विजयदशमी के इस शुभ अवसर पर, भगवान से प्रार्थना है कि सदैव बुराई पर अच्छाई की जीत हो और मैं आपको और आपके परिवार को दशहरे की शुभकामनाएँ देता हूँ!
विजयदशमी भगवान राम की राक्षस रावण पर जीत की याद में मनाया जाता है। यह बुराई पर सच्चाई की जीत थी। वर्तमान युग में भी पृथ्वी पर बहुत सारे राक्षस हैं। वे हत्यारे, आतंकवादी, अपहरणकर्ता, बलात्कारी और अन्य असामाजिक तत्व हैं। कुछ नासमझ बुद्धिजीवियों द्वारा इन दिनों रावण की बलात्कारियों के साथ तुलना की जाती है और वे बलात्कारी के साथ तुलना करते हुए रावण को महान आत्मा कहते हैं। वे दावा करते हैं कि रावण एक महान आत्मा था क्योंकि उसने माता सीता को नहीं छुआ जो कि सत्य नहीं है; सच्चाई यह है कि माता सीता ने उसे स्वयं को छूने नहीं दिया। उसने एक संत जैसे व्यवहार नहीं किया था बल्कि माता सीता ने अपने पतिव्रत धर्म की शक्ति से उसे स्वयं पर जीत हासिल करने नहीं दी। अगर वह उन्हें छूता तो जलकर भस्म हो जाता। यदि रावण माता सीता की गरिमा के साथ नहीं खेल सका, तो केवल इसलिए क्योंकि वह रावण को स्वयं से दूर रखने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली थीं। अतः यह गलत धारणा बनाना बंद कर दें कि रावण माता सीता के प्रति दयालु था परन्तु इस सत्य का प्रचार-प्रसार करें कि वह माता सीता से हार गया था।
दूसरे अगर हम मान भी लेते हैं कि रावण बहुत महान था और उसने माता सीता को नहीं छुआ फिर भी वह एक दुष्ट आत्मा ही था क्योंकि उसने सीता जी का अपहरण किया था। एक व्यक्ति, जो एक महिला का अपहरण करता है और उसे हर रोज परेशान करता है, वह भी एक बुरा इंसान ही है; उसे केवल इसलिए संत नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसने उन्हें नहीं छुआ था। एक व्यक्ति, जो एक महिला पर हर रोज उससे जबरदस्ती शादी करने का दबाव डालता है, वह भी एक बुरा इंसान ही है।
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