहरे की शुभकामनाएँ देता हूँ!

विजयदशमी भगवान राम की राक्षस रावण पर जीत की याद में मनाया जाता है। यह बुराई पर सच्चाई की जीत थी। वर्तमान युग में भी पृथ्वी पर बहुत सारे राक्षस हैं। वे हत्यारे, आतंकवादी, अपहरणकर्ता, बलात्कारी और अन्य असामाजिक तत्व हैं। कुछ नासमझ बुद्धिजीवियों द्वारा इन दिनों रावण की बलात्कारियों के साथ तुलना की जाती है और वे बलात्कारी के साथ तुलना करते हुए रावण को महान आत्मा कहते हैं। वे दावा करते हैं कि रावण एक महान आत्मा था क्योंकि उसने माता सीता को नहीं छुआ जो कि सत्य नहीं है; सच्चाई यह है कि माता सीता ने उसे स्वयं को छूने नहीं दिया। उसने एक संत जैसे व्यवहार नहीं किया था बल्कि माता सीता ने अपने पतिव्रत धर्म की शक्ति से उसे स्वयं पर जीत हासिल करने नहीं दी। अगर वह उन्हें छूता तो जलकर भस्म हो जाता। यदि रावण माता सीता की गरिमा के साथ नहीं खेल सका, तो केवल इसलिए क्योंकि वह रावण को स्वयं से दूर रखने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली थीं। अतः यह गलत धारणा बनाना बंद कर दें कि रावण माता सीता के प्रति दयालु था परन्तु इस सत्य का प्रचार-प्रसार करें कि वह माता सीता से हार गया था।

दूसरे अगर हम मान भी लेते हैं कि रावण बहुत महान था और उसने माता सीता को नहीं छुआ फिर भी वह एक दुष्ट आत्मा ही था क्योंकि उसने सीता जी का अपहरण किया था। एक व्यक्ति, जो एक महिला का अपहरण करता है और उसे हर रोज परेशान करता है, वह भी एक बुरा इंसान ही है; उसे केवल इसलिए संत नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसने उन्हें नहीं छुआ था। एक व्यक्ति, जो एक महिला पर हर रोज उससे जबरदस्ती शादी करने का दबाव डालता है, वह भी एक बुरा इंसान ही है।

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रावण बुद्धिमान था, लेकिन घमंडी और अपराधी था, परिणामस्वरूप वह एक बुराई था। इसलिए रावण को आज की बुराइयों (बलात्कारियों) से तुलना करते हुए संत के रूप में उद्धृत नहीं किया जाना चाहिए। आज की बुराई को बुरा सिद्ध करने की कोशिश करते हुए हमें केवल महान लोगों का उदहारण देना चाहिए। हमें अन्य अपराधियों को अच्छी आत्माओं के रूप में सिर्फ इसलिए उद्धृत नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने आज के अपराधियों की तुलना में छोटा अपराध किया था। उनमें से किसी को भी समाज में नायक के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए क्योंकि इससे लोगों में उनके जैसा (एक दुष्ट) बनने की प्रेरणा का प्रसार हो सकता है। यदि आप किसी का उदहारण देना चाहते हैं, तो लक्ष्मण जी का उदहारण दें जिन्होंने श्री राम से कहा था कि वह माता सीता के कुण्डलों को नहीं पहचान सकते क्योंकि उन्होंने कभी उनके चेहरे की तरफ देखा ही नहीं बल्कि उन्होंने केवल माता सीता के चरणों की ओर ही देखा है। कोई भी बुराई कम बुरी होने के कारण अच्छाई नहीं कही जा सकती। बुराई किसी भी स्तर की हो परन्तु वह बुराई ही होती है। इसलिए सावधान रहें और अपनी चर्चाओं में बुराई को बुरा सिद्ध करने की कोशिश करते हुए केवल अच्छाई को उद्धृत (उदहारण दें) करें, न कि कम बुराई को। इस विचार के साथ, मैं भगवान राम से प्रार्थना करता हूँ कि वे सभी को सदैव अच्छाई अपनाने की सद्बुद्धि प्रदान करने की कृपा करें। जय श्री राम!